उत्तर रेलवे के नई दिल्ली मंडल ने यात्रियों तक बेहतर सुविधाएँ पहुँचाने के मकसद से कुछ दिनों पहले लोकप्रिय नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर अपना खाता खोला था और यह आशा की थी की यात्रियों को होने वाली उन असुविधाओं के बारे में यहाँ पर कुछ जानने का प्रयास किया जायेगा जो आम तौर पर रेलवे की नज़रों के सामने नहीं आ पाती है और यात्री भी वे बातें रेलवे तक पहुँचाना चाहते हैं पर उनके पास कोई ऐसा साधन नहीं होता था जिसके माध्यम से वे यह कर सकें. शुरु में केवल इसी उद्देश्य से शुरू की गयी इस योजना के बारे में बाद में यह सोचा गया की क्यों न यात्रियों को फेसबुक के माध्यम से ही पूरी जानकारियां उपलब्ध करा दी जाएँ जिन्हें वे बार बार रेलवे के पूछताछ विभाग से जानना चाहते हैं. इसी क्रम में अब रेलवे ने अपने कंट्रोल रूम के सूचना तंत्र से फेसबुक को सीधे ही जोड़ दिया है और अब यात्री केवल इस पेज पर जाकर ही नईदिल्ली स्टेशन पर लगे हुए डिस्प्ले को अपने कंप्यूटर पर भी देख सकते हैं. इस सुविधा से यह लाभ होगा कि कौन सी गाड़ी कितने बजे और किस प्लेटफ़ॉर्म से जा रही है यह पूरी जानकारी यात्रियों को अपनी सुविधानुसार मिल जाएगी.
देखने में तो ऐसा लगता है कि केवल कुछ लोग ही इसका उपयोग कर पायेंगें पर शुरू में इस तरह की आशंका ई टिकट के बारे में भी व्यक्त कि गयी थी कि आख़िर इस सुविधा का उपयोग कितने लोग कर पायेंगें ? पर आज रेलवे के बहुत अच्छी संख्या में टिकट इस सुविधा का लाभ उठाकर भी बुक कराये जा रहे हैं. आज देश में जिस तरह से कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है उससे काफी बड़ी संख्या में लोगो को इस तरह की किसी भी सुविधा से बहुत बड़ा लाभ मिलने लगेगा जो कि इतने बड़े स्टेशन पर पहुँचने वाले यात्रियों के लिए बहुत बड़ी सुविधा लेकर आएगा. आज के समय में रेल के विशाल नेटवर्क को पूरी तरह हर स्तर पर ऑनलाइन करने की आवश्यकता है क्योंकि रेलवे में इतने प्रयास के बाद भी हर स्तर पर भ्रष्टाचार अभी भी बहुत है और उसे तभी दूर किया जा सकता है जब यात्री गाड़ी परिचालन को पूरी तरह से सभी के सामने खोल दिया जाये और वहां पर होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के ईमानदार प्रयास किये जाएँ. रेल में बहुत सारी गड़बड़ी केवल इसलिए ही है कि वहां पर पारदर्शिता की बहुत कमी है.
रेलवे के पास आज इस तरह के नए प्रयोगों को करने के लिए बहुत अवसर खुले पड़े हैं पर देखना यह है कि वहां पर बैठे सरकारी बाबुओं को यह सब कहाँ तक रास आने वाला है ? एक सोच जो रेलवे को अब बदलनी ही होगी कि गाड़ी का चार्ट बन जाने के बाद सारा कुछ टीसी के हाथ में चला जाता है वह अपने आप ही बहुत बड़े भ्रष्टाचार को नित्य ही जन्म देता रहता है. आज पूरे देश में रेलनेट उपलब्ध है पर अभी तक उसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा है. अब समय है कि चार्ट बनने के बाद भी सीटों की पूरी जानकारी नेट पर उपलब्ध होनी चाहिए और जहाँ पर इसकी पारदर्शिता को ख़त्म किया जाता है वहीं पर इसे पूरी तरह से खोल दिया जाये. अब जब रेलवे ने मोबाइल से टिकट बुक करने की सुविधा दे दी है और टिकट की मोबाइल में छवि को ही टिकट की मान्यता दे दी है तो यात्रियों को गाड़ी छूटने के बाद भी टिकट बुक करने की छूट मिलनी चाहिए इससे रेल को लाभ होगा और जो भ्रष्टाचार बढ़ाने और राजस्व में हानि का कारन है वह खुद ही समाप्त हो जाएगी. टीसी के पास भी हाथ वाली डिवाइस होनी चाहिए जिससे वह उपलब्ध सीट्स को नियमपूर्वक टिकट बनाकर यात्रियों को दे सकें और पैसे मांगने और भ्रष्टाचार फ़ैलाने का काम कम हो सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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