इसरो ने पीएसएलवी सी-१७ से संचार उपग्रह जी सैट-१२ को सफलता पूर्वक अन्तरिक्ष में भेजकर एक और आयाम गढ़ दिया है क्योंकि इस प्रक्षेपण के लिए जिस यान का उपयोग किया गया आम तौर पर उससे रिमोट सेंसिंग उपग्रहों को ही कक्षा में स्थापित किया जाता है जो कि कम ऊंचाई वाली कक्षा होती है पर पहली बार भारत ने इसमें कुछ बदलाव करके इससे अधिक ऊंचाई पर स्थापित किये जाने वाले उपग्रह को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. इसरो का कहना है की इसमें भारत में ही निर्मित किये गये विक्रम प्रोसेसर्स लगे हुए हैं जो इस यान की कार्य क्षमता को बहुत बढ़ा देते हैं. भारत का अन्तरिक्ष कार्यक्रम जिस गति से आगे ही बढ़ता जा रहा है उससे लगता है कि विश्व में स्थापित अन्तरिक्ष यानों में कुछ सुधार करके इनके प्रक्षेपण को कम खर्चीला बनाकर इसरो पूरी दुनिया के उपग्रहों को अन्तरिक्ष में भेजकर अपने खर्च को खुद चलाने के साथ ही एक लाभ देने वाले संस्थान के रूप में विकसित हो सकता है. आज के नयी तकनीक के ज़माने में जब इस तरह के किसी भी काम का खर्च बहुत बढ़ता चला जा रहा है तो इसरो के आत्मनिर्भर होने से भारत अपने स्थान को सुरक्षित कर सकेगा.
भारत की विशालता को देखते हुए जिस तरह के संचार और संपर्क माध्यमों की आवश्यकता है उसको पूरा करने में अभी भी हम पीछे हैं पर यह आशा कर सकते हैं कि आने वाले समय में इसरो अपने तंत्र को और सुगठित और मज़बूत करने के साथ ही इस दिशा में देश को नयी राह दिखाने का काम भी कर सकेगा. भारत सरकार इस तरह के अभियानों को कितना महत्व देती है यह इस बात से ही पता चल जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणस्वामी खुद इस अवसर पर मौजूद थे. प्रधानमंत्री कार्यालय की इस तरह के कामों में दिलचस्पी जहाँ वैज्ञानिकों को और लगन से काम करने की प्रेरणा देती है वहीं साथ ही भविष्य में आवश्यकता होने पर किसी बड़े अभियान में धन की कमी होने को भी रोकने में सहायक होगी. वैसे कायदे से इस तरह की परंपरा बनायीं जानी चाहिए कि देश के वैज्ञानिकों के किसी भी प्रयास को सराहने के लिए इनसे जुड़े मंत्रालयों से कोई मंत्री खुद ही वहां जाकर वैज्ञानिकों को इस बात का एहसास कराये कि देश उनके साथ है जिससे उनके काम को सराहना मिल सके वरना वे देश के लिए काम तो कर ही रहे हैं.
भारत आज जिस तरह के परिवेश में विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है आने वाले समय में इनसे निपटने में सूचना और तकनीक का बहुत महत्व होने वाला है जिसके लिए हमें अपने स्तर पर ही सब कुछ विकसित करना होगा . सुरक्षा से सम्बंधित चिताएं हमेशा से ही आम भारतीय को कचोटती रहती हैं अब समय आ गया है कि इसरो इस दिशा में भी देश के लिए कुछ ठोस कार्यक्रम बनाये जिससे सरकारी और पुलिस तंत्र को सुरक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं को संचार माध्यमों के माध्यम से सहायता मिल सके. आज भारत में जो कुछ है बस उसे पहचानने की ज़रुरत है क्योंकि विदेशों पर हर बात के लिए निर्भर रहने से हम अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते हैं और जो कि देश के लोगों के साथ हमारे संसाधनों पर भारी पड़ता है. हमारे वैज्ञानिकों ने जिस तरह से ९८ के परमाणु परीक्षणों के बाद भी अपने कार्यक्रमों को लगातार चलाये रखा था वह बहुत ही सराहनीय है क्योंकि उस समय पूरी दुनिया से हमें तकनीक के रूप में कुछ भी हासिल नहीं हो रहा था. वैसे जो भी हुआ उस पर अब समय नष्ट न करके हमें अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. सलाम है इसरो को और उन सभी को जो अपने काम को पूरी लगन से करके देश की छवि को आगे और चमकाने में लगे हुए हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
प्रशंसनीय्र।
जवाब देंहटाएं------
जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!