मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 22 मई 2011

भगोड़ों की सूची

          भारत द्वारा अपने यहाँ फैलाये जा रहे आतंक और अन्य गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त लोगों के पाकिस्तान में होने के बारे में जो सूची पाक को सौंपी थी पाक ने उस पर गंभीरता से काम करने के बारे में कहा है. इस तरह की बातें पहले भी पाक द्वारा की जा चुकी हैं पर जब भी धरातल पर कुछ करने का समय आता है वह इससे पीछे हट जाता है. फिलहाल हो सकता है कि लादेन प्रकरण के बाद पाक कुछ हद तक भारत द्वारा दी गयी सूची के कुछ लोगों को हिरासत में ले भी ले पर इससे भारत के ख़िलाफ़ पाक की मंशा में कोई अन्तर नहीं आता है. जिस तरह से पाक के गृह मंत्री और मंत्रालय ने इस सूची पर ध्यान देने के लिए कहा है वह अच्छी बात है पर सम्बन्ध तभी अच्छे हो सकते हैं जब दोनों देश इस तरह के मसलों पर एक तरह से ही सोचना शुरू करें. फिलहाल तो पाक ने हर मुद्दे को अपनी ज़रुरत के हिसाब से ढालने में महारत हासिल की हुई है.
         भारत द्वारा दी गयी सूची में हुई गड़बड़ी के बारे में पाक ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है इससे लगता है कि वह इस गड़बड़ी पर ध्यान नहीं देना चाहता है. भारत ने भी इस सूची में हुई गड़बड़ी के बारे में दो लोगों के नाम शामिल होने पर खेद जताया है. भारतीय गृह मंत्री ने इसे अपने मंत्रालय के स्तर पर हुई चूक की ज़िम्मेदारी ली है और कहा है कि इस घटना से गृह मंत्रालय को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है. फिर भी समय रहते इस ग़लती को सुधार लिया गया है. चिदंबरम ने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें ग़लती से शामिल लोगों से माफ़ी मांगने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि मंत्रालय ने उनसे खेद व्यक्त कर दिया है. इस तरह की किसी भी ग़लती को वैसे तो ठीक नहीं माना जाता है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को धक्का पहुंचाती है फिर भी आगे से इस तरह की ग़लती को रोकने के लिए सूचना तंत्र को अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता है.  भारत द्वारा दी जाने वाली ऐसी सूचियों के बारे में पाक की राय कभी भी ठीक नहीं रही है.
        भारत द्वारा पहले भी इस तरह की कई सूचियाँ पाक को सौंपी गयीं है फिर भी अभी तक पाक ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया है और इस बार उसका यह कहना कि वह इस पर विचार करेगा केवल गुमराह करने वाला एक रास्ता हो सकता है. पाक पर इस बात का बहुत दबाव है कि वह अपने यहाँ किसी भी घोषित अंतर्राष्ट्रीय अपराधी को नहीं रहने दे पर यहीं पर पाक और बाक़ी दुनिया की सोच में अंतर आ जाता है क्योंकि भारत और पूरी दुनिया जिन्हें आतंकी कहते हैं पाक उन्हें मुजाहिद और तालिब कहता है. दोनों में इस तरह की सोच का अंतर इस मसले को कभी भी किसी ठोस स्तर तक नहीं पहुँचने देगा और भारत के साथ बाक़ी दुनिया से पाक के सम्बन्ध हमेशा इसी तरह से खटास से भरे रहेंगें. पाक की मंशा में ही खोट है और वह उस बंटवारे को ईमानदारी से नहीं मानना चाहता है जो १९४७ में हुआ था जिस कारण आज तक वह सुकून से नहीं बैठ पाया है. यह क़ुदरत का निज़ाम है कि जो जैसा करता है उसे वैसा ही भुगतना पड़ता है और पाक इतने दिनों से फैलाये जा रहे आतंक की आंच को अब अच्छे से महसूस कर रहा है.    
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