टीम अन्ना ने हरियाणा के हिसार लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह से जनता को जागरूक करने के लिए कमर कसी है वह देश के लिए बहुत ही अच्छा है क्योंकि जनता देशहित से जुड़े मुद्दों को तो बहुत ध्यान से सुनती है और उस पर कुछ करना भी चाहती है पर जब तक बदलाव का समय आता है तब तक इस तरह के आन्दोलन करने वाले और जनता भी इस मुद्दे को भूल चुके होते हैं जिससे इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है परन्तु इस बार टीम अन्ना जिस तरह से अपने आन्दोलन की धार को हर चुनाव में तेज़ करने की नीति पर चलना चाहती है वह ही वास्तव में देश में बड़े बदलाव को लाने की दिशा में ले जाने वाला होगा. ऐसा नहीं है कि इस तरह के बड़े आन्दोलन पहले नहीं चलाये गए हैं पर उनकी ऊर्जा को सही समय पर सही तरह से उपयोग में लाने पर कोई ठोस काम अभी तक नहीं हो पाता है जिस कारण से भी देश में बड़े बदलाव नहीं आ पाते हैं. किसी भी परिवर्तन के लिए निरंतर किये जाने वाले प्रयास ही अधिक कारगर साबित हुआ करते हैं न कि अल्पकालिक प्रयास ?
कोई भी राजनैतिक दल किसी भी स्तर पर किसी भी गड़बड़ी के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार नहीं मानता है जबकि इस सबके पीछे उसकी पार्टी द्वारा बनायीं गयी नीतियां ही अधिक ज़िम्मेदार हुआ करती हैं ? ऐसे में देश के नेताओं को यह समझाने का सही अवसर होता है कि चुनाव के समय जो कुछ वे कहते हैं उन्हें याद भी रखना उनकी ही ज़िम्मेदारी होती है. अब समय है कि नेताओं को इस भूलने की बीमारी से बाहर निकाला जाये और इस पूरे कार्यक्रम की प्रयोगशाला हिसार बनने जा रहा है जिससे भी नेताओं को बड़ी परेशानी होने वाली है क्योंकि राजनैतिक तौर पर हरियाणा बहुत सक्रिय प्रदेश है और वहां की जनता लगातार नेताओं पर दबाव भी बनाये रखती है. स्थानीय स्तर पर वहां पर बहुत सारे समूह चलते हैं जो कहीं न कहीं वास्तव में पूरी तरह से सक्रिय होते हैं और हरियाणा में आज भी आर्य समाज ने कहीं न कहीं तक अपना प्रभाव बना रखा है. स्वामी अग्निवेश और अन्ना के बीच मतभेद दूर होने की खबर के बाद भी यहाँ पर आर्य समाज भी चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने का काम अवश्य ही करेगा.
आज देश की जनता मुद्दों के लेकर सचेत तो हो गयी है पर उसकी इस जागरूकता को चुनाव तक बनाये रखना बहुत कठिन काम होता है क्योंकि जब आन्दोलन होते हैं तो जनता उसके साथ होती है और इस तरह के आन्दोलन के माध्यम से ख़ुद चुनाव तो नहीं लड़ा जा सकता तो फिर जनता को किसी एक वर्तमान राजनैतिक दल से ही किसी को चुनना होता है जिस कारण से भी वह मुद्दों को भूल जाना चाहती है ? पर बड़े परिवर्तनों के लिए इस तरह की भूल जाने वाली नीति कुछ भी नहीं कर सकती है अब समय है कि सभी को बराबर चौकन्ना होना ही होगा जिससे समय आने पर ज्यादा मेहनत किये बग़ैर ही परिवर्तन को लाया जा सके ? अभी देश को इस तरह से सक्रिय होने की आदत ही नहीं है तो हो सकता है कि हिसार चुनाव में इसका कोई बहुत बड़ा लाभ न मिल सके पर एक बार शुरुवात हो जाने पर आने वाले समय में यह जनता के हाथ में एक बड़ा हथियार साबित होने जा रहा है जो सीधे ही देश के गल चुके और मूर्छा में पड़े राजनैतिक दलों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आने वाला होगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कोई भी राजनैतिक दल किसी भी स्तर पर किसी भी गड़बड़ी के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार नहीं मानता है जबकि इस सबके पीछे उसकी पार्टी द्वारा बनायीं गयी नीतियां ही अधिक ज़िम्मेदार हुआ करती हैं ? ऐसे में देश के नेताओं को यह समझाने का सही अवसर होता है कि चुनाव के समय जो कुछ वे कहते हैं उन्हें याद भी रखना उनकी ही ज़िम्मेदारी होती है. अब समय है कि नेताओं को इस भूलने की बीमारी से बाहर निकाला जाये और इस पूरे कार्यक्रम की प्रयोगशाला हिसार बनने जा रहा है जिससे भी नेताओं को बड़ी परेशानी होने वाली है क्योंकि राजनैतिक तौर पर हरियाणा बहुत सक्रिय प्रदेश है और वहां की जनता लगातार नेताओं पर दबाव भी बनाये रखती है. स्थानीय स्तर पर वहां पर बहुत सारे समूह चलते हैं जो कहीं न कहीं वास्तव में पूरी तरह से सक्रिय होते हैं और हरियाणा में आज भी आर्य समाज ने कहीं न कहीं तक अपना प्रभाव बना रखा है. स्वामी अग्निवेश और अन्ना के बीच मतभेद दूर होने की खबर के बाद भी यहाँ पर आर्य समाज भी चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने का काम अवश्य ही करेगा.
आज देश की जनता मुद्दों के लेकर सचेत तो हो गयी है पर उसकी इस जागरूकता को चुनाव तक बनाये रखना बहुत कठिन काम होता है क्योंकि जब आन्दोलन होते हैं तो जनता उसके साथ होती है और इस तरह के आन्दोलन के माध्यम से ख़ुद चुनाव तो नहीं लड़ा जा सकता तो फिर जनता को किसी एक वर्तमान राजनैतिक दल से ही किसी को चुनना होता है जिस कारण से भी वह मुद्दों को भूल जाना चाहती है ? पर बड़े परिवर्तनों के लिए इस तरह की भूल जाने वाली नीति कुछ भी नहीं कर सकती है अब समय है कि सभी को बराबर चौकन्ना होना ही होगा जिससे समय आने पर ज्यादा मेहनत किये बग़ैर ही परिवर्तन को लाया जा सके ? अभी देश को इस तरह से सक्रिय होने की आदत ही नहीं है तो हो सकता है कि हिसार चुनाव में इसका कोई बहुत बड़ा लाभ न मिल सके पर एक बार शुरुवात हो जाने पर आने वाले समय में यह जनता के हाथ में एक बड़ा हथियार साबित होने जा रहा है जो सीधे ही देश के गल चुके और मूर्छा में पड़े राजनैतिक दलों के लिए बहुत बड़ा सबक लेकर आने वाला होगा.
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