उत्तर प्रदेश में सत्ता के बदलाव के शुभ संकेत अब दिखाई देने लगे हैं क्योंकि जिस तरह से कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता में लाकर अखिलेश सरकार ने नीतियों को प्रभावी और आसानी से अपनाने वाला बनाये जाने के प्रयास शुरू किये हैं वह निश्चित तौर प्रदेश के साथ देश में भी विकास के नए आयाम बनाने में सक्षम होगा. पिछली बसपा सरकार ने जिस तरह से सर्वजन का राग छेड़ा और उससे केवल कुछ लोगों का ही हित हुआ तो उसे देखते हुए प्रदेश में पिछले ५ वर्षों में विकास की वह गति नहीं पाई जो उसे मिल सकती थी. यह सही है कि पिछले ५ वर्षों में विकास की गति में सुधार हुआ पर यूपी में जितनी बड़ी आबादी रहती है उसके समग्र विकास के लिए केवल सरकारी क्षेत्र में ही सब कुछ नहीं किया जा सकता है. पूरे प्रदेश से जिस तरह से औद्योगिक इकाइयों का पलायन हुआ और पूरे ५ वर्षों तक कोई बड़ी परियोजनाएं निजी क्षेत्र में नहीं लग सकी उसका खामियाज़ा आज प्रदेश भुगत रहा है. प्रदेश में ताप विद्युत् की असीम संभावनाएं हैं क्योंकि देश की प्रमुख कोयला खदानों दूरी कम होने के कारण यहाँ तक कोयले की ढुलाई करना आसान है फिर भी आज तक इस बारे में कुछ नहीं किया गया है. सबसे पहले बिजली क्षेत्र को आगे बढ़ाकर प्रदेश में विकास के मार्ग को तैयार करना होगा और उसके साथ ही कानून व्यवस्था को इतना कारगर बनाना होगा कि कोई भी उद्योगपति यहाँ पर आकर काम करने में हिचके नहीं.
प्रदेश में सस्ती और प्रचुर मात्र में उपलब्ध श्रम शक्ति का अगर सही दिशा में उपयोग कर लिया जाये तो आने वाले कई दशकों तक प्रदेश पूरे देश की विकास की गति को रफ़्तार देने में सफल हो सकता है पर हर क्षेत्र को सरकारी मशीनरी की जकड़न में रखकर सही दिशा में और पूरी गति से विकास संभव नहीं है. आज पूरे देश की तरह यूपी को भी विकास के लायक माना जाने लगा है जो कि प्रदेश और देश के लिए अच्छा संकेत है. अमेरिकी कंपनियों ने जिस तरह से यहाँ के बदले हुए माहौल में काम करने की इच्छा जताई है अब उस पर काम करने का समय आ गया है क्योंकि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में इतना पैसा नहीं है कि वह हर क्षेत्र में विकास कर सके तो फिर ऐसे में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाकर अच्छा काम किया जा सकता है. नीतियों के बारे में ऐसा कुछ भी नया करने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि देश में पहेल से ही ऐसी नीतियां बनी हुई हैं जो कहीं पर भी विकास को नए आयाम दे सकती है अब आवश्यकता केवल इस बात की है कि राज्य सरकार इस पर तेज़ी से अमल करना शुरू करे जिससे उद्योग जगत में यूपी में काम करने की इच्छा जगे. इसके लिए सरकारी मशीनरी को तेज़ी से काम करने सीखना होगा और विकास को अफसरशाही से बाहर तो निकलना ही होगा. विकास के किये सही तरह से काम हो इसके लिए खुद मुख्यमंत्री को पहल करनी होगी और एक क्रियाशील और ऊर्जावान व्यक्ति को इसकी निगरानी के लिए अलग से विभाग बना कर ज़िम्मेदारी सौंपनी चाहिए.
विकास के नए आयामों में प्रदेश हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है सबसे पहले बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, कृषि, परिवहन, पेयजल, सिंचाई और इन्टरनेट के विकास की असीम संभावनाओं के चलते ही अमेरिकी कम्पनियों को यहाँ पर अपना काम शुरू करने में कोई परेशानी नहीं है. आज जो काम वे दक्षिण भारत में जिस खर्चे पर करवा पा रही हैं वह कम खर्चे पर यूपी में हो सकता है जिसका सही लाभ उन्हें और प्रदेश को मिल सकता है. अधिक संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता लगातार बनी रहने से यूपी में शिक्षा का माहौल भी अच्छा होने की सम्भावना बन सकती है क्योंकि जब यहाँ के पढ़े युवा अन्य प्रान्तों में जाकर नौकरी कर रहे हैं तो जब उन्हें यहीं पर माहौल बदलने से अपने घर के आस पास ही काम करने के अवसर भी मिल जायेंगे. जब लोगों को यह भी दिखाई देगा कि अब किसी भी क्षेत्र के लोगों की प्रदेश में ही मांग बढ़ने लगी है तो उससे जुड़े शिक्षण संस्थानों के लिए भी अच्छे अवसर उत्पन्न हो जायेगें. प्रदेश में आज जो असीम सभावनाएं छिपी पड़ी हैं अब उनको खोजकर उनके अनुसार काम करने की आवश्यकता है. सबसे पहले विकास के लिए अधिकारियों के मन को बदलने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक इनके द्वारा अनावश्यक रोड़े अटकाने की प्रक्रिया जारी रहेगी तब तक किसी भी तरह के विकास के बारे में नहीं सोचा जा सकता है. अमेरिकी कम्पनियां यहाँ पर व्यापार करने आ रही हैं और उनके इस व्यापर करने की मजबूरी का प्रदेश किस तरह से लाभ उठा पाता है यह अब सरकार पर ही निर्भर करने वाला है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
प्रदेश में सस्ती और प्रचुर मात्र में उपलब्ध श्रम शक्ति का अगर सही दिशा में उपयोग कर लिया जाये तो आने वाले कई दशकों तक प्रदेश पूरे देश की विकास की गति को रफ़्तार देने में सफल हो सकता है पर हर क्षेत्र को सरकारी मशीनरी की जकड़न में रखकर सही दिशा में और पूरी गति से विकास संभव नहीं है. आज पूरे देश की तरह यूपी को भी विकास के लायक माना जाने लगा है जो कि प्रदेश और देश के लिए अच्छा संकेत है. अमेरिकी कंपनियों ने जिस तरह से यहाँ के बदले हुए माहौल में काम करने की इच्छा जताई है अब उस पर काम करने का समय आ गया है क्योंकि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में इतना पैसा नहीं है कि वह हर क्षेत्र में विकास कर सके तो फिर ऐसे में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाकर अच्छा काम किया जा सकता है. नीतियों के बारे में ऐसा कुछ भी नया करने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि देश में पहेल से ही ऐसी नीतियां बनी हुई हैं जो कहीं पर भी विकास को नए आयाम दे सकती है अब आवश्यकता केवल इस बात की है कि राज्य सरकार इस पर तेज़ी से अमल करना शुरू करे जिससे उद्योग जगत में यूपी में काम करने की इच्छा जगे. इसके लिए सरकारी मशीनरी को तेज़ी से काम करने सीखना होगा और विकास को अफसरशाही से बाहर तो निकलना ही होगा. विकास के किये सही तरह से काम हो इसके लिए खुद मुख्यमंत्री को पहल करनी होगी और एक क्रियाशील और ऊर्जावान व्यक्ति को इसकी निगरानी के लिए अलग से विभाग बना कर ज़िम्मेदारी सौंपनी चाहिए.
विकास के नए आयामों में प्रदेश हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है सबसे पहले बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, कृषि, परिवहन, पेयजल, सिंचाई और इन्टरनेट के विकास की असीम संभावनाओं के चलते ही अमेरिकी कम्पनियों को यहाँ पर अपना काम शुरू करने में कोई परेशानी नहीं है. आज जो काम वे दक्षिण भारत में जिस खर्चे पर करवा पा रही हैं वह कम खर्चे पर यूपी में हो सकता है जिसका सही लाभ उन्हें और प्रदेश को मिल सकता है. अधिक संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता लगातार बनी रहने से यूपी में शिक्षा का माहौल भी अच्छा होने की सम्भावना बन सकती है क्योंकि जब यहाँ के पढ़े युवा अन्य प्रान्तों में जाकर नौकरी कर रहे हैं तो जब उन्हें यहीं पर माहौल बदलने से अपने घर के आस पास ही काम करने के अवसर भी मिल जायेंगे. जब लोगों को यह भी दिखाई देगा कि अब किसी भी क्षेत्र के लोगों की प्रदेश में ही मांग बढ़ने लगी है तो उससे जुड़े शिक्षण संस्थानों के लिए भी अच्छे अवसर उत्पन्न हो जायेगें. प्रदेश में आज जो असीम सभावनाएं छिपी पड़ी हैं अब उनको खोजकर उनके अनुसार काम करने की आवश्यकता है. सबसे पहले विकास के लिए अधिकारियों के मन को बदलने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक इनके द्वारा अनावश्यक रोड़े अटकाने की प्रक्रिया जारी रहेगी तब तक किसी भी तरह के विकास के बारे में नहीं सोचा जा सकता है. अमेरिकी कम्पनियां यहाँ पर व्यापार करने आ रही हैं और उनके इस व्यापर करने की मजबूरी का प्रदेश किस तरह से लाभ उठा पाता है यह अब सरकार पर ही निर्भर करने वाला है.
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