मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 10 नवंबर 2012

सिम और पहचान

             देश में अभी तक जिस तरह से आम उपभोक्ता वस्तुओं की तरह मोबाइल सिम कार्ड बेचे और खरीदे जाते थे वे सुरक्षा एजेंसियों के लिए हमेशा से ही सर दर्द बने रहे हैं पर इस बारे में उपभोक्ताओं की सही जानकारी देने के लिए पहली बार सरकार की तरफ से स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये गए हैं जिनके अनुसार अब ग़लत जानकारी देने पर सिम बेचने वाला आपरेटर और उपभोक्ता दोनों को ही ज़िम्मेदार माना जायेगा. अभी तक केवल ग्राहक बटोरने की होड़ में जिस तरह से सभी मोबाइल सेवा प्रदाताओं ने कानून की खुले आम धज्जियाँ उड़ाईं थीं अब उन्हें ऐसा करने पर लेने के देने पड़ सकते हैं. सही उपभोक्ताओं की जानकारी लेने के मामले में अभी और भी सख्ती किये जाने की ज़रुरत है क्योंकि केवल वोटर आई डी कार्ड का जिस तरह से सिम लेने में दुरुपयोग किया जा रहा था उसे कभी न कभी तो रोकने केलिए कुछ करना ही था. देश में हर हाथ में मोबाइल पहुँचाने की धुन में सभी लोग यह भूले बैठे थे कि सुरक्षा की दृष्टि से हमेशा ही संवेदनशील रहने वाले हमारे देश में कुछ उपायों को ठीक ढंग से लागू किया जाना आवश्यक था ?
         पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से फर्जी उपभोक्ताओं के सिम बंद करने का सिलसिला शुरू हुआ है तो उस स्थिति में अब भी यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पायी है कि आज देश में वास्तव में कितने मोबाइल ग्राहक हैं क्योंकि आज भी अधिकांश सिम फर्जी नामों से ही चल रहे हैं. इस मामले में सरकार को सभी ग्राहकों की जानकारी एक जगह पर उपलब्ध करवानी चाहिए जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी जानकारी डालकर यह देख सके कि कहीं उसके नाम से कोई और तो सिम खरीदकर उसका दुरूपयोग तो नहीं कर रहा है ? आज के समय में नागरिकों के पास इस तरह की कोई सुविधा नहीं है जिससे वे अपनी स्थिति को ठीक से जांच सकें. जिस तरह से अब गैस के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता कर दी गयी है उसी तरह से वर्तमान उपभोक्ताओं को यह कहना चाहिए कि वे भी अपने बैंक की जानकारी मोबाइल कम्पनी में जमा करवाएं जिससे आने वाले समय में फर्जी उपभोक्ताओं के सिम बंद किए जा सकें. केवल प्रतिस्पर्धा के कारण ही बेचे गए फर्जी सिम कभी भी सरकार के लिए बड़ा सरदर्द साबित हो सकते हैं.
             अभी तक जिस तरह से इस मामले में कानून का खुले तौर पर उल्लंघन किया जाता रहा है तो अब सिम बेचने वालों को यह लग सकता है कि सिम बेचना अब और भी मुश्किल होने वाला है ऐसा भी नहीं है क्योंकि किसी भी तरह के सही सिम को बेचकर वे एक तरह से अपनी और देश की सुरक्षा को मज़बूत करने का काम ही करने वाले हैं. पर अभी तक जिस तरह से सब्ज़ियों की तरह इनकी बिक्री की जाती थी और आर्थिक लाभ उठाया जाता था अब उस पर काफ़ी हद तक रोक लग जाने की संभावनाएं दिखाई देने लगी हैं. फिर भी अभी तक जिस तरह से सिम बेचने का धंधा चल रहा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ समय में इस क्षेत्र में केवल वही उपभोक्ता ही रह जायेंगें जिनके पास वास्तव में सही पता होगा और फर्जी नामों से चलने वाले सिम अब बंद हो कर देश केलिए किसी भी तरह का खतरा उत्पन्न नहीं कर पायेंगें. यह हम आम नागरिकों पर भी निर्भर करता है कि हम सिम विक्रेता से अनधिकृत सिम लेने के स्थान पर अपने नाम से ही सिम लेकर उसका उपयोग कर खुद को भी सुरक्षित रखें.
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