मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

यूपी का जनता दरबार

              पूरे पांच वर्षों के अंतराल के बाद जिस तरह से यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर से जनता से मिलने के लिए जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी उसके बाद उसमें भारी भीड़ के उमड़ने की सम्भावना तो थी ही पर उसका सही आंकलन लगा पाने में जिस तरह से पूरा सुरक्षा और ख़ुफ़िया तंत्र असफल रहा वह अखिलेश की सुरक्षा के लिए कभी भी गंभीर खतरा बन सकता है ? प्रदेश के प्रशासन को पिछले ५ वर्षों में जैसे जेबी संगठन की तरह से चलाया गया था उसके बाद ऐसी स्थितियां तो बननी ही हैं क्योंकि सर्वजन के नाम पर प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी को जिस तरह से यूपी में माया सरकार ने ठप कर दिया था उसके कारण ही शीर्ष स्तर के कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. एक बिना काडर के व्यक्ति को जिस तरह से अधिकारीयों के सर पर बैठा दिया गया था उसकी भी कोई सानी डॉ अम्बेडकर का गुणगान करने वाले और उनके दम पर वोट लेने वाले संविधान के अनुपालन में लगे भारत के नेताओं में नहीं मिलती है. पूरे प्रदेश मेंं जिस तरह से केवल सेटिंग और चाटुकारिता ही क्षेत्र में तैनाती का पैमाना बन चुकी थी उसके बाद यहाँ के पुलिस और प्रशासन से ज्यादा उम्मीद लगाना अच्छा भी नहीं है. 
          प्रदेश में जनता की सुनवाई किसी भी स्तर पर नहीं होती है तो जैसे ही अखिलेश ने जनता दरबार की बात की तो जनता उमड़ पड़ी पर जिस तरह से कल का दरबार लगा उससे कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. आज जिस तरह से भ्रष्टाचार देश में आम रोग बन चुका है तो उससे निपटने और जनता को राहत दिलाने के लिए ऐसा कोई भी दरबार कारगर नहीं होने वाला है. अच्छा हो कि पूरे प्रदेश में जनता की शिकायतें जानने के लिए अलग से सरकार का एक शिकायती पोर्टल बनाया जाये जिसमें प्रदेश के किसी भी हिस्से से कोई भी नागरिक किसी भी समस्या की शिकायत कर सके. लोग कह सकते हैं कि जब प्रदेश में कई संगठन जनता के लिए बने हुए हैं तो एक और प्रक्रिया अपनाने की क्या आवश्यकता है तो उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि प्रदेश की जनता कितनी बार इस तरह से ख़ुद आगे आकर अपनी समस्या को लखनऊ तक पहुंचा सकती है ? इन्टरनेट के बढ़ते हुए विस्तार को देखते हुए अगर केवल शिकायतकर्ता की पहचान जानकर ही शिकायत पर काम किया जा सके तो यह आने वाले समय के लिए सुखद परिवर्तन होगा. अभी तक अनियमित काम करने वाले अधिकारी और नेता जानते हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है और वे इस बात का लाभ उठाकर क्षेत्र में जनता को परेशान किया करते हैं.    
          जनता दरबार का सांकेतिक महत्त्व हो सकता है और काफी हद तक यहाँ पर आई हुई शिकायतों का निपटारा भी हो सकता है पर क्या कोई भी इस तरह से लगने वाला दरबार पूरे प्रदेश के लोगों की समस्याओं को दूर कर सकता है ? लोगों की परेशानियों को वास्तव में दूर करने के लिए अखिलेश सरकार को मंडल के अनुसार शिकायतों को लेने और उन्हें मंडलायुक्त के स्तर से निपटाने की व्यवस्था करनी चाहिए इसके लिए मंडल स्तर पर इन शिकायतों को देखने के लिए अलग से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को तैनात किया जा सकता है. सबसे बड़ी ज़रुरत इस काम में जवाबदेही निर्धारित करने की है क्योंकि आज के सरकारी काम काज में यह पता ही नहीं चल पाता है कि कब किस व्यक्ति ने किस विभाग के बारे में कोई शिकायत की ? इसके लिए शिकायत को आने के समय ही नेट पर डालने को अनिवार्य किया जाना चाहिए क्योंकि जब तक अधिकारियों पर उत्तरदायित्व नहीं डाला जायेगा तब तक परिणाम नहीं दिखाई देंगें. इसके लिए सरकार चाहे तो बिना अतिरिक्त प्रयास किये लोकवाणी को फिर से पूरी तेज़ी से चालू कर सकती है क्योंकि इसे शुरू करने में किसी बड़े बजट की आवश्यकता नहीं होगी. सही और प्रभावी तरीके से जनता की समस्याएं निपटाने के लिए कम से कम लोकवाणी को एक विभाग घोषित किया जाये और उसके लिए कैबिनेट नहीं तो स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री के साथ प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को तो दिया ही जाये जिससे लोकवाणी प्रभावी ढंग से काम कर सके और सीएम को भी उसके बारे में सही जानकारी मिलती रहे.                       
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