मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

मिस्र.... मुबारक हो

                             जनता की नब्ज़ पर पकड़ न रख पाने वाले किसी भी शासक को आख़िर एक दिन होस्नी मुबारक की तरह ही सत्ता छोड़नी पड़ती है क्योंकि जनता के गुस्से के आगे कोई भी सत्ता बहुत दिनों तक नहीं टिक सकती है. यह सही है कि मिस्र के लिए मुबारक ने बहुत कुछ किया था पर एक बात जो कोई भी शासक भूल जाता है कि केवल उसके कुछ क़दमों से ही जनता को सब कुछ नहीं मिल जाता है और अपने को जब तक जनता के ज्वलंत मुद्दों से जोड़कर नहीं रखा जायेगा तब तक कभी भी जन विद्रोह की आशंका कहीं पर भी बनी रहेगी. मिस्र की जनता ने यह दिखा दिया है कि भले ही कितनी पुरानी सरकार क्यों न हो अगर सोच लिया जाये तो कुछ भी असंभव नहीं है. इस सत्ता परिवर्तन के बाद यह अच्छा ही है कि मिस्र के पास अब मोहम्मद अल बरदेई जैसा शख्स मौजूद है जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सक्षम है.
                  अब यह समय है कि पूरी दुनिया अपने स्वार्थी हितों को छोड़कर मिस्र के पुनर्निर्माण में लग जाए क्योंकि इस समय यदि किसी भी देश ने अपने हितों को साधने के लिए मनमानी करनी चाही तो मिस्र की जनता को वह सब नहीं मिल पायेगा जिसके लिए उसने इतना संघर्ष किया ? इस तरह से अचानक ही सत्ता शिखर पर शून्यता हो जाने पर मुस्लिम जगत में सक्रिय अल कायदा और अन्य आतंकी संगठन भी जनता में पैठ बना सकते हैं ? यह ख़तरा अरब देशों और मुस्लिम जगत के सभी देशों में बहुत रहता है क्योंकि वहां के शासकों द्वारा जो कुछ भी ग़लत किया जाता है उससे परेशान जनता को ये आतंकी जेहाद के नाम पर भड़का देते हैं. इस्लामी देशों में वैसे भी अधिकतर जगहों पर शासक जनता के बारे में सोचे बिना ही सत्ता से चिपके रहते हैं और आने वाले समय में अपने लिए परेशानियाँ बढ़ाते रहते हैं. जिस तरह से सत्ता पर लोगों ने कब्ज़ा कर रखा है उसे देखते हुए कुछ भी हो सकता है. ट्यूनीशिया के बाद मिस्र में उपजे हालातों ने बरसों से सत्ता से चिपके अरब शासकों के चेहरे पर चिंता की लकीरों को और भी गहरा कर दिया है.
                       सवाल यह उठता है कि ऐसे अवसरों पर भारत को क्या करना चाहिए ? अभी तक भारत की जो भी नीति रही है उसके तहत किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में हम दखल नहीं दिया करते हैं और अगर कहीं भी जनता किसी भी तरह के विद्रोह में लगी है तो उसको समर्थन भी नहीं दिया जाता है. बांग्लादेश को छोड़कर बही तक भारत ने कहीं भी दखलंदाज़ी नहीं की है और वहां पर भारत ने सभी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए लोगों को पाक सरकार के ज़ुल्मों से मुक्त कराया था. आज कुछ लोग यह कहने लगते हैं कि मुस्लिम देशों के बारे में कांग्रेस कुछ भी नहीं बोलती है ? वे लोग शायद यह भूल जाते हैं कि विदेश नीति में अभी तक जैसे और जो कुछ भी चल रहा है उसमें किसी अन्य दल की सरकार ने कभी कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं किया है. फिलहाल मिस्र की जनता को मुबारक का जाना मुबारक हो और आशा है कि जल्दी ही वहां पर जनता की आशाओं के अनुरूप नयी सरकार का गठन और संविधान संशोधन भी हो जायेगा.        
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