मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 5 जून 2011

अब इलियास कश्मीरी

      पाक में जिस तरह से लगातार शीर्ष चरमपंथी नेताओं को हमले में मारा जा रहा है उससे यही लगता है कि आने वाले दिन पाक के लिए बहुत कठिन साबित होने वाले हैं. अभी तक जिस तरह से पाक को दुनिया में आतंक फ़ैलाने के देश के रूप में भारत द्वारा स्पष्ट रूप से कहा जा रहा था इन सब घटनाओं से उसकी पुष्टि भी होती है. आज भी अमेरिका पाक को अपना सबसे करीबी सहयोगी कहने से नहीं चूकता है पर आतंक के मसले पर वह उसके ख़िलाफ़ कुछ भी बोलने से परहेज़ भी करता रहता है जिससे पाक सेना और आईएसआई में आतंक समर्थक लोगों को काम करने में आसानी होती है. एक रणनीति के तहत पाक सेना अपने छोटे स्तर के सैन्य अधिकारियों को चरम पंथियों के साथ मिलाये रहती है तो वहीँ दूसरी तरफ केवल दिखावे के लिए वह अमेरिका के साथ कुछ बहुत छोटे समूहों पर हमले करके उन्हें मारकर अपने को आतंक के ख़िलाफ़ अमेरिका के कथित युद्ध में सहयोगी भी बताती रहती है.
        मुंबई हमलों के योजनाकर्ता के रूप में इलियास का नाम शुरू से ही सामने आता रहा है पर पाक हमेशा से ही यह कहता रहा है कि भारत द्वारा लिस्ट में सौंपे गए कोई भी आतंकी पाक की धरती पर हैं ही नहीं ? इस तरह से इलियास कश्मीरी का मारा जाना और अन्य आतंकियों को पाक द्वारा समर्थन दिया जाना भी अपने आप में सारी कहानी खुद ही बयां कर देता है. आज पाक में इलियास के मारे जाने के बाद फिर से आक्रोश का माहौल है और यह वही लोग हैं जिन्हें पाक ने जिहाद के नाम पर तैयार किया था आज वे पाक पर ही गुर्राने लगे हैं. पाक ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अफगानिस्तान से तालिबान को खदेड़ दिया जायेगा क्योंकि उसे हमेशा यही लगता रहा कि अफगानिस्तान उसकी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए हमेशा ही आतंकियों के कब्ज़े में रहने वाला है ? पर जबसे वहां पर तालिबान को उखाड़ा गया है तब से आतंकी छिपने के लिए पाक में अपने अड्डे बनाने में लग गए थे. 
    पाक ने दुनिया की नज़रों से इन आतंकियों को बहुत दिनों तक बचाकर रखा पर जब इन आतंकियों ने अपने नेटवर्क को मज़बूत कर लिया तो वे किसी कि भी सुनने को तैयार नहीं हुए जिसका परिणाम पाक पर अमेरिका के दबाव के रूप में सामने आया. जब पाक की सेना ने सूचना के नाम पर गद्दारी शुरू की तब भी अमेरिका की आँखें नहीं खुलीं ? इन सबसे बचने के लिए अमेरिका ने ड्रोन हमलों का सहारा लिया क्योंकि बिना पाक के सही समर्थन के ज़मीन पर कुछ भी करने के अपने जोख़िम होते हैं और अमेरिका को अपने यहाँ हर मौत के लिए जवाब देना पड़ता है जो उसके लिए बहुत मुश्किल काम होता है. अब भी समय है कि अमेरिका पाक की असली सूरत को पहचान ले जिससे आने वाले समय में वहां पर आतंक की फैक्ट्री बंद हो सके और पाक को भी चाहिए कि अब वह हर बात में अमेरिका को ताकने के स्थान पर अपने को खुद कुछ करने लायक भी बना ले.         
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