मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 26 जून 2011

पीओके में चुनाव

पाक अधिकृत कश्मीर में एक बार पाक सरकार फिर से दुनिया को दिखाने के लिए चुनाव करने जा रही है जिससे पीओके को कुछ भी हासिल नहीं होता पर पाक सरकार अपनी पीठ ज़रूर थपथपा लेती है कि उसकी देख-रेख वाले कश्मीर में भारत से अच्छी तरह से चुनाव कराये जाते हैं. जिस तरह से पाक अपने यहाँ के इन चुनावों को भारत से अच्छा बताता रहता है उसकी पोल तो चुनाव लड़ने से रोकने के कारण चिल्लाने वाले दलों के बयानों से ही हो जाती है. जिस तरह से पाक में अलगाव वादी दलों को चुनाव में भाग नहीं लेने दिया जाता है वहीं पर भारत हर बार चुनावों से पहले सभी अलगाववादियों से अपील करता है कि वे भी चुनावों में भाग लेकर अपनी बात को सभी के सामने रखने के लिए आगे आयें. भारत में होने वाले इन चुनावों मे आतंकी इसलिए भाग नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें भी पता है कि समय आने पर जनता उन्हें उनके अत्याचारों के कारण नकार देगी और वे कहीं से भी अपनी बात को रखने की स्थिति में नहीं रह जायेंगें.
   पाक इन चुनावों में राष्ट्रीय दलों के साथ चुनाव इस लड़ रहा है अभी तक कुछ स्थानीय गुट ही इस पूरे मामले में दिखाई देते थे और कहीं से भी राष्ट्रीय दलों का दखल नहीं दिखाई देता था. पाक ने चुनाव लड़ने के लिए जिन शर्तों को लगा कर रखा है उन पर उसके द्वारा पाले गए आतंकी ही सहमत नहीं हैं जिससे इन चुनावों का और भी मज़ाक बन गया है. अब दुनिया को दिखाने के लिए यह सब करना भी ज़रूरी है वहीं पाक के आतंकी गुट यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि ये इलेक्शन नहीं सेलेक्शन है क्योंकि यहाँ पर होना वही है जो पाक सरकार कहेगी तो फिर इसे चुनाव क्यों कहा जाता है ? यह सही है कि पाक को अभी भी लोकतंत्र के बारे में बहुत कुछ सीखना है वहां पर सेना का दबाव हर जगह पर इतना है कि दिखावे के लिए पाकिस्तान को चलने वली सरकारें भी सेना की मर्ज़ी के बगैर कुछ भी नहीं सोच सकती हैं.
    अच्छा हो कि पाक इन चुनावों को निष्पक्ष तरीके से करवाए क्योंकि इन चुनावों के माध्यम से वह अपने पर पीओके के लोगों और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का दबाव कम करना चाहता है. जम्मू और कश्मीर में भारत द्वारा कराये गए कसी भी चुनाव की निष्पक्षता को पूरी दुनिया मानती है और अब पाक उसी बात की नक़ल करना चाहता है जबकि उसे यह नहीं पता है कि जब खुले मन से चुनाव कराने की मंशा हो तभी उतने निष्पक्ष चुनाव कराये जा सकते हैं जिसके अभी पाक में बहुत कमी है. अच्छा तो यह हो कि पाक कश्मीरियों के हितों का दिखावा करना बंद करे और कश्मीर के जिस हिस्से पर उसने अवैध कब्ज़ा कर रखा है उसे भी छोड़े ? भारत से मुकाबला करने के लिए अभी पाक को बहुत रास्ता तय करना है और जब तक सही काम करने कि मंशा नहीं होगी तब तक पाक की हसरत पूरी नहीं हो सकती है. आज पूरी दुनिया में मुसलमानों का जितना अहित पाक ने किया है उतना शायद ही किसी अन्य देश ने किया हो क्योंकि पाक ने इस्लाम के नाम पर पूरी दुनिया में जो नफ़रत का सौदा करना शुरू किया है अब वह किसी से भी छिपा नहीं है.  
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें