मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का लाभ

                                  संप्रग-२ सरकार की महत्वाकांक्षी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना ने प्रारंभिक चरण के ५० दिनों में जिस तरह से कमज़ोर तैयारियों के बाद भी १०.९४ लाख लोगों तक उनको दिया जाने वाला धन सीधे उनके खातों में पहुँचाने में सफलता पाई है उससे यही लगता है कि यदि पूरे देश में इसे तेज़ी से लागू करवाने के बारे में सोचा जाए तो आने वाले समय में यह योजना कमज़ोर लोगों की प्रगति के साथ आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने में भी कुछ हद तक काम कर सकती है. जिस तरह से इस योजना के प्रथम चरण में शामिल किये गए वजीफ़ा और कल्याणकारी योजनाओं के धन को ही हस्तांतरित किया गया और इसको बड़ी सफलता के साथ लागू भी किया गया वह इसकी आने वाले दिनों में भरपूर सफलता की गारंटी भी दे सकता है क्योंकि अभी तक किसी भी तरह की सरकारी सब्सिडी या सहायता को सीधे लाभार्थी तक पहुँचाने के लिए सरकार के पास कोई कारगर व्यवस्था नहीं थी. इस योजना के क्रियान्वयन में जिस तरह से कांग्रेस शासित और तेलंगाना के बाद आतंक की धमक से प्रभावित आन्ध्र प्रदेश ने तेज़ी से लागू करने की दिशा में प्रयास किये हैं वह भी प्रशंसनीय हैं क्योंकि आज देश में कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं पर सभी जगह इस तरह की तेज़ी नहीं दिखाई दे रही है.
                        पहले से ही जनता तक पहुँचने वाली किसी भी तरह की आर्थिक सहायता को इस बार जिस तरह से एक कारगर प्रक्रिया के अंतर्गत लाया गया है वह पूरे देश के आर्थिक परिदृश्य को बदलने का माद्दा भी रखती है क्योंकि जब मनरेगा को शुरू किया गया था तो उसके इतने बड़े सामाजिक प्रभाव का अंदाज़ा किसी को भी नहीं था क्योंकि आर्थिक रूप से कमज़ोर राज्यों से जिस मानव शक्ति का पहले बड़ी संख्या में पलायन हुआ करता था उस पर इसके बाद काफी हद तक रोक भी लग गयी है. देश के संपन्न राज्यों में राजनैतिक कारणों से भी जो विद्वेष इन प्रवासी कामगारों के कारण फैला करता था उसमें भी कमी आनी शुरू हुई है क्योंकि विकास की पटरी पर तेज़ी से आगे बढ़ते हुए राज्यों को भी मानव शक्ति की आवश्यकता तो होती ही है और इस तरह के सामाजिक परिवर्तन करने में सक्षम किसी भी परियोजना को यदि पूरे देश में ईमानदारी से लागू करवाने के प्रयास किये जाएँ तो वास्तविक रूप से पूरे देश में आर्थिक प्रगति की दिशा में कुछ काम तो शुरू हो ही सकता है.
                       केंद्र सरकार को राज्यों पर इस बात के लिए भी दबाव बनाना चाहिए कि वे इस तरह के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की योजना पर अपने यहाँ तेज़ी से काम करें क्योंकि यह केन्द्रीय योजना होने से कई अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों में राजनैतिक कारणों से भी इस पर अमल करने की दिशा में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है ? चूंकि यह योजना सीधे लाभार्थी से जुड़ी हुई है इसलिए इसके क्रियान्वयन में फिसड्डी रहने वाले राज्यों को अन्य तरह की केन्द्रीय सहायता से जोड़कर देखा जाना चाहिए और जो राज्य सरकारें इस पर तेज़ी से काम कर रही हैं उनके लिए अन्य योजनाओं की धनराशि भी समय से जारी की जाये और कम रूचि दिखाने वाले राज्यों की अन्य केन्द्रीय परियोजनाओं पर आर्थिक लगाम भी दंड स्वरुप लगायी जानी चाहिए. पूरा देश यदि आज तक तेज़ी से विकास कर पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है तो उसके पीछे जनता से जुड़े मुद्दों पर भी राजनीति किया जाना भी एक बड़ा कारण है क्योंकि आज भी हमारे नेता इतने परिपक्व नहीं हो पाए हैं कि वे अपने दलगत स्वार्थों से आगे बढ़कर देश के लिए समग्र रूप से क़दम उठाने में तत्पर हो सकें.      
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