मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 29 सितंबर 2012

सब्सिडी सीधे खाते में

                केंद्र सरकार ने विभिन्न मदों में दी जाने वाली सब्सिडी को सीधे ही लाभार्थी के खाते में देने की योजना को तेज़ी से आगे बढ़ाने की परियोजना पर तेज़ी से काम करने का मन बना लिया है जिससे आने वाले समय में इस मद में खर्च किये जाने वाले सरकारी धन के माध्यम से किसी भी नेता, अधिकारी या दलाल को भ्रष्टाचार करने का मौका आसानी से नहीं मिलने वाला है. इस योजना के अंतर्गत विभिन्न मदों में दी जाने वाली ३,२५००० करोड़ रूपये से अधिक की सब्सिडी को सीधे वास्तविक लाभार्थी तक पहुँचाने में मदद मिलेगी और जिस तरह से आवश्यक वस्तुओं की किल्लत पैदा कर दी जाती है उसमें भी कमी लायी जा सकेगी. निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार से निपटने में यह योजना बहुत कारगर साबित हो सकती है पर इसको जिस तंत्र के माध्यम से लागू किया जाना है उसके पहले से ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे होने से सही लाभार्थियों का चुनाव भी अपने आप में बहुत चुनौती भरा कदम होने जा रहा है. आज विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में आम लोगों को पता ही नहीं होता है और भ्रष्ट नेता अधिकारी दलालों के माध्यम से मिलकर इन लाभकारी योजनाओं को फ़र्ज़ी तरीक़े से चलाकर इस मद में आये हुए पैसे को हड़प जाते हैं.
           केंद्र सरकार जिस तरह से पूरे देश को बेहतर संचार माध्यम से जोड़ने का काम कर रही है यदि उसमें सफलता मिली तो उससे आने वाले समय में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में काफी हद तक पारदर्शिता लायी जा सकेगी. अभी तक जिस तरह से नागरिकों की पहचान के बारे में ही कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिसके माध्यम से लोग अपने को साबित कर सकें कि वे कौन हैं तो उस स्थिति में भ्रष्टाचार की बहुत अधिक संभावनाएं पैदा हो जाती हैं. इससे निपटने के लिए देश के नागरिकों के लिए आधार या उस जैसी ही एक संख्या होनी चाहिए जिसके माध्यम से उसकी ही कुछ संख्याओं को लेकर बैंक खाता, ड्राइविंग लाइसेंस, आदि सभी का निर्धारण किया जाना चाहिए. हर जिले, तहसील, मोहल्ले या ग्राम सभा को एक कोड दिया जाना चाहिए उसके बाद नागरिक की संख्या होनी चाहिए जिससे किसी भी स्थिति में संख्या को देखकर यह पता लगाया जा सके कि कौन कहाँ का रहने वाला है. इस तरह की संख्या से सबसे बड़ी आसानी यह होने वाली है कि बैंकों और अन्य विभागों को बार बार ग्राहक की पहचान के बारे में समस्या नहीं उत्पन्न होगी और जिन लोगों ने किसी भी जगह से कुछ अनियमित तरीके से कर रखा है वे भी नज़र में आ जायेंगें. देश को इस मसले पर अब कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि अब भ्रष्टाचारियों पर सख्त हुए बिना काम नहीं चलने वाला है.
          इस तरह की पहचान संख्या के साथ ही यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि यदि इनको बनाने में किसी भी तरह की अनियमितता पाई गयी तो सम्बंधित कर्मचारी की सेवाएं ही समाप्त कर दी जायेंगीं और वह ग़लत जानकारी देने के कारण जेल भी जायेगा क्योंकि अभी तक भ्रष्टाचार में फंसे हुए लोगों पर कुछ भी नहीं होने के कारण भी जनता में यह संदेश जाता है कि कुछ भी करते रहो कुछ भी नहीं होने वाला है पर राष्ट्रीय महत्त्व की इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए अलग से मानक निर्धारित किये जाने चाहिए जिससे सरकार के पास कम से कम एक बार नागरिकों के बारे में सही जानकारी उपलब्ध हो पाए. साथ ही इस सूची के नवीनीकरण की एक सतत प्रक्रिया होनी चहिये जिससे जन्म मृत्यु की दशा में भी इसमें सही संख्या में ही एंट्री हमेशा बनी रहे. जन्म मृत्यु के आंकड़ों को जुटाने में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए जिससे आने वाले समय में किसी भी योजना को बनाते समय कोई भी व्यक्ति यह न कह सके कि उसे इस बारे में कुछ पता ही नहीं था देश को अब समग्र रूप से काम करने की ज़रुरत है. जब सभी इसके लिए सोचेंगें और इस तरह की परियोजना को राष्ट्रीय अभियान की तरह लिया जायेगा तभी हमारे पास सटीक काम करने के लिए भूमि तैयार हो पायेगी. अभी तक सरकारें योजनायें बनाकर उन्हें भूल जाती हैं जिससे वे भ्रष्टाचारियों के कुचक्र में उलझ कर रह जाती है और आम नागरिक इन बातों से अनजान होकर केवल सरकार को कोसने का ही काम करता रहता है.           
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