देश में दूर संचार कम्पनियां किस तरह से केवल अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के चक्कर में देश की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा पैदा कर रही हैं इस बात का ताज़ा उदाहरण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के नाम पर सिम जारी होने की घटना से पता चलता है. यह सही है कि हर हर कम्पनी को अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करने से रोका नहीं जा सकता है पर इस तरह से इकट्ठे किये गए सिम देश की सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ाने का काम ही करने वाले हैं. यह सही है कि देश में अधिकतर काम आँख मूंदकर किये जाते हैं क्योंकि दो दशक पहले इस तरह की घटना में किसी ने एक नसबंदी कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की एक कैम्प में नसबंदी भी करवा दी थी ? अब भी अगर देश में धन और आगे रहने की चाह इस तरह से बनी रहेगी जिसमें कुछ भी करने की छूट हो तो आख़िर किस तरह से हम सही दिशा में आगे बढ़ सकेंगें. आज जिस तरह से आतंकी रोज़ ही नए नए ख़तरे पूरी दुनिया के लिए उत्पन्न करते जा रहे हैं उस स्थिति में हमारे तंत्र के इस तरह सोते रहने से किसका भला होने वाला है ? जहाँ ट्राई और सरकार को इस बारे में कड़े नियम बनाने चाहिए वहीं कम्पनियों को भी यह सोचना चाहिए कि वे साफ़ सुथरा काम करना चाहती हैं या फिर किसी भी अनैतिक काम के दम पर ही अपने को आगे कहलवाना चाहती हैं ?
आज प्रतिस्पर्धा के युग में दूरसंचार क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में आम लोग जानते भी नहीं हैं. अभी तक हम अपने जो कागज़ात सिम लेने के लिए दिया करते थे वे सुरक्षित हाथों में हुआ करते थे जब जबसे कम्पनियों ने तीसरे सूत्रों से सिम बेचने का काम शुरू किया है तब से एक आईडी पर कई कई सिम जारी किये जा रहे हैं और इस मामले में सबसे शर्मनाक बात यह है कि कम्पनियां भी इस घटिया खेल को पूरी शह दे रही हैं क्योंकि उन्हें किसी भी तरह से ग्राहक चाहिए भले ही इसके लिए देश को कभी कितनी बड़ी कीमत ही न चुकानी पड़े ? जिस तरह से केवल फ़र्ज़ी ग्राहक बटोरने का चलन चला हुआ है उससे भारत की आबादी से अधिक सिम तो बहुत जल्दी ही बंट जाने वाले हैं और आने वाले समय में भी यह प्रक्रिया रुकने वाली नहीं है क्योंकि जब तक कुछ किया जायेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. जब पूरे देश में हर जगह पर खुलेआम इस तरह से सुरक्षा से जुड़े मानकों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं तो और अधिक क्या किया जा सकता है इस मसले पर सरकार भी केवल नियम ही बना सकती है पर अब ट्राई को इस मसले पर कुछ कड़े कदम उठाने ही होंगें क्योंकि इस तरह से इन कम्पनियों को व्यापार के नाम पर मनमानी करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.
इस मसले के समाधान के लिए ट्राई को कुछ नया करना ही होगा वरना किसी भी नागरिक की आईडी चोरी हो सकती है और उसको भी इस दुरूपयोग के बारे में तभी पता चल पायेगा जब कोई मसला फँस जायेगा. सबसे पहले बैंकों की तरह एक काम किया जाना चाहिए कि हर ग्राहक को जाने के लिए केवाईसी जैसी केंद्रीयकृत सुविधा को शुरू किया जाना चाहिए साथ ही इस मामले में किसी भी ग्राहक को एक वेबसाइट के माध्यम से यह जाने की सुविधा भी होनी चाहिए कि उसके नाम या आईडी से कितने सिम देश भर में जारी किये गए हैं और इस वेबसाइट के बारे में हर सेवा प्रदाता कम्पनी को अपने नए सिम के स्टार्टर किट में लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए. जब कोई नागरिक अपनी आईडी पर जारी सिम कार्डों के बारे में जान सके तो उसे उन से सिम २ दिनों में बंद करवाने का अधिकार होना चाहिए और ऐसा न करने पर कम्पनियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करवाने का अधिकार भी होना चाहिए या फिर उस कम्पनी से हर्ज़ाना वसूलने के नियम भी होने चाहिए. जब किसी भी व्यक्ति को इस बारे में कुछ भी नियम पूर्वक जाने के अवसर मिल सकेंगें तभी इस तरह की सभी कमियों और ख़तरों को रोका जा सकेगा. इस बारे में कम्पनियों को एक समय बद्ध सीमा में अपने सभी ग्राहकों को यह बताने के आदेश जारी किये जाने चाहिए कि इनके नाम से कितने सिम बेचे जा चुके हैं क्योंकि जब तक सही स्थिति सामने नहीं आएगी तब तक यह ख़तरा मंडराता ही रहेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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