उत्तर प्रदेश सरकार ने लगता है कि हर तरह के मामले में अजीब तरह से व्यवहार करने की ठान रखी है जिसका सबसे ताज़ा उदाहरण प्रदेश की दो बड़ी राजनैतिक ताकतों में हो रही जमकर रस्सा-कशी है जिस ने फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है. जैसा कि सभी जानते हैं कि अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट महसूस होने लगी है और इस चुनावी दौर में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता है. अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस भी कुछ इसी तर्ज़ पर अपनी ताकत दिखने की कोशिश कर चुकी है, पर प्रदेश की बड़ी पार्टी सपा द्वारा प्रदर्शन किये जाने की घोषणा के बाद से ही सरकार की नींद उड़ी हुई थी. सरकार को प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए हर कदम उठाने की पूरी छूट होती है पर जिस तरह से सपा के इस आन्दोलन को इतने बड़े स्तर पर कुचलने की कोशिश सरकार द्वारा की गयी उसका कोई औचित्य नहीं था. अब भाजपा भी जल्द ही इसी तरह से कुछ करना चाहेगी.
आज भी प्रदेश में सपा की बड़ी राजनैतिक हैसियत है और इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है फिर भी बसपा सरकार द्वारा जिस तरह से इनको रोकने की कोशिश की गयी उससे समाजवादियों में नया जोश भर गया यदि इसके स्थान पर इनको प्रदर्शन करने की छूट पुलिस द्वारा दे दी जाती तो शायद यह प्रदर्शन इतना उग्र नहीं होता. खांटी समाजवादी राजनीति को मायावती कभी भी समझ नहीं पाई हैं और आने वाले समय में वे सपाइयों की मानसिकता को पढ़ भी नहीं पाएंगीं ? किसी भी आन्दोलन को कुचलने से उनकी तीव्रता बहुत बढ़ सकती है और यहाँ पर ऐसा ही हुआ. सरकार ने बिना बात के ही इस आन्दोलन को रोकने की कोशिश की जिससे सपाइयों में और जोश भर गया. इसके स्थान पर सरकार को समझदारी से काम लेते हुए हर जगह पर पुलिस को यह निर्देश दे देने चाहिए थे कि हर तरह के प्रदर्शन को वे पूरी तरह से रिकार्ड करवाएं और कहीं पर भी अराजकता फ़ैलाने वाले तत्वों के खिलाफ सख्ती से कदम उठाये जाएँ और जहाँ पर प्रदर्शन से आम नागरिकों को कोई असुविधा न हो रही हो वहां पर इनको शांति पूर्वक अपना प्रदर्शन करने दिया जाये.
सपा के जुझारू तेवरों को देखते हुए और शायद माया के सामने अपने जिले में प्रदर्शन को कुचलने में सफल रहने की लालसा में अधिकारियों ने भी इस आन्दोलन पर कुछ ज्यादा ही सख्ती कर दी जिससे पूरे प्रदेश में अख़बारों से लगाकर हर जगह सपा को पूरी चर्चा भी मिली और जो उसकी मंशा थी वह भी पूरी हो गयी. इस प्रदर्शन के बाद सपा ने यह सन्देश तो दे ही दिया है कि उसकी आज भी पूरे प्रदेश में पकड़ और पहुँच भी है. उसके आह्वाहन पर पूरे प्रदेश में कुछ भी करने का दम वो रखती है. जिस तरह से मानसिक लड़ाई में सपा ने बसपा को मात दी है वह उसकी राजनैतिक विरासत को प्रदर्शित करती है. फिलहाल यह तो शुरुआत भर है और प्रदेश को अब इस तरह के प्रदर्शनों और आन्दोलनों के लिए तैयार रहना चाहिए साथ ही सरकार को अपने को इतना कमजोर भी नहीं दिखाना चाहिए जिससे जनता को यह लगने लगे कि अब सरकार केवल प्रशासन के दम पर ही चल रही है ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
एकदम ठीक लिखा है..
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