केंद्र सरकार ने सिद्धांततः यह मान लिया है कि देश में भगवा आतंकवाद जैसे नाम से जुड़ी हर घटना की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी ही करेगी और हो सकता है कि जल्दी ही इस मसले पर जल्दी ही कोई आदेश भी जारी हो जाएँ. पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से देश में कई मामले इस तरह के भी सामने आये हैं जिनमें कुछ कट्टरपंथी हिन्दू संगठनों का हाथ रहा है. यह सही है कि देश में क्या पूरी दुनिया में हमेशा से ही हिन्दू सह अस्तित्व के साथ रहते आये हैं पर आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने अन्याय का प्रतिकार भी किया है. यहाँ भारत में इस समय जिस तरह की बातें की जा रही है उससे यही लगता है जैसे पूरा हिन्दू समाज ही आतंक का पोषण कर रहा है ? यह सब ठीक उसी तरह से ही है जैसे पूरी दुनिया में कुछ लाख मुसलमानों ने पूरे इस्लाम को बदनाम कर रखा है ? उनके कारण ही आज अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अन्य देश मुसलमान होने के नाम पर ही चौकन्ने हो जाते हैं. भारत में आतंक का कोई स्थान नहीं है और जो भी इसका समर्थन करता दिखाई देता है उसका पत्ता साफ हो जाता है.
यह सब एक दिन में तो नहीं हुआ है जब कुछ मुसलमान आतंक के दम पर दुनिया में अराजकता फ़ैलाने में लगे हुए थे तो बाकी इस्लामी समाज ने उनकी हरकतों पर चुप्पी साध ली जिसका दुष्परिणाम आज पूरी दुनिया के सामने आ गया है ? भारत में जिस तरह से काम किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि उस तरह का कोई खतरा यहाँ पर नहीं है. आम हिन्दू जनमानस आज भी बहुत सहिष्णु है और उसकी ताकत इस सहिष्णुता में ही छिपी हुई है भारत में आज कहीं भी इस तरह की आतंकी हरकतें करने वाले लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने वाले बहुत कम ही मिलते हैं हिन्दू दर्शन में सब कुछ इतना सरल है कि कोई भी इसे आसानी से समझ सकता है. सभी जगह पर सभी तरह के लोग होते हैं और हर तरह के लोग हर युग में होते हैं, कुछ अति सोचने वाले लोग हिन्दुओं में भी हैं पर क्या कारण है कि आम तौर पर सब कुछ बर्दाश्त करने वाले ये लोग भी हमले करने पर उतर आये ?
देश में जिस तरह से अल्पसंख्यकों का हौव्वा बहुसंख्यकों के सामने खड़ा किया जाता रहता है उसका इस मामले में बहुत बड़ा हाथ रहता है. यह सही है कि देश में अल्पसंख्यकों की वास्तविक भलाई करने के नाम पर उन्हें केवल वोट बैंक माना गया जिससे उन्हें भी रोज़ कुछ मांगने की आदत हो गयी और जिस तरह से सरकारें कम करके भी उसे ज्यादा बताने लगीं उससे हिन्दू वादी संगठनों को यह अवसर मिल गया कि देश के सारे संसाधन जैसे अल्पसंख्यकों के लिए ही सुरक्षित कर दिए गए हैं ? अभी भी इस बात पर ध्यान देने की ज़रुरत है कि धार्मिक मामलों को छोड़कर कई बार सरकारें अपराध से जुड़े मसलों को भी धार्मिक चश्में से देखने लगती हैं जो कि देश के लिए बहुत ख़तरनाक होता है ? देश को चलाने के लिए इस तरह के घटिया टंटे बंद होने चाहिए और वास्तव में जो दबे कुचले हुए हैं उनको पूरी सहायता दी जानी चाहिए. आतंक का नाम आतंक होना चाहिए उसको धर्म से जोड़कर नहीं संबोधित करना चाहिए क्योंकि इन आतंकी घटनाओं में मरने वाले धर्म को देखकर नहीं मरते हैं. हर जांच पूरी निष्पक्षता से होनी चाहिए और किसी को भी कहीं भी बख्शा नहीं जाना चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
निष्पक्षता बाकी कहां.. संसद हमले में मारे गये सुरक्षाकर्मियों की विधवायें किस हाल में जी रही हैं और गद्दार आतंकी मौज कर रहे हैं..
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