पांच राज्यों में चुनावी बिगुल आखिरकार निर्वाचन आयोग ने फूँक ही दिया है. अभी तक इन चुनावों को लेकर तिथियों की प्रतीक्षा थी वह भी पूरी हो गयी. जिस तरह से चुनाव आयोग अब हर तरह के चुनावों के लिए पूरी तरह से कमर कसकर तैयार रहने लगा है उससे मनमानी करने वाले नेताओं के लिए अब चुनाव किसी भी तरह से जीत लेना अब सपना हो चुका है. देश में जिस तरह से सरकारें चलाये जाने की परंपरा चली आ रही है उससे जनता का बहुत बड़ा नुकसान होने लगा था क्योंकि अधिकतर राज्यों में विकल्प न होने के कारण बारी बारी से वहां पर प्रभावी दल सत्ता में आया जाया करते थे पर अब जिस तरह से कुछ नेताओं ने अपने को जनता से जोड़ने का काम शुरू किया है और अपने राज्यों की वास्तविक समस्याओं पर भी ध्यान देना शुरू किया है उससे चुनाव कुछ हद तक आसान हो गए हैं. अब जनता के सामने खुलकर आने और जागरूक होने से बहुत कुछ सुधर भी गया है.
अभी तक जनता किसी भी चुनाव से कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाती थी जिससे कम वोट पाकर भी कुछ लोग सत्ता का सुख भोगते रहते थे पर अब स्थिति बदलने लगी है वोट देने में जनता के सामने विकास बहुत बड़ा मुद्दा होने लगा है और इसका लाभ राज्यों की जनता के साथ पूरे देश मिलने लगा है और सरकारें वास्तव में चुनाव सुधारों की तरफ जाने भी लगी हैं. जनता की चुनावों में जितनी अधिक भागीदारी होगी चुनाव आयोग के लिए काम करना उतना ही आसान हो जायेगा क्योंकि जब जनता खुद बाहर आकर वोट देने में दिलचस्पी लेने लगती है तो धांधली करने वालों के लिए मुश्किलें शुरू हो जाती हैं. आज भी चुनाव आयोग अपनी सारी ताक़त किसी भी तरह से शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव करने में लगा दिया करता है और उसका बहुत बड़ा लाभ भी दिखाई देने लगा है क्योंकि जो लोग अभी तक वोट डाल ही नहीं पाते थे उनको भी अपनी सरकारें चुनने का अवसर मिलने लगा.
कुछ लोगों की आदत ही होती है कि वे कहीं भी कुछ भी कहने लगते हैं और इसका असर यह होता है कि दुनिया को हमारी चुनावी प्रक्रिया में खोट नज़र आने लगते हैं. देश की विशालता और आबादी को देखते हुए जिस तरह से चुनाव कराया जाता है उससे अच्छा विकल्प अभी तक सामने नहीं आया है. कुछ नेता हताशा में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करने के आरोप भी लगा दिया करते हैं पर वे यह भूल जाते हैं कि हर स्तर पर भी इन चुनावों में पूरी तरह से भागीदार बनने और अनियमितताओं की शिकायत करने का पूरा मौका दिया जाता है तो तब वे आखिर क्यों नहीं बोलते हैं और चुनाव निपट जाने के बाद ही उन्हें अचानक धांधली दिखाई देने लगती है ? फिलहाल हमारी चुनावी प्रक्रिया को पूरी दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि हम एक परिपक्व होते लोकतंत्र हैं और हमारे नेता भी जनता के आदेश को अपने माथे से लगाते हैं. फिलहाल चुनाव आयोग एक बार फिर से नेताओं के निशाने पर आने वाला है पर शेषन की विरासत को पिछले २० वर्षों में सभी ने बहुत अच्छी तरह से संभाला है और देश को निष्पक्ष चुनाव भी दिए हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
जनता के लिये कोई काम नहीं करता...
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