मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 28 मई 2011

नए कैबिनेट सचिव

भ्रष्टाचार में रोज़ ही नये कीर्तिमान स्थापित कर रही उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के लिए एक ख़बर ताज़े हवा के झोंके की तरह आयी है. केंद्र सरकार ने १९७४ बैच के उत्तर प्रदेश काडर के वरिष्ठतम अधिकारी अजित कुमार सेठ को नया कैबिनेट सचिव बनाया है. जिस तरह से इस पद के लिए पुलक चटर्जी का नाम भी सामने आ रहा था उससे एक बार लगने लगा था कि शायद गाँधी परिवार के निकट होने के कारण उन्हें ही यह पद दिया जाएगा पर इस नियुक्ति में केंद्र सरकार ने वरिष्ठता का सख्ती से पालन किया और सेठ को यह ज़िम्मेदारी दी है. इस नियुक्ति से यह तो साबित ही हो जाता है के आने वाले समय में जब कई वरिष्ठ प्रशासनिक पद खाली होने वाले हैं तो उनमें भी वरिष्ठता का सख्ती से पालन किया जायेगा और जो भी लोग किसी तरह के गठजोड़ और जोड़ तोड़ में लगे हुए हैं उनकी एक भी नहीं चल पायेगी. देश के लिए अब यह ज़रूरी भी है कि अच्छे अधिकारियों के सामने लाया जाए.
वैसे भी सेठ को प्रशासनिक हलकों में कड़े तेवरों वाले पर नम्र अधिकारी के रूप में जाना जाता है. इनकी एक ज़बरदस्त ईमानदार अधिकारी की छवि है जो केवल नियमों के अनुसार काम करने में विश्वास करते हैं. आज देश में भ्रष्टाचार की जो स्थिति है उसे देखते हुए अब हमें ऐसे ही अधिकारियों की आवश्यकता है जिनके पास काम करने के अच्छे अनुभव के साथ बिना किसी दबाव के काम करने की हिम्मत भी हो. आज के समय में जिस तरह से अधिकारियों में नेताओं के सामने घुटने टेकने और उनके तलवे चाटने की जो प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है उसने भी देश का बहुत बड़ा नुक्सान किया है. देश में क्या होना चाहिए यह एक नेता की दृष्टि से कुछ और होता है पर अधिकारी पर उसकी हर अच्छी बुरी बात को समझ कर उसके परिणामों के बारे में बताने और आगाह करने की ज़िम्मेदारी होती है पर आज के समय में अपने हितों के आगे लोग देश के हितों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं जिससे देश के हितों के साथ समझौता होता चला जा रहा है.
यही सही समय है कि अब मनमोहन सरकार देश के वरिष्ठतम और कर्मठ अधिकारियों को काम करने के लिए सामने लाये जिससे देश का भला हो सके. ऐसा नहीं है कि देश में ईमानदार अधिकारियों की कोई कमी है पर जिस तरह से गलत ढंग से कुछ लोगों को आगे लाने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है उससे नौकरशाही में काम करने वाले अच्छे लोग चुप होकर बैठ जाते हैं और केवल अपनी नौकरी करने लगते हैं जबकि इन लोगों के हाथों में देश के बारे में कुछ करने के अधिकार होने चहिये. २ जी घोटाले में बेहुरा अब सारी ग़लती राजा के सर मढ़ रहे हैं पर जब वे खुद घोटालों में शामिल थे तब उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ? बस इसी से अधिकारियों को यह समझ लेना चाहिए कि वे देश के हितों की रक्षा करने के लिए हैं किसी नेता की नहीं. अब आशा की जानी चाहिए कि सेठ के अनुभव और ईमानदारी का लाभ देश को मिलेगा और आने वाले समय में देश के कई पदों पर ऐसे ही ज़िम्मेदार और ईमानदार लोगों की नियुक्ति की जाएगी. मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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