मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 3 जुलाई 2011

तिहाड़ में आराम

         जिस तरह से ट्रायल कोर्ट के जज ब्रिजेश कुमार गर्ग के तिहाड़ जेल के औचक निरीक्षण के दौरान वहां बंद किये गए बड़े प्रभावशाली लोगों को विशिष्ट सुविधाएँ दिए जाने की बातें सामने आई हैं उनसे यही लगता है कि अभी भी दबाव और प्रशासन के सामने जेल के अधिकारियों की कानून को लागू करने की हिम्मत नहीं होती है. यह देश की सबसे अधिक व्यवस्था से युक्त जेल मानी जाती है फिर भी वहां पर जिस तरह से सभी बड़े घोटालेबाज़ बिना किसी रोक टोक के रह रहे थे उस पर आपत्ति कर के रिपोर्ट मांगे जाने से ही वहां पर चल रही अनियमितताओं के बारे में ठीक से पता चल पायेगा. यह सही है कि ये सभी अभी तक आरोप ही हैं पर जिस तरह से इके खिलाफ सबूत मौजूद हैं तो उन्हें अपराधियों की श्रेणियों में रखने में कोई बुराई नहीं है इन लोगों ने जब देश के साथ ऐसा अपराध करने में नहीं सोचा तो अब देश को भी इनके बारे में कुछ भी सोचने की आवश्यकता नहीं रह गयी है.  
     राष्ट्रमंडल खेल में अपना खेल दिखाने वाले कलमाड़ी जेल अधीक्षक के साथ चाय पीते मिले जिससे यह तो पता चलता ही है कि जेल में क्या होता है और सभी बड़े नाम वाले क़ैदियों कि सेल के ताले भी खुले हुए थे जिससे यह भी कहा जा सकता है कि ये लोग वहां पर केवल ऐश कर रहे है ? जेल का सूचना तंत्र भी कितना पक्का है यह बात भी स्पष्ट हो गयी है क्योंकि औचक निरीक्षण पर पहुंचे जज जब अधीक्षक के कमरे तक पहुंचे तो भी वे कलमाड़ी के साथ बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे ? जेल के गेट से अन्दर तक पहुँचने में उन्हें कुछ समय तो लगा ही होगा और इतने समय में कोई भी यह बात अपने अधीक्षक तक नहीं पहुंचा सका जो कि बहुत ही चिंताजनक है ? क्या ठीक इसी तरह से कोई भी कहीं भी आ जा सकता है ? शायद आम आदमी के लिए यह सब इतना आसान नहीं होगा फिर भी इस तरह से कोई अन्य किसी तरह का षड्यंत्र करके इन लोगों को हानि तो पहुंचा ही सकता है ? 
     अब भी समय है कि इन सभी बातों पर ध्यान दिया जाये क्योंकि इसी जेल में आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे कैदी भी रहते है और कुछ लोगों की आव भगत में लगा जेल प्रशासन जब कुछ लोगों को इस तरह से छूट देने लगेगा तो कोई जेल कर्मचारी पैसों के लालच में किसी बड़े आतंकी को भी खुले घूमने की छूट दे सकता है ? जिससे इन लोगों की सुरक्षा के साथ ही पूरे देश के लिए भी कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. राजनैतिक अपराधियों को घोटाले करने पर आम घोटालेबाज की तरह क्यों नहीं रखा जा सकता है ? जब उन्होंने देश के साथ गद्दारी की है तो उनको आख़िर क्यों किसी भी तरह की कोई भी विशिष्ट सेवा दी जाये ? ये सभी देश के ख़िलाफ़ आर्थिक आतंक के दोषी हैं जो पैसा कहीं और लग सकता था इन लोगों की गद्दारी के कारण ही वह गलत हाथों में चला गया है. जेल में निरुद्ध इस तरह के किसी भी व्यक्ति को कोई भी सुविधा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ये लोग राजनैतिक बंदी नहीं हैं ये पूरी तरह से अपराधी हैं और देश को अब इस तरह अपराधियों से सख्ती से निपटना सीखना ही होगा.        
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