बसपा सरकार किस तरह से अपराधियों को अपने साथ रखे हुए है इस बात की पुष्टि एक बार फिर से फैजाबाद की दलित लड़की शशि हत्याकांड में उसके विधायक और पूर्व मंत्री आनंद सेन को आजीवन कारावास मिलने से होती है. २००७ में दलित लड़की को शोषण करने के बात उसकी हत्या कर दी गयी थी और अभी तक उसका शव बरामद नहीं हो सका है फिर भी साक्ष्यों को मानते हुए फैजाबाद की विशेष अदालत ने आनंद सेन उनके चालक विजय सेन और उनकी सहयोगी सीमा आज़ाद को जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. बसपा सरकार में जिस तरह से उसके विधायकों ने जनता का जीना मुश्किल करके रखा हुआ है वह अपने आप में अनूठा है. अगर प्रशासन का दबाव न हो और ईमानदारी से जांच करायी जाए तो शायद ही ५० विधायक ऐसे मिलेंगें जिन पर कोई आरोप न लगा हो ? एक ऐसी सरकार जो अपने राज में कानून व्यवस्था का ढिंढोरा पीटने से बाज़ नहीं आती है आख़िर कहाँ है उसका कानून ? शायद आज वही कानून है जो बसपा के लोग अपने दम पर करते हैं और बाक़ी कोई कानून कहीं भी नहीं बचा हुआ है.
अपराध से राजनीति का जब से गठजोड़ हुआ है तभी से इस तरह की घटनाएँ बढ़ने लगी हैं. देश के नेताओं ने जब मूल्यों को छोड़कर केवल पद के लिए काम करना शुरू कर दिया बस तभी से इस तरह की गंदगी बढ़ने लगी. नेताओं ने जब चुनाव जीतने के लिए अपराधियों का इस्तेमाल करना शुरू किया तो शुरू में तो अपराधियों को नेताओं की छत्र छाया में बड़ा मज़ा आया पर जब उन्हें यह लगने लगा की जब वे किसी को चुनाव जितवा सकते हैं तो वे खुद क्यों नहीं जीत सकते हैं ? आख़िर वे जो हथकंडे नेताओं के लिए अपनाते हैं वही अपने भी अपनाएं तो वे खुद ही विधायक बन सकते हैं ? बस इसी सोच ने देश में राजनीति की परिभाषा बदल दी आज लोग पैसे देकर पार्टियों का टिकट पाते है और फिर जीतने के बाद अपनी तरह से उस धन की वसूली भी करना शुरू कर देते हैं. एक समय देश कई सेवा करने कई इच्छा रखने वाले लोग ही इस क्षेत्र में आते हैं पर आज के समय अधिकांश लोग देश को लूटने की मंशा के साथ यहाँ आते हैं. ऐसा नहीं है की सभी लोग इतने बुरे हैं पर बुरे लोगों ने अपने को इतना आगे बढ़ा लिया है की उनके आगे अच्छे लोग कहीं से भी दिखाई भी नहीं देते हैं. आज हमें फिर से मूल्यों की राजनीति करने वालों को सामने लाना ही होगा.
अब जिस तरह से देश कई जनता भ्रष्टाचार से ऊबी हुई है और जिस तरह से बिहार कई जनता ने राजनैतिक अराजकता को पूरी तरह से उखाड़ फेंका है अब वैसा ही पूरे देश में होने का समय आ रहा है और जल्द ही हमें यह भी देखने को मिल सकता है की देश के हर चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग हारते हुए नज़र आने लगें क्योंकि जब जनता में इनको हटाने कई आशा जग जाएगी तब वह निकल कर वोट भी डालेगी. आज के समय में सबसे बड़ी समस्या यही है की देश में आधी आबादी किसी भी चुनाव में वोट डालना पसंद ही नहीं करती है जिससे कम वोटों के खेल में मक्कार और भ्रष्टाचारी लोग चुनाव जीत जाया करते हैं. अब समय है की हम अपने में इतना बदलाव अवश्य करें की आने वाल हर चुनाव में देश के भविष्य को तय करने के लिए वोट देने अवश्य जाएँ क्योंकि हो सकता है की हमारे वोट ग़लत लोगों को संसद और विधान सभा में पहुँचने से रोक सकें और देश का भविष्य फिर से अच्छे और सुरक्षित हाथों में पहुँच सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
अपराध से राजनीति का जब से गठजोड़ हुआ है तभी से इस तरह की घटनाएँ बढ़ने लगी हैं. देश के नेताओं ने जब मूल्यों को छोड़कर केवल पद के लिए काम करना शुरू कर दिया बस तभी से इस तरह की गंदगी बढ़ने लगी. नेताओं ने जब चुनाव जीतने के लिए अपराधियों का इस्तेमाल करना शुरू किया तो शुरू में तो अपराधियों को नेताओं की छत्र छाया में बड़ा मज़ा आया पर जब उन्हें यह लगने लगा की जब वे किसी को चुनाव जितवा सकते हैं तो वे खुद क्यों नहीं जीत सकते हैं ? आख़िर वे जो हथकंडे नेताओं के लिए अपनाते हैं वही अपने भी अपनाएं तो वे खुद ही विधायक बन सकते हैं ? बस इसी सोच ने देश में राजनीति की परिभाषा बदल दी आज लोग पैसे देकर पार्टियों का टिकट पाते है और फिर जीतने के बाद अपनी तरह से उस धन की वसूली भी करना शुरू कर देते हैं. एक समय देश कई सेवा करने कई इच्छा रखने वाले लोग ही इस क्षेत्र में आते हैं पर आज के समय अधिकांश लोग देश को लूटने की मंशा के साथ यहाँ आते हैं. ऐसा नहीं है की सभी लोग इतने बुरे हैं पर बुरे लोगों ने अपने को इतना आगे बढ़ा लिया है की उनके आगे अच्छे लोग कहीं से भी दिखाई भी नहीं देते हैं. आज हमें फिर से मूल्यों की राजनीति करने वालों को सामने लाना ही होगा.
अब जिस तरह से देश कई जनता भ्रष्टाचार से ऊबी हुई है और जिस तरह से बिहार कई जनता ने राजनैतिक अराजकता को पूरी तरह से उखाड़ फेंका है अब वैसा ही पूरे देश में होने का समय आ रहा है और जल्द ही हमें यह भी देखने को मिल सकता है की देश के हर चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग हारते हुए नज़र आने लगें क्योंकि जब जनता में इनको हटाने कई आशा जग जाएगी तब वह निकल कर वोट भी डालेगी. आज के समय में सबसे बड़ी समस्या यही है की देश में आधी आबादी किसी भी चुनाव में वोट डालना पसंद ही नहीं करती है जिससे कम वोटों के खेल में मक्कार और भ्रष्टाचारी लोग चुनाव जीत जाया करते हैं. अब समय है की हम अपने में इतना बदलाव अवश्य करें की आने वाल हर चुनाव में देश के भविष्य को तय करने के लिए वोट देने अवश्य जाएँ क्योंकि हो सकता है की हमारे वोट ग़लत लोगों को संसद और विधान सभा में पहुँचने से रोक सकें और देश का भविष्य फिर से अच्छे और सुरक्षित हाथों में पहुँच सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
"तिलक, तराजू और तलवार इनमें मारो जूते चार" सरीखे नारों में इस्तेमाल की गई असभ्य भाषा के बल पर जो दल सत्ता तक आया हो, उसमें कैसे लोग शामिल होंगे इस बात को अच्छी तरेह समझा जा सकता है.
जवाब देंहटाएं