जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों के ख़िलाफ़ लगातार नियमों को ताक़ पर रखकर घोटाले करने की बातें सामने आ रही हैं उससे चुनावी समय में माया और बसपा के लिए बड़ी मुसीबतें बढती ही जा रही हैं. अभी तक राहुल गाँधी द्वारा लगाये जा रहे आरोपों को लोग मज़ाक में ले रहे थे कि दिल्ली से आया पैसा लखनऊ में बैठा हाथी खा रहा है पर माया सरकार के अब सबसे ताकतवर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर जिस तरह से लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए जा रहे हैं उससे तो यही लगने लगा है कि अब जिन ७ मंत्रियों के ख़िलाफ़ जांचें चल रही हैं वे भी कहीं न कहीं से फंसते हुए नज़र आ रहे हैं. बुंदेलखंड में जिस तरह से केंद्र से मिले पैसे की अपने लोगों और बसपा के लोगों में बंदरबांट की गयी अब यह लोकायुक्त जांच में सामने आ चुका है. ऐसा नहीं है कि कोई भी किसी भी तरह की बातें करके अब जनता को भुलावे में रख पाने में सफल हो पायेगा क्योंकि जिस तरह से इस सर्वजन की सरकार ने पूरे प्रदेश के धन को केवल माया के कुछ सपनों को साकार करने में ही खर्च कर दिया उसके बाद तो कहने और करने के लिए कुछ भी शेष नहीं रह गया है.
जब सरकार की मुखिया को ही नियमों की अनदेखी करने में महारत हासिल हो तो उनके अनुयायी किस तरह से और कब तक नियमों पर चल पायेंगें ? जिस तरह से शशांक शेखर सिंह की अवैध तरीके से नियुक्ति की गयी और उसके बाद पूरी सरकार को यह सन्देश चला गया कि कोई भी कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है और इसका असर पूरे पांच साल तक जनता ने झेला और देखा है. इसलिए अब यह कहने से कुछ भी नहीं हो सकता है कि आख़िर कैसे क्या कुछ किया जाये कि पूरी व्यवस्था पटरी पर आ जाये ? देश में नियमों की दुहाई देने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि नियम सबके लिए एक जैसे होते हैं और आज भ्रष्टाचार पर अन्ना के साथ खड़ी होने की कोशिश कर रही बसपा किस मुंह से वहां जाना चाहती है जबकि उसके मंत्री कतार में खड़े होकर भ्रष्टाचारी साबित होने के लिए तैयार हैं ? देश के नियम किसी एक के लिए अलग नहीं हो सकते हैं पर जब अपने पर आती है तो सभी को नियम और कानून याद आने लगते हैं और जब सत्ता का नशा चढ़ता है तो संविधान की धज्जियाँ उड़ाने में ये नेता पीछे नहीं रहते हैं ?
समय अब भी है कि इस तरह के भ्रष्टाचारियों को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि इसके बिना अब कुछ भी ठीक नहीं होने वाला है पर चुनाव के समय अब माया नसीमुद्दीन को बर्खास्त करने किसी भी तरह से मुस्लिम वोटों को नाराज़ नहीं करना चाहेंगीं पर लोकायुक्त के यहाँ से दाग़ी साबित होने के बाद आख़िर वे किस तरह से उनका बचाव कर पाएंगीं अब यही सवाल बसपा में तैर रहा है ? प्रदेश के लघु उद्योग मंत्री आज भी हेड मास्टर के रूप में वेतन ले रहे हैं और उनको शायद यह पता भी नहीं है कि लोकसेवक आख़िर किस तरह से एक जिला स्तरीय अधिकारी के नीचे काम कर सकता है ? ख़ैर इसमें उनका कोई दोष नहीं है क्योंकि जब ऊपर से ही नियम तोड़ने की कला दिखाई जा रही हो तो भला मास्टरजी कहाँ चूकने वाले थे ? अब समय है कि इन सभी मंत्रियों और विधायकों सांसदों के ख़िलाफ़ चल रही जांचों में तेज़ी लायी जाये क्योंकि अभी तक माया सरकार ने अपने चहेते नेताओं और अधिकारियों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और अब यह देखना है कि आख़िर कैसे वे अब आगे क्या कर पाती हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
जब सरकार की मुखिया को ही नियमों की अनदेखी करने में महारत हासिल हो तो उनके अनुयायी किस तरह से और कब तक नियमों पर चल पायेंगें ? जिस तरह से शशांक शेखर सिंह की अवैध तरीके से नियुक्ति की गयी और उसके बाद पूरी सरकार को यह सन्देश चला गया कि कोई भी कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है और इसका असर पूरे पांच साल तक जनता ने झेला और देखा है. इसलिए अब यह कहने से कुछ भी नहीं हो सकता है कि आख़िर कैसे क्या कुछ किया जाये कि पूरी व्यवस्था पटरी पर आ जाये ? देश में नियमों की दुहाई देने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि नियम सबके लिए एक जैसे होते हैं और आज भ्रष्टाचार पर अन्ना के साथ खड़ी होने की कोशिश कर रही बसपा किस मुंह से वहां जाना चाहती है जबकि उसके मंत्री कतार में खड़े होकर भ्रष्टाचारी साबित होने के लिए तैयार हैं ? देश के नियम किसी एक के लिए अलग नहीं हो सकते हैं पर जब अपने पर आती है तो सभी को नियम और कानून याद आने लगते हैं और जब सत्ता का नशा चढ़ता है तो संविधान की धज्जियाँ उड़ाने में ये नेता पीछे नहीं रहते हैं ?
समय अब भी है कि इस तरह के भ्रष्टाचारियों को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए क्योंकि इसके बिना अब कुछ भी ठीक नहीं होने वाला है पर चुनाव के समय अब माया नसीमुद्दीन को बर्खास्त करने किसी भी तरह से मुस्लिम वोटों को नाराज़ नहीं करना चाहेंगीं पर लोकायुक्त के यहाँ से दाग़ी साबित होने के बाद आख़िर वे किस तरह से उनका बचाव कर पाएंगीं अब यही सवाल बसपा में तैर रहा है ? प्रदेश के लघु उद्योग मंत्री आज भी हेड मास्टर के रूप में वेतन ले रहे हैं और उनको शायद यह पता भी नहीं है कि लोकसेवक आख़िर किस तरह से एक जिला स्तरीय अधिकारी के नीचे काम कर सकता है ? ख़ैर इसमें उनका कोई दोष नहीं है क्योंकि जब ऊपर से ही नियम तोड़ने की कला दिखाई जा रही हो तो भला मास्टरजी कहाँ चूकने वाले थे ? अब समय है कि इन सभी मंत्रियों और विधायकों सांसदों के ख़िलाफ़ चल रही जांचों में तेज़ी लायी जाये क्योंकि अभी तक माया सरकार ने अपने चहेते नेताओं और अधिकारियों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और अब यह देखना है कि आख़िर कैसे वे अब आगे क्या कर पाती हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
एक ही थैली के हैं.
जवाब देंहटाएंमाया महाठगिनि हम जानी !
जवाब देंहटाएं