मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

हाँ मैं हूँ अन्ना के साथ पर....

आज देश में एक अलग ही अलख जगाने वाले अन्ना के साथ पूरी ताक़त से पूरा देश खड़ा होना चाहता है तो मैं भी उसमें साथ में होना चाहता हूँ पर मुझे नहीं पता कि क्या मैं नैतिक तौर पर अन्ना के साथ जाने लायक हूँ भी या नहीं ? आज हर व्यक्ति अन्ना अन्ना चिल्ला रहा है मेरा भी मन करता है कि छोड़ दूं अपना यह चिकित्सा व्यवसाय और कूद पडूँ इस आन्दोलन में..... पर जब भी मन में यह बात आती है तो कही से एक आवाज़ यह भी आती है कि क्या मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में इतना ईमानदार रहा हूँ कि इस तरह के आन्दोलन में नैतिक रूप से सम्मिलित हो सकूं ? तो शायद लगता है कि मेरी पात्रता में अभी कुछ कमी है अपने जीवन में मैं यह तो कह सकता हूँ कि मैं कभी किसी लालच में कोई काम नहीं किया पर साथ ही यह नहीं कह सकता कि कभी अपना काम करवाने के लिए मैंने भ्रष्टाचार का साथ नहीं दिया ? या फिर पैसे देकर अपना काम नहीं करवाया.....
     अन्ना आपने जो अलख इस देश में जगाई है उसको बचाने की ज़िम्मेदारी अब आप और आप की टीम पर है क्योंकि जब भी कुछ ऐसा होता है समर्थन करने वालों की भीड़ आ जाती है और इसे आम जनता का अति उत्साह माना जाता है जो कि कहीं से भी सही नहीं होता... अन्ना आप देखिये कि आज आपको कौन समर्थन करना चाहता है कर्नाटक में दागी भाजपा या फिर आपके जेल में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ते समय उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के कारण मजबूरी में इस्तीफ़ा देने वाले मंत्री की बसपा ? अन्ना मैं भी कुछ हद तक बेईमान हूँ पर इतना भी नहीं कि अपनी बेईमानी को स्वीकार न कर सकूं.. आम आदमी की बेईमानी सबको दिखती है पर नेताओं की किसी को नहीं. आज जनता इसीलिए आप के साथ है क्योंकि आप ने वह मुद्दा उठाया है जो हम उठाना चाहते थे पर इक्की दुक्की आवाज़ों को सत्ता के बल पर दबाया गया जिससे आम लोगों की हिम्मत ही नहीं होती ऐसा कुछ करने की... हाँ अन्ना मैं कायर भी हूँ कि आप के इस आन्दोलन से पहले मैंने खुद उठकर खड़े होने के बारे में कभी नहीं सोचा...
     अन्ना मैं तब तक आपके साथ हूँ जब तक आप देश के संविधान के साथ हैं पर जब नेता और संसद अपनी ज़िम्मेदारी उठा पाने में असफल हो गए हैं तो क्या आप उससे ऊपर भी हो सकते हैं ? क्षमा सहित इस समय में देश के संविधान के साथ हूँ क्योंकि संविधान की पूरी तौर पर अवज्ञा करना राजद्रोह है और मैं ऐसा नहीं कर सकता हाँ पर जब आप देश की सड़ चुकी राजनैतिक व्यवस्था पर चोट करते हैं तो मैं आपके साथ हूँ... देश के संविधान में कमियां हो सकती हैं अन्ना पर उनके अनुपालन करने में लगे होने की कमियों को दूर करना ही हमारा उद्देश्य है तो हम सब साथ हैं... पर जब हमारे इस मंच पर ये बरसाती मेंढक जैसे नेता चमकने लगते हैं तो मेरा मन करता है कि इस मंच से नीचे आ जाऊं ? अन्ना ये एक मेरे मन की दुविधा नहीं है यह पूरे भारत के मन को उद्देलित करने वाले सवाल हैं.. आपके जन लोकपाल को तो कोई भी नेता मानने को तैयार नहीं है तो फिर इनकी बात हम कैसे मान लें ? अब मुझे खुद नहीं समझ आ रहा कि किस समय मैं आपके साथ हूँ अब आप ही ध्यान दें कि कहीं पूरे देश की इस दुविधा की स्थिति में कोई हताशा तो नहीं उपजने लगेगी......        
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. http://www.facebook.com/avinashvachaspati#!/groups/188332781233505/ आइये स्‍वागत है डॉ. आशुतोष शुक्‍ल जी। यह फेसबुk par pahala hindi samooh hai. pls join and sabko join karayen.

    जवाब देंहटाएं
  2. आशुतोष जी नमस्कार ,
    मै उत्कर्ष , आपके ब्लॉग का नियमित पाठक.
    मै आपकी इस बात से सहमत हूँ की हम कंही न कंही अपना काम करवाने के लिए भ्रष्टाचार का साथ दिया होगा. अगर आप की जैसा सब सोचने लेगे तो कुछ करने जरुरत ही नहीं है. सिर्फ घर पर बैठ कर आराम करना चाहिये, देश तो ये भ्रष्ट नेता चला ही लेंगे. आप सविधान के साथ कम और किसी पार्टी विशेष के साथ जयादा है. मुझे काफी बार लगा की आपकी लेख मे किसी पार्टी विशेष का पुट है, मै तो आपसे ये ही आशा करता हूँ की आप पार्टी से बहार निकल कर देश के बारे मै सोचे.
    आशुतोष जी ये मेरे विचार थे. आप सोचने लिखने और सोचने की क्षमता मेरे से कंही आधिक हो सकती है. हो सकता है की मै अभी आप की सोच को समझ ही नहीं पाया हूँ .

    क्षमा करे कुछ समय कम होने के कारण विचार हिंदी मै संभव नहीं है तो इंग्लिश का प्रयोग कर रहा हूँ.

    Anna Hazare, the anti- corruption crusader, has captured the imagination of Indians, across the world. Therefore, he and his campaign for a Jan Lok Pal Bill needs no further introduction. Anna Hazare has been fasting since 16 August and support have been pouring in from every where. While we may have our disagreements with some of the sections of Bill and the Bill even if implemented in totality may not bring an end to corruption. I also agree with people that the Jan Lokpal Bill is not the only issue that is plaguing the Indian society there are many other issues including Right to Food, Right to education, Medical care, Domestic Violence, Queer Rights, Land Acquisition, etc. However, most of us agree that Corruption deeply affects everyone individual in India today and its time to say 'Enough is Enough'.

    उत्कर्ष

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कर्ष जी कांग्रेस पर तो आज आरोप हैं ही पर जब बात उन लोगों की हो जो इस तरह के मुद्दों पर चिल्लाते हैं तो उस पर भी नज़र जानी चाहिए न... सारी पार्टियाँ एक जैसी हैं और जो सत्ता में होता है उसकी कोई नहीं सुनता है क्योंकि सभी को लगता है कि ये बल पूर्वक सब कर सकता है.... मेरे लेखों में केवल दोनों के पक्षों को रखने की कोशिश होती है जिसमें कई बार लगता है कि किसी पार्टी का समर्थन किया जा रहा है... मेरे आज १९ तारीख़ के लेख के बाद भी लोगों को ऐसा ही लग सकता है पर कभी इस नज़रिए से भी देखने में क्या बुराई है यह पक्ष भी सामने आना ही चाहिए और अगर आप मेरी इन बातों से पूरी तरह असहमत हों तो भी अवगत कराएँ...

    जवाब देंहटाएं