उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल की तरफ़ से जिस तरह से यात्रियों को नयी नयी सुविधाएँ देने की शुरुआत की गई वह रेलवे के साथ साथ यात्रियों के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होने वाली है. दिल्ली स्थिति सभी स्टेशन अब इन्टरनेट से इस तरह से जोड़ दिए गए हैं कि किसी भी जगह से चलने वाली गाड़ी में चार्ट बनने के बाद भी ख़ाली रह जाने वाली सीटों की संख्या नेट से ही पता चल जाएगी और यात्री सम्बंधित स्टेशन पर जाकर अपने लिए टिकट बनवा सकता है. अभी तक इन सीटों के बारे में कोई जानकारी न होने के कारण यात्रियों से अवैध ढंग से वसूली करके उन्हें स्थान उपलब्ध कराया जाता था जिससे रेलवे का कई बार बहुत नुकसान हो जाया करता था. अब चार्ट बनने और गाड़ी छूटने के ४ घंटों में यात्री इन ख़ाली सीटों का पता लगाकर अपने लिए टिकट बुक कर सकते हैं जिससे दिल्ली जैसी जगह से पूरे देश में जाने वाले यात्रियों को कुछ हद तक सहूलियत तो मिल ही जाएगी.
जिस तरह से रेलवे का विशाल नेटवर्क है और उसमें बहुत जगहों पर नियमों की कमी का लाभ उठाकर भ्रष्टाचार को अभी तक बढ़ावा मिलता रहता है उस पर इन क़दमों से काफी हद तक रोक लगाने में मदद मिलेगी और यात्रियों को कुछ हद तक सुविधा भी मिले लगेगी. जिन जगहों पर करेंट बुकिंग की सुविधा है वहां पर इस तरह से किसी को यह पता नहीं चल पाता था कि चार्ट बनने के बाद कितनी सीटें ख़ाली रह गयी हैं क्योंकि अधिकतर यात्री ये मानते हैं कि चार्ट बनने के बाद टिकट मिल ही नहीं सकते हैं. आज इस सुविधा से यात्री खुद ही जानकारी लेकर सम्बंधित स्टेशन से इस तरह के टिकट ले कर अपनी यात्रा को सुगम बना सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह भी है कि इस तरह के तंत्र को बड़े शहरों में विकसित करने के लिए जिस तरह की सुविधाएँ चाहिए अभी रेलवे के पास नहीं हैं जबकि रेलवे के पास पूरे भारत में एक अलग से स्पेक्ट्रम है जो उनके सञ्चालन के लिए दिया गया है अब समय है कि इन संसाधनों का रेलवे और बेहतर तरीके से उपयोग करना सीख ले जिससे उसकी आमदनी भी बढ़ जाये और किसी भी यात्री को समय रहते ये सीटें आसानी से दी जा सकें.
करेंट सीट के बारे में एक बात यह भी ध्यान देने योग्य होती है कि इसे उसी स्टेशन से ही बुक कराया जा सकता है जहाँ से इसकी उपलब्धता दिखाई दे रही है. अभी तक रेलवे ने इस बारे में कुछ नहीं सोचा है क्योंकि ये ख़ाली पड़ी सीटें भरने के लिए चार्ट बन जाने के बाद टिकट बनाने की कोई नेट से सुविधा नहीं दी जा सकती है. फिर भी दिल्ली जैसे बड़े शहर में लोग जाने के लिए कुछ समय पहले निकल कर इस सुविधा का लाभ तो उठा ही सकते हैं . हो सकता है कि आने वाले समय में रेलवे को इस बात में भी कामयाबी मिल जाये और वह इन टिकटों को भी नेट से बेच सके ? फिलहाल जिस तरह से रेलवे यात्रियों के लिए बेहतर सुविधा लेकर आ रही है उससे पहले के मुक़ाबले अधिक सहूलियत तो होने ही लगी है और यात्रियों में से कुछ लोगों की समस्या का समाधान तो होने ही लगा है. इसे प्रायोगिक तौर पर देखने के बाद इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि इसे पूरे भारत में लागू करवाया जाये जिससे टिकट बनने और यात्रा करने के दौरान जिस भ्रष्टाचार की सम्भावना रहती है वो तो ख़त्म हो सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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