माया सरकार के लिए कहीं से भी मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं क्योंकि अभी तक महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की जिस तरह से बाढ़ दिखाई दे रही थी उसके थमने के बाद अब यह नयी समस्या उनके सामने आ गयी है. चुनावी वर्ष होने के कारण विपक्षी दल भी माया के ख़िलाफ़ किसी भी ऐसे आदेश का अपने राजनैतिक प्रचार के लिए भरपूर उपयोग करने वाले हैं क्योंकि इससे माया की तथाकथित गरीबों की सरकार की छवि को बहुत बड़ा धक्का लगता है. अभी तक यह सरकार हर मामले में यही कहा करती थी कि राहुल उत्तर प्रदेश में राजनीति कर रहे हैं पर अब जनता को यह लगने लगेगा कि हाँ कहीं न कहीं से राहुल इस मामले को सही ढंग से उठा रहे थे. अब ऐसे में कल तक राहुल की यात्रा को नौटंकी बताने वाले लोगों को अब सांप सूंघ गया है क्योंकि राहुल ने जिस तरह का नियंत्रित खतरा इस मामले में लिया था उसका असर उल्टा भी पड़ सकता था अगर यह फैसला सरकार के पक्ष में आ जाता ?
इस पूरे मामले में सरकार और बिल्डरों के बीच की सांठ-गांठ का तो खुलासा हो ही गया है और साथ ही उन निवेशकों के लिए बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है जिन्होंने नोयडा ऑथारिटी से अनुमोदित होने के कारण इन योजनाओं में अपने लिए एक घर का सपना भी देख लिया था ? अब भी समय है कि सरकार को किसी भी तरह से स्थानीय किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के साथ ही घर पाने के लिए निवेश किये गए पैसे को भी सुरक्षित रखने की दिशा में कोई कदम उठाना ही चाहिए क्योंकि आज जिस तरह का माहौल बन गया है वह आने वाले समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विकास के पहिये को थामने वाला साबित हो सकता है. यह सही है कि भूमि तो अब किसानों से ही ली जाएगी पर कम दामों में भूमि लेकर उस पर मोटा मुनाफ़ा कमाने की लालसा पर अब सख्त कानून बनाकर लगाम कसनी ही होगी क्योंकि कुछ लोगों की मिली भगत से अब किसानों के नुकसान के साथ सरकार के राजस्व में भी चूना लगाने से बचाने के लिए अब तो कुछ करना ही होगा और अगर माया सरकार अब भी नहीं चेती तो आगामी वर्ष में मायावती के संसद में और उत्तर प्रदेश में बसपा के विपक्ष में बैठने की पूरी सम्भावना है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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