देश की रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए काम करने वाले आयुध कारखाने में जिस तरह से अनियमितताएं उजागर हुईं उससे यही लगता है कि अब किसी भी स्थान पर भ्रष्टाचार की पहुँच पूरी तरह से हो चुकी है. इस कारखाने पर उन सैनिकों के लिए विभिन्न उपकरण बनाये जाते हैं जो देश की सीमा पर या अशांत क्षेत्रों में इनके भरोसे ही होते है. इस स्थान पर किसी भी तरह की कमी सैनिकों की जान पर भारी पड़ सकती है ऐसे में इस तरह के किसी भी घोटाले या अनियमितता पर कड़ाई से काम करने की आवश्यकता है क्योंकि हम अपने इन जांबाज़ सैनिकों को कहीं से भी घटिया स्तर का सामान या उपकरण नहीं दे सकते हैं. इस घोटाले में जिस तरह से ६ कम्पनियों को रक्षा मंत्रालय ने प्रतिबंधित करके १० वर्षों तक इनको किसी भी समझौते के तहत काम करने से रोक दिया है वह बिलकुल सही कदम है. इस तरह के काम में कोई भी अनियमितता मिलने पर तुरंत ही इन कम्पनियों के भुगतान को रोक दिया जाना चाहिए और भविष्य में इस तरह के काम में लगी किसी भी कम्पनी को हमेशा के लिए ही बैन कर दिया जा चाहिए जिससे अन्य कम्पनियों के लिए यह सीख के तौर पर सामने आये और वे इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल होने से पहले हज़ार बार सोचने को मजबूर हो जाएँ.
इस तरह के सौदे बहुत बड़े स्तर पर हुआ करते हैं क्योंकि ये सामान इतने बड़े पैमाने पर बनाया जाता है कि उसमें थोड़ी सी भी अनियमितता हो जाने से देश को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हो जाता है पर साथ ही इन हथियारों की गुणवत्ता में कमी होने से ये आवश्यकता पड़ने पर अपने काम को ठीक से कर पाने में खरे नहीं उतर पायेंगें और हमारे सैनिकों की जान भी खतरे में पड़ सकती है. इस तरह के कामों के लिय अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि सही तरह से काम करने वाले लोग कहाँ से लाए जाएँ क्योंकि रक्षा मंत्रालय या सरकार के पास इन लोगों के चुनाव करने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं होते हैं. सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच करने के बाद आयुध कारखाने के अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी जांच की सिफारिश की है और साथ ही ६ कम्पनियों के साथ किसी भी तरह के कारोबार को करने पर रोक लगाने को कहा था जिस पर अमल करते रक्षा मंत्रालय ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है. इन कम्पनियों को भी नोटिस जारी कर दिए गए हैं कि उनके ख़िलाफ़ भी क्यों न आरोप पत्र दाखिल किये जाएँ ? इस मामले में किसी भी प्रक्रिया को तेज़ी से निपटाने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे रक्षा आपूर्ति पर प्रभाव पड़े बिना ही इनसे भी अच्छी तरह से निपटा जा सके.
जिस तरह से देश की रक्षा आवश्यकताएं रोज़ ही बढ़ती जा रही है उसे देखते हुए अब इस तरह की गतिविधियों के लिए पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि केवल रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कोई बात होने के कारण उसे गोपनीय नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि यदि इसके बारे में पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी तो उससे सौदों में गुणवत्ता और सही मूल्य के बारे में सभी जाना का सकेगा. पुराने समय में जिस तरह से इन सभी को गोपनीयता के आवरण में छिपाकर रखा जाता था उसकी आज कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी भी अन्य देश की तरह ही भारत में भी सार्वजनिक रूप से किसी बड़े रक्षा सौदे के लिए वैश्विक निविदाएँ मंगाई जाती है जिससे सभी यह तो जान ही जाते हैं कि देश किस तरह से अपनी आने वाली ज़रूरतों के लिए तैयारी कर रहा है ? फिर ऐसे में किसी भी तरह की अनावश्यक गोपनीयता की क्या आवश्यकता है ? अब देश को केवल रक्षा ही नहीं वरन हर क्षेत्र के लिए किये जाने वाले कामों में पारदर्शिता लाने की तरफ़ जाना ही होगा क्योंकि जिस धन से काफी कुछ किया जा सकता है वह केवल कुछ लोगों तक ही भ्रष्टाचार के रूप में पहुँच जाता है. अब केवल कुछ घोटाला होने पर जांच करवाने के स्थान पर इस प्रक्रिया को इतना मज़बूत किया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में इसे रोका जा सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
इस तरह के सौदे बहुत बड़े स्तर पर हुआ करते हैं क्योंकि ये सामान इतने बड़े पैमाने पर बनाया जाता है कि उसमें थोड़ी सी भी अनियमितता हो जाने से देश को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हो जाता है पर साथ ही इन हथियारों की गुणवत्ता में कमी होने से ये आवश्यकता पड़ने पर अपने काम को ठीक से कर पाने में खरे नहीं उतर पायेंगें और हमारे सैनिकों की जान भी खतरे में पड़ सकती है. इस तरह के कामों के लिय अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि सही तरह से काम करने वाले लोग कहाँ से लाए जाएँ क्योंकि रक्षा मंत्रालय या सरकार के पास इन लोगों के चुनाव करने के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं होते हैं. सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच करने के बाद आयुध कारखाने के अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी जांच की सिफारिश की है और साथ ही ६ कम्पनियों के साथ किसी भी तरह के कारोबार को करने पर रोक लगाने को कहा था जिस पर अमल करते रक्षा मंत्रालय ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है. इन कम्पनियों को भी नोटिस जारी कर दिए गए हैं कि उनके ख़िलाफ़ भी क्यों न आरोप पत्र दाखिल किये जाएँ ? इस मामले में किसी भी प्रक्रिया को तेज़ी से निपटाने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे रक्षा आपूर्ति पर प्रभाव पड़े बिना ही इनसे भी अच्छी तरह से निपटा जा सके.
जिस तरह से देश की रक्षा आवश्यकताएं रोज़ ही बढ़ती जा रही है उसे देखते हुए अब इस तरह की गतिविधियों के लिए पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि केवल रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कोई बात होने के कारण उसे गोपनीय नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि यदि इसके बारे में पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी तो उससे सौदों में गुणवत्ता और सही मूल्य के बारे में सभी जाना का सकेगा. पुराने समय में जिस तरह से इन सभी को गोपनीयता के आवरण में छिपाकर रखा जाता था उसकी आज कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी भी अन्य देश की तरह ही भारत में भी सार्वजनिक रूप से किसी बड़े रक्षा सौदे के लिए वैश्विक निविदाएँ मंगाई जाती है जिससे सभी यह तो जान ही जाते हैं कि देश किस तरह से अपनी आने वाली ज़रूरतों के लिए तैयारी कर रहा है ? फिर ऐसे में किसी भी तरह की अनावश्यक गोपनीयता की क्या आवश्यकता है ? अब देश को केवल रक्षा ही नहीं वरन हर क्षेत्र के लिए किये जाने वाले कामों में पारदर्शिता लाने की तरफ़ जाना ही होगा क्योंकि जिस धन से काफी कुछ किया जा सकता है वह केवल कुछ लोगों तक ही भ्रष्टाचार के रूप में पहुँच जाता है. अब केवल कुछ घोटाला होने पर जांच करवाने के स्थान पर इस प्रक्रिया को इतना मज़बूत किया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में इसे रोका जा सके.
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