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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

केंद्रीय सरकार की इमारतें

        केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के १५८ वें स्थापना दिवस पर बोलते हुए इसके महानिदेशक एस के मित्तल ने इस बात का खुलासा किया कि केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों के भवनों नॉर्थ और साऊथ ब्लाक में जिस तरह से क्षमता से अधिक एयर कंडिशनर लगे हुए हैं वे कभी भी किसी बड़ी आग लगने की घटना का कारण बन सकते हैं. इस तरह की परिस्थितियों में जब देश के सभी महत्वपूर्ण पत्र इन भवनों में ही कहीं न कहीं रखे जाते हैं फिर भी इस तरह की लापरवाही का कारण समझ में नहीं आता है. यहाँ पर सवाल यह भी है कि इस तरह की बड़ी आशंका को विभाग ने केंद्र सरकार के संज्ञान में लाने का काम किया है ? वैसे जिस तरह से यह संगठन केंद्र सरकार का ही हिस्सा है उससे यही लगता है कि बिना सरकार को बताये इतनी बड़ी बात महानिदेशक ने प्रेस में नहीं कही होगी. अभी कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र के मंत्रालय में भी इसी तरह से आग लगी थी पर यह भी हो सकता है कि वहां पर कई घोटालों की जांच चल रही है तो हो सकता है कि किसी ने अपने लाभ के लिए ही इस तरह से आग लगवा भी दी हो ?
        देश में जिस तरह से पिछले कुछ समय पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं और उनकी जांच भी चल रही है तो ऐसी परिस्थिति में इन महत्वपूर्ण पत्रों की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि जब वहां पर इस तरह की आग़ लगने की बातें विशेषज्ञ ही कर रहे हैं तो उनको बचाने के बारे में सोचा जाना चाहिए. अभी तक जिस भी परिस्थिति में यहाँ पर काम होता रहा है वह अपनी जगह है पर अब जब इस तरह के ख़तरे सामने आ रहे हैं तो इस बारे में कोई कारगर योजना बनाकर आगे के बारे में उस पर अमल किया जाना चाहिए जिससे इन कारणों से आग़ लगने की घटना से देश के महत्वपूर्ण कागज़ों को बचाया जा सके. एक बात और भी महत्वपूर्ण है कि जब इन स्थानों पर लगातार ही देश भर से और विदेशों से भी आने जाने वाले लोगों का आना जाना बना रहता है तो वहां पर इस तरह की लापरवाही कैसे की जा सकती है.
        अच्छा हो कि देश के महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थानों से इस बारे में राय मांगी जाये और जो भी क़दम उनके द्वारा सुझाये जाएँ उन पर तत्काल ही अमल करने के प्रयास भी किये जाएँ. देश में विशेषज्ञों की कमी नहीं है पर जब तक उनसे इस बारे में विभाग कोई राय नहीं मांगेगा तब तक वे ख़ुद ही इस बारे में कैसे जान पायेंगें ? क्या यह ज़रूरी है कि जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाये तभी उससे बचने और निपटने के उपायों पर विचार किया जाये क्यों हम पहले से ही इस तरह के आने वाले ख़तरों के बारे में समय रहते ही नहीं सोच पाते हैं ? उस स्थानों पर यह बात समझ में आती है जहाँ पर हर बात के लिए धन और संसाधनों का टोटा बना रहता है पर जब केंद्र सरकार के कार्यालयों के बारे में विचार करने की ज़रुरत हो तब इस तरह की बातों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए. अगर सुरक्षात्मक रूप से ये कार्यालय भवन अब सुरक्षित नहीं है तो केवल कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों को छोड़कर क्षमता से अधिक सभी को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.    
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