केंद्र सरकार एक बार फिर से इस बात पर विचार कर रही है कि आख़िर किस तरह से देश में डीज़ल से सब्सिडी पूरी तरह से हटाई जाए. जब भी डीज़ल की बात आती है तो यह कहकर उसके दामों में बढ़ोत्तरी कम की जाती है कि इसका सीधा असर सार्वजनिक परिवहन, मालभाड़े और किसानों पर पड़ेगा. यह एक ऐसा तर्क होता है जिसके आगे किसी भी सरकार को झुकना ही पड़ता है क्योंकि इन क्षेत्रों का सीधा असर मंहगाई पर पड़ता है और पहले से आग लगी मंहगाई में कोई सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती है जिससे ये समस्या और भी बढ़ जाये ? अभी तक जिस तरह से काम और प्रस्ताव की बातें की जा रही हैं उनसे लगता है कि कुछ नया भी आ सकता है फिलहाल वित्त मंत्री ने इस बात के संकेत तो दे ही दिए हैं कि वर्तमान व्यवस्था के तहत ही जल्दी ही डीज़ल के दामों में बढ़ोत्तरी की जा सकती है. तेल कम्पनियों के व्यापक और दीर्घकालिक हितों कि देखते हुए इनके दाम हर महीने तय किये जाने चाहिए.
पहले देश में डीज़ल का अधिकतर उपयोग परिवहन और कृषि क्षेत्र में होता था पर देश में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में अंतर को देखते हुए कार कम्पनियों ने अब डीज़ल से चलने वाली कारों के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया है जिससे मंहगी गाड़ियों में भी यह सब्सिडी वाला डीज़ल ही उपयोग होने लगा है. देश में लगे लाखों मोबाइल टॉवर भी डीज़ल से ही चलते हैं और नित नए खुलने वाले मंहगें माल्स भी डीज़ल से चलने वाले जेनेरेटरों का उपयोग कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि कैसे इस खपत को रोका जाये और केवल परिवहन तथा कृषि क्षेत्र के लिए ही इस तरह के सब्सिडी वाले डीज़ल को उपलब्ध कराया जाये ? इसके लिए देश की सबसे बड़ी परिवहन व्यवस्था रेलवे के साथ राज्य परिवहन को भी सब्सिडी वाला डीज़ल दिया जाना चाहिए जो कि बहुत आसानी से हो सकता है पर जब बात किसानों की आती है तो भ्रष्टाचार का जन्म यहीं से होने की आशंका है.
इसके लिए कोई भी परिवर्तन करने के स्थान पर सबसे पहले सरकार को किसानों की खसरा खतौनी और भूमि के अनुरूप उनके लिए हर महीने दिए जाने वाले डीज़ल की मात्रा का निर्धारण करके उनके लिए हर तहसील में पड़ने वाले कुछ रिटेल आउटलेट चिन्हित करने चाहिए और इसके साथ ही हर किसान का खाता आस पास के किसी बैंक में होना चाहिए. इन किसानों को भी तेल पूरी धनराशि के साथ ही मिले पर साथ ही इनके बैंकों में खाद डीज़ल के मद में एक निश्चित धनराशि डाल दी जाये जिसका उपयोग केवल डीज़ल/ खाद की खरीद में ही किया जा सके और इस धनराशि का उपयोग केवल चिन्हित किये गए रिटेल आउटलेट के खाते में ही किया जा सके. इससे जहाँ किसानों को सही दाम पर डीज़ल भी मिल जायेगा और साथ ही सरकार को भी भ्रष्टाचार रोकने में मदद भी मिलने लगेगी. अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह इसको किस तरह से करना चाहती है क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में बिना इसके यह सब संभव भी नहीं होने वाला है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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