मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

पाक और नेटो

       पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रोज़ ही बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच पाक ने नेटो के रसद पहुँचाने वाले जहाजों को अपने वायु क्षेत्र से उड़ान की अनुमति दे दी है. इस सम्बन्ध में दोनों की तरफ से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह कब से शुरू हुआ और इसके लिए किस स्तर पर समझौता किया गया ? अफगानिस्तान में नेटो और अमेरिका की भागीदारी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के लिए इस तरह की आपसी सहमति बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे दोनों अपने तात्कालिक लाभ उठा लेना चाहते हैं. जिस तरह से वर्तमान में इस्राइल के साथ ईरान की ज़बानी झडपें चल रही हैं तो निकट भविष्य में कुछ भी हो सकता है इसके लिए अमेरिका पहले से ही इस क्षेत्र में अपने को सामरिक दृष्टि से मज़बूत करना चाहता है. इस्राइल राजनयिकों पर जिस तरह से सुनियोजित हमले किये गया उसके बाद से तनाव चरम पर है क्योंकि इस्राइल उन देशों में से नहीं है जो किसी भी तरह से मामले को रफ़ा दफ़ा करने में विश्वास करता हो उसकी एक नीति है कि वह दुश्मन को दुनिया में किसी भी हिस्से में खोजकर उसको ख़त्म करने में विश्वास करता है और यही नीति आने वाले समय में मध्यपूर्व में बड़ा संकट खड़ा कर सकती है.
      पाकिस्तान से उड़ान की अनुमति हासिल होने के बाद नेटो आने वाले समय में ईरान पर किसी भी हमले के समय अपने इस क्षेत्र से आराम से आवाजाही कर सकता है क्योंकि उसे भी हमले करने के लिए सुरक्षित मार्ग की आवश्यकता होगी ? अफगानिस्तान से उसके और नेटो के सैनिकों के लिए कुछ भी करना तभी आसान होगा जब उसके लिए पाक का मार्ग सुरक्षित रूप से खुला रहे इसके लिया उसके प्रयास अभी से दिखाई देने लगे हैं. पाक को अमेरिका की बहुत ज़रुरत हमेशा से ही रही है क्योंकि जब भी वहां संकट होता है तो अमेरिकी मदद के कारण अमेरिका जिसे चाहता हैं अपने अनुसार हाथ रखकर सत्ता कि चाभी सौंप देता है. ऐसी स्थिति में आख़िर कब तक पाक अमेरिका से दूर रह पायेगा जब वहां आज सरकार पूरी तरह से संकट में घिरी नज़र आ रही है. पिछले वर्ष ओसामा के मरने के बाद से ही पाक सेना की जो किरकिरी हुई थी उसके बाद से अभी तक उसके मन में कसक तो है पर सेना भी किसी स्थिति में अमेरिका के खिलाफ नहीं जा सकती है क्योंकि उसका पूरा दारोमदार अमेरिका पर ही टिका हुआ है.
        पाक के बनने के समय से ही अमेरिका और चीन उसका फायदा उठाते रहे हैं और यह बात पाक को भी पता जिस कारण से ये सभी देश और संगठन एक दूसरे के साथ तो हैं पर एक दूसरे पर विश्वास बिलकुल भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि उससे इनको बहुत नुकसान होता है ? पाक जिस तरह से इनके हाथों का खिलौना बना हुआ है उससे यही लगता है कि उसके पास पाने और खोने के लिए बहुत अधिक है ही नहीं जिससे भी वह अपने वजूद को दांव पर लगाकर इस तरह के मजबूरी बारे समझौते करने पर बाध्य हो जाता है. अमेरिका और नेटो को आज ईरान के परिदृश्य में पाक के सैनिक अड्डों की आवश्यकता पड़ने वाली है इसके लिए ही उसकी तैयारियां चल रही हैं और आने वाले समय में कुछ और सुविधाएँ देकर अमेरिका पाक को अपने बस में कर ही लेगा जिसके बाद वह वहां से आराम से अपनी उड़ाने भर सकेगा. पाक हमेशा से ही जिस तरह से अमेरिका के हितों को साधने का एक साधन बनता रहा है इस बार भी वह उसी ढर्रे पर रहेगा भले ही वह अपनी जनता को दिखने के लिए चाहे जो कहता रहे पर होने वाला वही है जो अमेरिका को मंज़ूर होगा.      
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