एशिया में सैन्य संतुलन साधने के उद्देश्य से किये गए भारत के सफल अग्नि ५ के परीक्षण से एक बात तो साफ़ हो गयी है कि आने वाले समय में भारत अपनी सामरिक क्षमताओं में असीम वृद्धि करने की शक्ति रखता है. जिस तरह से चीन और पाक ने भारत की इस सफलता पर अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं उसका कोई मतलब नहीं बनता है क्योंकि ये दोनों ही देश अघोषित रूप से अपनी अधिकांश रक्षा ज़रूरतों को भारत को ध्यान में रखकर ही तैयार किया करते हैं फिर यदि भारत अपने को सामरिक दृष्टि से मज़बूत करना चाहता है तो उन्हें इस बात में किस बात की दिक्कत हो रही है ? एशिया में जिस तरह के संतुलन की आवश्यकता है वह भारत और चीन की बराबर होती क्षमताओं के बाद ही स्थायी रह सकता है क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीति से आज अमेरिका भी परेशान है और यही कारण है कि अमेरिका ने अपनी प्रतिक्रिया में भारत को बधाई दी है और क्षेत्रीय संतुलन में मजबूती आने की बात भी की है वरना यही अमेरिका भारत की किसी भी वैज्ञानिक सफलता पर सबसे पहले आपत्तियां दिखाया करता था.
भारतीय मेधा ने वह करके दिखा दिया है जिसके बारे में वह हमेशा से ही चर्चा में रहा करती है क्योंकि आज भी भारत पर जिस तरह से कुछ अघोषित प्रतिबन्ध लगे हुए हैं और उस स्थिति में भी हमारे वैज्ञानिकों ने जितनी आसानी से और कम समय में ५००० किमी तक मार करने वाली अग्नि-५ को विकसित कर लिया है वह भी दुनिया के देशों के लिए बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है. हालांकि भारत ने यह सपष्ट कर दिया है कि यह शांति की मिसाइल है और इसका उद्देश्य केवल शांति बनाये रखने के किये ही है फिर भी चीन के अधिकांश क्षेत्रों तक भारत की इतनी स्पष्ट पहुँच हो जाने के बाद चीन के लिए तिलमिलाना स्वाभाविक ही है. हमेशा की तरह वहां दोहरी बातें की जा रही हैं. सरकार अपने को इससे अधिक चिंतित नहीं दिखाना चाहती है पर सरकारी समाचार पत्र दूसरी तरफ स्पष्ट चेतावनी देता दिखाई देता है जिसे इससे भारत को कोई लाभ होता भी नहीं दिखाई दे रहा है. जिस तरह से चीन ने अपने तेवर दिखये हैं उनकी कोई आवश्यकता तो नहीं थी अपर यह अब उसकी आदत में शामिल हो चूका है और जिस तरह से वियतनाम के मसले पर वह अंतर्राष्ट्रीय कानून का भी सम्मान नहीं कर रहा है वह आने वाले समय में भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है.
आज के समय में जिस तरह से पाक में अशांति है तो उस स्थिति में वहां पर कभी भी कुछ भी हो सकता है ऐसे में किसी भी ख़राब परिस्थिति से निपटने के लिए भारत के पास कुछ ऐसा अवश्य ही होना चाहिए जिसे वह सुरक्षित रूप से प्रयोग में ला सके. पाक में जितनी अनिश्चितता चलती रहती है और वहां पर आतंकी जिस तरह से मज़बूत होते जा रहे हैं वैसे में कोई नहीं कह सकता कि आने वाले समय में वहां की सत्ता आतंकियों के हाथ में नहीं जा सकती है और उस स्थिति में पाक की जनता के मन में बोये गए नफरत के बीजों के कारण उनको अपने पक्ष में करने के लिए आतंकी सबसे पहले भारत पर ही हमला कर सकते हैं ? उस तरह की किसी भी स्थिति में जब किसी की जवाबदेही से बाहर हुआ पाक का तंत्र कुछ भी समझने के लिए तैयार नहीं होगा तो उसके लिए उन पर इन मिसाइलों के माध्यम से ही नियंत्रण संभव हो पायेगा. भारत को अभी अपनी मारक क्षमता में और वृद्धि करने की ज़रुरत है क्योंकि जब सामरिक दृष्टि से बराबरी की बात हो तो आक्रामक देश के लिए सोचना मजबूरी हो जाता है. देश के वैज्ञानिक आने वाले समय में अग्नि के और उन्नत स्वरुप पर काम करना शुरू भी कर चुके हैं जैसे ही कैबिनेट की मंज़ूरी मिलती है इस पर काम शुरू हो जायेगा और आने वाले समय में भारत पूरी तरह से मिसाइल ताकत बन जायेगा. इस परियोजना से देश के अन्तरिक्ष में छलांग लगाने की मंशा भी पूरी होती दिख रही है क्योंकि रॉकेट तकनीक में धीरे धीरे ही सही देश अब महारत हासिल करने की तरफ जा रहा है जो कि आने वाले समय में अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में भी बहुत सहायक सिद्ध होने वाला है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...भारतीय मेधा ने वह करके दिखा दिया है जिसके बारे में वह हमेशा से ही चर्चा में रहा करती है क्योंकि आज भी भारत पर जिस तरह से कुछ अघोषित प्रतिबन्ध लगे हुए हैं और उस स्थिति में भी हमारे वैज्ञानिकों ने जितनी आसानी से और कम समय में ५००० किमी तक मार करने वाली अग्नि-५ को विकसित कर लिया है वह भी दुनिया के देशों के लिए बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है. हालांकि भारत ने यह सपष्ट कर दिया है कि यह शांति की मिसाइल है और इसका उद्देश्य केवल शांति बनाये रखने के किये ही है फिर भी चीन के अधिकांश क्षेत्रों तक भारत की इतनी स्पष्ट पहुँच हो जाने के बाद चीन के लिए तिलमिलाना स्वाभाविक ही है. हमेशा की तरह वहां दोहरी बातें की जा रही हैं. सरकार अपने को इससे अधिक चिंतित नहीं दिखाना चाहती है पर सरकारी समाचार पत्र दूसरी तरफ स्पष्ट चेतावनी देता दिखाई देता है जिसे इससे भारत को कोई लाभ होता भी नहीं दिखाई दे रहा है. जिस तरह से चीन ने अपने तेवर दिखये हैं उनकी कोई आवश्यकता तो नहीं थी अपर यह अब उसकी आदत में शामिल हो चूका है और जिस तरह से वियतनाम के मसले पर वह अंतर्राष्ट्रीय कानून का भी सम्मान नहीं कर रहा है वह आने वाले समय में भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है.
आज के समय में जिस तरह से पाक में अशांति है तो उस स्थिति में वहां पर कभी भी कुछ भी हो सकता है ऐसे में किसी भी ख़राब परिस्थिति से निपटने के लिए भारत के पास कुछ ऐसा अवश्य ही होना चाहिए जिसे वह सुरक्षित रूप से प्रयोग में ला सके. पाक में जितनी अनिश्चितता चलती रहती है और वहां पर आतंकी जिस तरह से मज़बूत होते जा रहे हैं वैसे में कोई नहीं कह सकता कि आने वाले समय में वहां की सत्ता आतंकियों के हाथ में नहीं जा सकती है और उस स्थिति में पाक की जनता के मन में बोये गए नफरत के बीजों के कारण उनको अपने पक्ष में करने के लिए आतंकी सबसे पहले भारत पर ही हमला कर सकते हैं ? उस तरह की किसी भी स्थिति में जब किसी की जवाबदेही से बाहर हुआ पाक का तंत्र कुछ भी समझने के लिए तैयार नहीं होगा तो उसके लिए उन पर इन मिसाइलों के माध्यम से ही नियंत्रण संभव हो पायेगा. भारत को अभी अपनी मारक क्षमता में और वृद्धि करने की ज़रुरत है क्योंकि जब सामरिक दृष्टि से बराबरी की बात हो तो आक्रामक देश के लिए सोचना मजबूरी हो जाता है. देश के वैज्ञानिक आने वाले समय में अग्नि के और उन्नत स्वरुप पर काम करना शुरू भी कर चुके हैं जैसे ही कैबिनेट की मंज़ूरी मिलती है इस पर काम शुरू हो जायेगा और आने वाले समय में भारत पूरी तरह से मिसाइल ताकत बन जायेगा. इस परियोजना से देश के अन्तरिक्ष में छलांग लगाने की मंशा भी पूरी होती दिख रही है क्योंकि रॉकेट तकनीक में धीरे धीरे ही सही देश अब महारत हासिल करने की तरफ जा रहा है जो कि आने वाले समय में अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में भी बहुत सहायक सिद्ध होने वाला है.
बेहतरीन और सटीक आलेख …………मेरा भारत महान ।
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