पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में सीबीआई ने जिस तरह से मोबाइल उपभोक्ताओं को केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार के बारे में सूचना देने के लिए अपने लखनऊ कार्यालय के नम्बर दिए हैं और उसके बाद से एक व्यक्ति को इस अभियान के तहत पकड़ा भी गया है. अभी तक जनता के सामने यह समस्या आया करती है कि ऐसे किसी भी मामले में वह किस तरह से शिकायत करे पर जब से यह नंबर लोगों तक पहुंचे हैं तभी से कर्मचारियों पर दबाव सा बन गया है. अब आवश्यकता इस बात की अधिक है कि इस तरह के अभियान को पूरी तरह से जनता के संज्ञान में लाया जाए जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी इस बात का और दबाव बन सके कि उनके ख़िलाफ़ कभी भी कार्यवाही हो सकती है. अभी तक यह तो नहीं कहा जा सकता कि इस अभियान से कोई बहुत बड़ा मकसद पूरा होने वाला है पर इससे कहीं न कहीं कुछ दबाव तो बन ही गया है जिसका लाभ आने वाले समय में दिखाई भी देगा.
दिन रात भ्रष्टाचार को कोसने वाले विभिन्न दल जो कि देश एक अलग अलग राज्यों में सत्तारूढ़ हैं भी अपने यहाँ पर इस तरह की व्यवस्था कर सकते हैं क्योंकि हर राज्य के पास अपना एक जांच तंत्र मौजूद है पर आवश्यकता इस बात की है कि इसकी जंग किस तरह से छुड़ाई जाए जिससे पूरे तंत्र और देश को इसका लाभ मिल सके. देश का कोई भी राजनैतिक दल इस मामले में पाक साफ़ नहीं है क्योंकि लोकपाल मसले पर पूरे देश ने यह देख ही लिया है कि इन सभी का सुर बिलकुल एक जैसा है ? अब यह पहल राज्यों को भी करनी चाहिए जिससे पूरे देश में इस तरह का माहौल बन सके और भ्रष्टाचारियों के लिए जीना और मुश्किल हो जाये. उत्तर प्रदेश में जिस तरह से सत्तारूढ़ दल के लोगों के ख़िलाफ़ लोकायुक्त की जांचों की रिपोर्टें सामने आती जा रही हैं और इनके साथ यहाँ के अधिकारियों पर भी अनियमितता करने के मामले बनते जा रहे है उससे यही लगता है कि देश में कुछ तंत्र कहीं न कहीं काम तो कर ही रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस तरह से पनपने वाले भ्रष्टाचार को रोका भी नहीं जा सकता है पर जिस तरह से राज्य सरकार ने लोकायुक्त की बहुत सारी जांचों पर कुंडली मार ली है उससे यही लगता है कि वह भी नहीं चाहती कि चुनावी वर्ष में राज्य सरकार के बारे ख़िलाफ़ विपक्षियों को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई ठोस सबूत मिल जाएँ ?
अब समय है कि पूरे देश में इस तरह के अभियान चलायें जाएँ जिससे लोगों के भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ गुस्से का सही लाभ उठाया जाये और उन्हें सजा दिलवाई जा सके. इस तरह से जब धर पकड़ होनी शुरू होगी तभी जनता को यह भी लगने लगेगा कि अब वास्तव में कुछ होने भी लगा है. भले ही दिखने के लिए ही सही पर अब इस तरह के मामलों में गिरफ़्तारी आदि को पूरी तरह से प्रचारित भी करना चाहिए जिसे इसे देख कर भी लोगों के मन में किसी अनियमितता के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने का साहस आ जायेगा. अभी तक जो शिकायत करता है उसी के ख़िलाफ़ कई तरह के मामले चलने लगते हैं या फिर जिसके ख़िलाफ़ शिकायत की जाती है वही उसे परेशान करने लगता है तो ऐसे माहौल में कौन अपने को इस तरह के झमेलों में फंसाना चाहेगा ? अब परिवर्तन का समय आ गया है और इसका लाभ पूरे देश को उठाना ही होगा क्योंकि इसके बिना कुछ भी ठीक नहीं होने वाला है. जनता को अगर अवसर दे दिए जाएँ तो वह खुद ही इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से रोकने में अपना सहयोग करने लगेगी.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
दिन रात भ्रष्टाचार को कोसने वाले विभिन्न दल जो कि देश एक अलग अलग राज्यों में सत्तारूढ़ हैं भी अपने यहाँ पर इस तरह की व्यवस्था कर सकते हैं क्योंकि हर राज्य के पास अपना एक जांच तंत्र मौजूद है पर आवश्यकता इस बात की है कि इसकी जंग किस तरह से छुड़ाई जाए जिससे पूरे तंत्र और देश को इसका लाभ मिल सके. देश का कोई भी राजनैतिक दल इस मामले में पाक साफ़ नहीं है क्योंकि लोकपाल मसले पर पूरे देश ने यह देख ही लिया है कि इन सभी का सुर बिलकुल एक जैसा है ? अब यह पहल राज्यों को भी करनी चाहिए जिससे पूरे देश में इस तरह का माहौल बन सके और भ्रष्टाचारियों के लिए जीना और मुश्किल हो जाये. उत्तर प्रदेश में जिस तरह से सत्तारूढ़ दल के लोगों के ख़िलाफ़ लोकायुक्त की जांचों की रिपोर्टें सामने आती जा रही हैं और इनके साथ यहाँ के अधिकारियों पर भी अनियमितता करने के मामले बनते जा रहे है उससे यही लगता है कि देश में कुछ तंत्र कहीं न कहीं काम तो कर ही रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस तरह से पनपने वाले भ्रष्टाचार को रोका भी नहीं जा सकता है पर जिस तरह से राज्य सरकार ने लोकायुक्त की बहुत सारी जांचों पर कुंडली मार ली है उससे यही लगता है कि वह भी नहीं चाहती कि चुनावी वर्ष में राज्य सरकार के बारे ख़िलाफ़ विपक्षियों को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई ठोस सबूत मिल जाएँ ?
अब समय है कि पूरे देश में इस तरह के अभियान चलायें जाएँ जिससे लोगों के भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ गुस्से का सही लाभ उठाया जाये और उन्हें सजा दिलवाई जा सके. इस तरह से जब धर पकड़ होनी शुरू होगी तभी जनता को यह भी लगने लगेगा कि अब वास्तव में कुछ होने भी लगा है. भले ही दिखने के लिए ही सही पर अब इस तरह के मामलों में गिरफ़्तारी आदि को पूरी तरह से प्रचारित भी करना चाहिए जिसे इसे देख कर भी लोगों के मन में किसी अनियमितता के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने का साहस आ जायेगा. अभी तक जो शिकायत करता है उसी के ख़िलाफ़ कई तरह के मामले चलने लगते हैं या फिर जिसके ख़िलाफ़ शिकायत की जाती है वही उसे परेशान करने लगता है तो ऐसे माहौल में कौन अपने को इस तरह के झमेलों में फंसाना चाहेगा ? अब परिवर्तन का समय आ गया है और इसका लाभ पूरे देश को उठाना ही होगा क्योंकि इसके बिना कुछ भी ठीक नहीं होने वाला है. जनता को अगर अवसर दे दिए जाएँ तो वह खुद ही इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से रोकने में अपना सहयोग करने लगेगी.
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