मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 16 मई 2011

पाक की बौखलाहट

      पाक ने एक बार फिर से बिना बात भारत के साथ टकराव का रास्ता अपना लिया है, लादेन को पाक में अमेरिका के घुस कर मारने के बाद से ही दबाव में आई पाक सरकार सेना और ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के लिए जनता के सामने अपनी इज्ज़त बचाने का सवाल पैदा हो गया है. इस दबाव को कम करने के लिए वहां से हताशा में बहुत सारे बयान अनावश्यक रूप से दिए जा रहे हैं. केवल जनता को बरगलाने के लिए जिस तरह से संसद में वहां के प्रमुख सेनाधिकारी और अन्य ज़िम्मेदार लोग बयान बाज़ी करने में लगे हुए हैं वह भारत के साथ पाक के संबंधों को फिर से बहुत ख़राब स्तर तक पहुंचा सकते हैं. यह सही है कि पाक के आतंकियों को समर्थन करने के कारण ही अमेरिका ने उसे बिना बताये ही लादेन को उसकी मांद में घुसकर मारा और साथ ही पाक की सैन्य अकादमी की तैयारियों को भी धता बता दिया. जिससे पाक के लोगों को यह लगने लगा है कि वे जिस सेना पर इतना भरोसा करते हैं वह अपनी अकादमी के पास ही होएं वली इतनी बड़ी घटना को नहीं जान पाई ?
      इस अवसर पर पाक को अपने यहाँ आतंकी ढाँचे को नष्ट करने की तरफ बढ़ना चाहिए और पाक को आम लोगों के रहने के लिए अच्छी जगह बनाने की कोशिशें करनी चाहिए पर इसके स्थान पर उसे हर बात में भारत का विरोध करके पाक के लोगों के अहम् की मालिश करने में मज़ा आता है ? यदि अब भी पाक नहीं चेता तो वह दिन दूर नहीं है जब वहां पर वैसी ही अराजकता फैलने में देर नहीं लगेगी जैसी अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के समय थी. पाक ने जिस तरह से यह कहा है कि उसके पास भारत पर हमला करने के प्लान तैयार रखे हैं और उसने इनका अभ्यास भी कर लिया है उससे यही लगता है कि उसके नेताओं में अभी भी सोचने की शक्ति विकसित नहीं हुई है और सेना पर वहां किसी का भी नियंत्रण नहीं है. बौखलाहट में पाक की सेना कोई भी कदम उठा सकती है और इनमें से भारत पर प्रत्यक्ष हमला भी एक रास्ता हो सकता है क्योंकि यही एक ऐसा मसला होगा जिस पर आपस में लड़ते हुए पाकिस्तानी एक हो जाते हैं. यह पाक के नेता और सेना भी जानती है कि भारत की सेना से लोहा लेना बहुत मुश्किल है फिर भी वे कहीं न कहीं ऐसी कोई हरकत तो कर ही सकते हैं.
    ऐसा नहीं है कि भारत ने पाक के इस तरह के किसी कदम के बारे में कोई तैयारी नहीं कर रखी है फिर भी भारत एक शांति प्रिय देश है और यहाँ पर केवल बातें करने के लिए ही कुछ भी कहने की परंपरा नहीं है. भारत की सेना विश्व की अनुशासित सेनाओं में से एक मानी जाती है और यह देश और सरकार के लिए पूरी तरह से जवाबदेह हमेशा से ही रही है यहाँ किसी को भी मनमर्जी करने की छूट नहीं मिली हुई है. यहाँ पर सेना ने सुरक्षा के नए मानदंड स्थापित किये हैं और पूरे विश्व में शांति सेनाओं के चुनाव के समय भारत के सैनिकों को प्राथमिकता दी जाती है. पाक में घुसकर हमला करना है कि नहीं यह फैसला भारत में सेना नहीं सरकार को करना है और सेना पहले ही कह चुकी है कि भारत के पास भी ऐसी क्षमता है कि वह भी कहीं भी जाकर आतंकियों के ढांचे को नष्ट कर सकता है. अच्छा हो कि इस मामले को संजीदगी से निपटा जाये पर साथ ही सेना को पूरी तरह से मुस्तैद कर दिया जाये क्योंकि पाक पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता है.  

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