मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 11 नवंबर 2012

महिलाएं और राजनीति

            सपा प्रमुख मुलायम सिंह के महिलाओं के सम्बन्ध में दिए गए एक बयान के बाद उससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. यह पहले से ही सपा की घोषित नीति है कि महिलाओं को राजनीति में अधिक आरक्षण नहीं मिलना चाहिए और इसके तहत ही पार्टी संसद और विधान सभाओं में ३३ % आरक्षण के बिल का शुरू से ही विरोध करती रही है. पार्टी की नीतियां किसी के पक्ष या विपक्ष में झुकी हुई हो सकती हैं पर महिलाओं के लिए किसी भी तरह के इस तरह के बयान को आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है. मुलायम मंझे हुए राजनेता हैं अगर उन्होंने यह सब कहा है तो इसके पीछे भी उनकी सोची समझी रणनीति ही होगी क्योंकि समाजवादी विचारधारा के होने के साथ ही गाहे बगाहे विवादस्पद बयान देना अब नेता जी की आदत बन चुकी है. कभी महिला आरक्षण बिल के विरोध में संसद में पहुँचने वाली महिलाओं को देखकर लोगों के सीटी बजाने वाले बयान से भी इसी तरह का विवाद हो चुका है.
      यहाँ पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि सपा प्रमुख खुद पानी बहू को चुनावों में उतारने से कभी नहीं चूकते हैं पर जब अन्य महिलाओं की बात होती है तो उन्हें इस पूरे प्रस्ताव पर ही परेशानी होने लगती है. कहीं ऐसा तो नहीं कि नेता जी अपनी पार्टी के लोगों को अच्छी तरह से जानते हैं तभी उन्होंने यह कहा हो कि संसद में महिला सदस्यों को देखकर उनके सांसद ही सबसे ज्यादा सीटियाँ बजा सकते हैं ? देश में आज भी इस तरह की विचारधाराएँ पनप रही हैं जो विकास के इस दौर में महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने का काम करते रहना चाहती हैं जिससे महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के बारे में संविधान के अनुसार काम करने में समस्या उत्पन्न हो रही है. खुद अखिलेश सरकार और नेताजी की मंशा इस मुद्दे पर अलग अलग दिखती है क्योंकि अभी हाल ही में अखिलेश सरकार ने ग्राम सभाओं और अन्य निकायों में महिलाओं के स्थान पर उनके पतियों या अन्य रिश्तेदारों के काम करने पर सख्ती से रोक लगाने के आदेश जारी किये हैं ?
              महिलाओं में आकर्षण हो न हो पर उनमे ज़िम्मेदारी हमेशा से ही कूट कूट कर भरी होती है इसके लिए न तो उन्हें किसी संस्था में प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता होती है और न ही उन्हें किसी नेता से कोई प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता होती है. जो गुण प्रकृति ने महिलाओं में जन्मजात ही दिए हैं उन नारी सुलभ गुणों को किसी भी ऊंचे पद पर पहुंची हुई किसी भी महिला में आसानी से देखा जा सकता है. जिन स्थानों पर महिला अधिकारी होती हैं वहां पर भ्रष्टाचार कम होता है और यह भी हो सकता है कि कमीशन लेकर सांसद/ विधायक निधि को बांटने वाले माननीयों से ये महिला सदस्य कम भ्रष्टाचार करती हों ? जब हर स्थान पर महिलाओं के स्वाभाव ही उनके आकर्षण का कारण हैं तो फिर किस आकर्षण की बात नेता जी ने की है ? कुछ भी कह कर मीडिया पर यह आरोप जड़ देना कि उसने बयान का गलत अर्थ लगाया है अब भारतीय नेताओं के बड़बोले पन को ही साबित करता है और साथ ही यह भी दिखाता है कि किसी भी उच्च पद पर पहुँच जाने के बाद भी पुरुष प्रधान समाज की ग्रंथि दिल से नहीं निकल पाती है.     
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