मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

रेल यात्रा और पहचान पत्र

               रेल टिकटों की कालाबाजारी को रोकने के लिए रेलवे ने एक बार फिर से एक नया उपाय करते हुए किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने के समय पहचान पत्र की अनिवार्यता १ दिसंबर से लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इस तरह के उपायों से फर्ज़ी तरीके से बनवाये गए टिकटों पर यात्रा करने वालों के लिए समस्या शुरू होने वाली है और जो लोग इस तरह से किसी भी नाम से टिकट बनवाकर अपनी यात्रा को पूरा किया करते थे अब उनके लिए भी कठिन दौर शुरू होने वाला है. रेलवे ने अभी तक जो भी उपाय किये हैं उनका उतना असर कहीं से भी दिखाई नहीं देता है जितना होना चाहिए क्योंकि इसमें रेलवे के कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते कहीं न कहीं से कोई चोर रास्ता निकाल ही लिया जाता था. अब आने वाले समय में जिस तरह से रेलवे ने अपने काम को सही ढंग से करने की कोशिशें शुरू की हैं उनका असर पूरी तरह से दिखाई देने लगेगा इसमें भी संदेह है.
            जिस तरह से रेलवे कालाबाज़ारी रोकने के लिए उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है और चरण बद्ध तरीके से उस पर अमल भी शुरू किया है उसका निश्चित तौर पर असर दिखाई भी देगा पर इस पूरी कवायद का सही लाभ तभी दिखाई देगा जब रेलवे के कर्मचारी भी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए इस पूरे अभियान को सही ढंग से चलने में अपनी भूमिका का निर्वहन सही ढंग से करेंगें. नियम बनाने में कोई भी चूक नहीं करना चाहता है फिर भी शातिर लोग कहीं न कहीं से कुछ न कुछ निकाल ही लेते हैं जिससे पूरी व्यवस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाया करता है. यदि केवल कानून और नियम से ही सब कुछ सुधर सकता तो आज इस तरह से भष्टाचार ने हर जगह पर अपनी जड़ें न जमा ली होती और देश में हर विभाग और कार्यालय सही ढंग से काम कर रहे होते. रेलवे की व्यापकता को देखते हुए किसी भी उपाय को लागू कर पान उतना आसान नहीं है फिर भी प्रयास करते रहने से बहुत कुछ सुधर चुका है और आने वाले समय में और सुधार होने की आशा दिखाई भी दे रही है.
           रेलवे को आज के समय के अनुसार अपने संसाधनों का विस्तार तो करना ही होगा क्योंकि जब भी मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर आता है तभी कालाबाज़ारी करने वालों के पास काम आ जाता है और इससे निपटने के लिए रेलवे को पूरी तरह से यह सुनिश्चित करना होगा कि विभिन्न मार्गों पर समय और आवश्यकता के अनुसार यात्रियों के लिए जगह उपलब्ध रहे जिसके लिए उसे केवल विशेष गाड़ियाँ चलाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि कुर्सी यान को प्राथमिकता देने की ज़रुरत है जिससे यात्रियों को पूरी सुविधा मिल सके और रेलवे को भी संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से अधिक आय हो सके. प्रयोग के तौर पर कुछ महत्वपूर्ण गाड़ियों में कुर्सी यान लगाये जाने चाहिए क्योंकि आने वाले समय में राजमार्गों की बेहतर होती स्थिति और बसों के लगातर आरामदायक होते जाने से ५०० किमी की दूरी लोग ट्रेन के बजाय बस से करने को प्राथमिकता देने वाले हैं. इस स्थिति के लिए रेलवे को अभी से ही तैयारी करने की आवश्यकता है और अपने कर्मचारियों को कर्तव्यनिष्ठता की तरफ़ ले जाना भी स्थिति को सुधारने का काम कर सकता है.   
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1 टिप्पणी:

  1. यात्रियों को सुविधा देनी चाहिए ..
    बहुत गोलमाल है इस क्षेत्र में

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