मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 2 दिसंबर 2012

ठोस सबूत और पाक

                  पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने एक बार फिर से सबूतों की बात कहकर २६/११ में पाकिस्तानियों के शामिल होने की बात को नकारने की कोशिश की है. उन्होंने एक बार फिर से यही कहा कि भारत कोई ऐसे सबूत पेश करे जिनको पाकिस्तानी कोर्ट में सिद्ध किया जा सके तो हाफिज सईद को सज़ा दिलवाने में पाक कोशिश कर सकता है. पाक में कानून और प्रशासन किस तरह से इन कट्टरपंथियों के दबाव में काम करता है यह सभी जानते हैं क्योंकि किसी भी नेता द्वारा आज तक यह खुलकर नहीं कहा गया है कि पाक में काम करने वाले ये आतंक संगठन क्षेत्र की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा हैं ? पाक को सच को देखकर भी उससे अनजान बनने का पुराना अनुभव रहा है जिस कारण से वह आज भी किसी तथ्यपरक बातों को सही मानना ही नहीं चाहता है. जब उस पर बन आती है तो वह अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र की दुहाई देता हैं पर जब भारत में इस्लामी चरमपंथियों को भेजने का मामला होता है तो उसे सांप सूंघ जाता है. जिस तरह से पिछले दो महीनों से भारत के साथ अपनी सीमा से घुसपैठ कराने के लिए अकारण गोलीबारी कर रहा है उसका क्या मतलब है ? सीमा पर सख्ती होने से अब पाक अपने पिट्ठुओं को भारत में गड़बड़ी करने के लिए आसानी से नहीं भेज पा रहा है जिससे बेचैनी में वह सीमा पर आतंकियों को घुसपैठ कराने के लिए इस तरह की गोलीबारी का सहारा लिया करता है.
               जब पाक में खुद ही कोई कानून माना नहीं जाता है तो भारत द्वारा प्रस्तुत किये गए साक्ष्य वहां की अदालतों में कितने दिनों तक टिक पायेंगें यह सभी को पता है. अगर पाक को भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने होते तो वह इस तरह की हरक़तों से बाज़ आ जाता अब इसी महीने भारत का दौरा करने वाली क्रिकेट टीम और खेल को लेकर माहौल बनाने का काम किया जा रहा है पर इस तथाकथित दोस्ती के बीच में से जो साँप भारत के साथ के रिश्तों पर पाक छोड़ रहा है उनका किसी के पास कोई हिसाब नहीं है. पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी और अब नेता बने इमरान खान को भी क्रिकेट के रिश्ते सुधारने में अच्छा लगता है पर वे भी पाकिस्तानी घुसपैठी नीति का समर्थन करते हुए पाकिस्तानियों को बिना किसी की सिफारिश भारत आने देने की बात उठा चुके हैं. क्या इमरान को यह पता नहीं है कि इस तरह से खेल भावना से खेल देखने आये पाकिस्तानी भारत में आकर गायब हो जाते हैं और पाक की सरकार भी इतनी उदार है कि वह अपने दुश्मन देश में दोस्ती का खेल देखने आये हुए लोगों के गायब होने पर चुप्पी लगाकर बैठ जाती है ?
            पाक की इन हरक़तों के कारण ही इस बार भारत ने खेल देखने आने वालों को दूसरा खेल खेलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है अब केवल वही लोग यहाँ आयेंगें जिनके बारे में कोई भारतीय ज़िम्मेदारी लेगा. अब इस तरह के मामलों में जब सबूत की बात की जाये तो अच्छा लगता है पर पूरी दुनिया ने तीन दिनों तक पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों को मुंबई में कोहराम मचाते देखा. इस्लाम में बेगुनाह को मारने को ग़लत बताया गया है पर जाने इस्लाम की किस व्याख्या के तहत उन आतंकियों ने राह चलते और ट्रेन का इंतज़ार करते लोगों पर मानसिक रोगियों की तरह गोलियां बरसायीं ? इतने के बाद भी जब पाक को इन आतंकियों की पहचान को लेकर सबूत दिए तो पाक उनसे मुकर ही गया ? जब इतने महत्वपूर्ण मसले पर भी पाक का यह रवैय्या रहा करता है तो वह और वहां की अदालत किन सबूतों को चाहती हैं ? कहने को पाक अपने को चाहे जितना प्रगतिशील कहता रहे पर आज वहां पर मध्यकालीन बर्बरता ने इतना कब्ज़ा कर लिया है कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ते नमाज़ियों पर भी गोली चलाने वालों को समर्थन देने वालों की कमी नहीं है. 
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय ब्लॉगर मित्र,

    हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।

    शुभकामनाओं सहित,
    ITB टीम

    पुनश्च:

    1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।

    2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।

    [यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।

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