मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

गैस किट और सुरक्षा

        दिल्ली सहारनपुर मार्ग पर एक चलती हुई मारुति वैन में जिस तरह से आग़ लगने से एक ही परिवार के १४ सदस्यों की मौत हो गयी वह अपने आप में बहुत ही दु:खद घटना है. इस घटना से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि हम नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए भी उस स्तर पर सचेत नहीं रहते हैं जितनी हमें सड़क पर निकलते समय हमेशा ही रखनी चाहिए. जिस गाड़ी में आग़ लगी उसमें आख़िर २० लोग कैसे बैठे थे और क्या बैठते समय किसी ने यह सोचा था कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सफ़र करने पर कोई दुर्घटना भी हो सकती है ? आग़ किन परिस्थतियों में लगी यह तो विवेचना का विषय है पर हम सभी जिस तरह से रोज़ ही नियमों की धज्जियाँ उड़ाने को ही अपने जीवन का अंग मानने लगे हैं वह कभी भी इस तरह की दु:खद घटना का कारण बन सकता है. बिना विचार किये ही हम जिस तरह से कुछ भी करने के लिए राज़ी हो जाते हैं वह परिस्थिति पूरे माहौल को और भी ख़तरनाक बना देती है. केवल कुछ आर्थिक लाभ के लिए हम हमेशा ही गुणवत्ता पर जुगाड़ को प्राथमिकता देते हैं जिससे स्थिति और भी भयावह हो जाती है.
       मंहगे होते पेट्रोल के कारण जिस तरह से लोगों ने अपनी गाड़ियों में गैस किट लगवाने शुरू कर दिए हैं वे भी इस तरह से सुरक्षा के साथ पूरा खिलवाड़ हैं क्योंकि यदि कम्पनी से कोई सुविधा लग कर आती है तो उसमें कमियों की संभावनाएं कम ही होती हैं पर आज बाज़ार में जिस तरह से खुलेआम बिना किसी स्पष्ट दिशा निर्देश के ये किट्स बिक रही हैं क्या वे हर उस गाड़ी और उसमें बैठने वाले लोगों के लिए मौत का कारण कभी भी नहीं बन सकती हैं ? जब देश में एलपीजी और सीएनजी की सुचारू आपूर्ति गाड़ियों को चलाने के लिए है ही नहीं तो इस मौत के सामान को आख़िर किस लिए गाड़ियों में लगाया जा रहा है ? क्या कार कम्पनियों केलिए कुछ गाड़ियाँ बेचना ही ज्यादा महत्वपूर्ण है भले ही वे गाड़ियाँ उन्हें खरीदने वालों की जिंदगी के लिए कोई बड़ा ख़तरा बन जाएँ ? इस मामले को केवल व्यापार के स्थान पर सुरक्षा से जोड़कर देखने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक सुरक्षा को पूरी तरह से ध्यान में नहीं रखा जायेगा तब तक ऐसा कुछ होता ही रहेगा.
     सबसे पहले सरकार को इस बात को चिन्हित करना चाहिए कि वह किन स्थानों पर गैस को बेचने के लिए निकट भविष्य में तैयार है जिससे कार कम्पनियां केवल उन्हीं स्थानों पर ही अपनी इन गाड़ियों को बेच सकें. जिन स्थानों पर सीएनजी की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है उन स्थानों पर किसी भी तरह की गैस किट लगी हुई नयी कारों के बेचने पर पूरा प्रतिबन्ध होना चाहिए और किसी भी कार में इस तरह की किट बाज़ार में लगाने पर भी पूरी रोक होनी चाहिए क्योंकि जब तक कानून में भी कड़ाई नहीं की जाएगी तब तक इस तरह की घटनाएँ होती ही रहेंगीं. घरेलू गैस की जिस स्तर पर कालाबाज़ारी हो रही है और इसका बड़ा हिस्सा आज गाड़ियों में ही खर्च हो रहा है उसे देखते हुए सरकार को जल्दी ही इस बात पर भी विचार करके पेट्रोल पम्पों के साथ ही गैस स्टेशन भी तेज़ी से खुलवाने पर विचार करना चाहिए जिससे जहाँ एक तरफ लोगों को वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध हो जायेगा वहीं पर्यावरण में सुधार के साथ आम लोगों के जीवन को भी इस तरह के ख़तरे से बचाया जा सकेगा.       
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