मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

चक हैगल और भारत ?

                                अमेरिकी रक्षा मंत्री पद के उम्मीदवार चक हैगल के एक पुराने भाषण का टेप नेट पर आने के बाद उनकी भारत की अफ़गानिस्तान में भूमिका के बारे में दोहरी नीति का पता चलता है. २०११ के उनके इस भाषण में उन्हें भारत पर आरोप लगाते हुए दिखाया गया है कि आज के समय में भारत अफ़गानिस्तान के साथ लगती हुई पाक की सीमा पर अशांति फ़ैलाने में लगा हुआ है. वैसे तो इस आरोप के कोई प्रमाण आज तक किसी को नहीं मिले हैं क्योंकि भारत की अफ़गानिस्तान में भूमिका की संयुक्त राष्ट्र समेत अमेरिकी सरकार भी शुरू से समर्थन कर प्रशंसा करती रही है पर चक ने यह बयान वहां पर किन परिस्थितियों में दिया यह भी देखने का विषय है. आशा के अनुरूप भारत ने इस टेप के सार्वजनिक होने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि आज तक उसकी अफ़गानिस्तान में किसी भी भूमिका की केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा प्रशंसा ही की गयी है और वास्तविकता से परे इस तरह के बयानों से भारत की भूमिका के बारे में पाक और पाक समर्थक अन्य लोगों को भारत पर निशाने साधने का अवसर मिलेगा.
                        अफ़गानिस्तान ही क्या पूरे दक्षिण एशिया समेत विश्व भर में पाक जिस तरह से आतंक का पोषण कर रहा है क्या चक को वह भी दिखाई नहीं देता है जो वे बिना कुछ विचारे इस तरह के आरोप भारत पर ही लगा रहे हैं यदि ऐसा ही है तो अब उनके नेतृत्व में अमेरिकी विदेश नीति का जो हश्र होगा वह भी दुनिया को जल्दी ही दिखाई भी देगा. हो सकता है कि चक विरोधी किसी लॉबी ने ही उनका यह विवादास्पद टेप लीक कर दिया हो जिससे आज के भारत के साथ अमेरिकी संबंधों को देखते हुए संभवतः सीनेट उनके नाम पर विचार करने के स्थान पर किसी और को इस पद पर लाने के बारे में सोचे ? इस तरह की भारत विरोधी मानसिकता को दिखाने वाले किसी भी व्यक्ति के अमेरिकी रक्षा मंत्री बनने के भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं यह भी भारत के लिए सोचने का विषय है क्योंकि यदि किसी दबाव के कारण यदि चक ने इस तरह का बयान दिया था तो आने वाले समय में अमेरिकी नीति निर्माता होने के समय उनके द्वारा फिर से ऐसी कोई हरक़त नहीं की जाएगी इस बात की कोई क्या गारंटी दे सकता है ? इस तरह की परिस्थितियों में अमेरिकी सीनेट का चाहे जो भी रुख़ हो पर भारत सरकार को अपनी तरफ से राजनयिक और कूटनीतिक स्तर पर पूरा विरोध दर्ज़ कराना चाहिए भले ही इससे चक के नामांकन को रोकना में कोई सफलता न मिले.
                        आज़ादी के बाद से ही भारतीय विदेश नीति में जिस तरह के भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले तत्वों का समावेश रहा है आज के समय में उनसे थोडा अलग हटकर सोचने की ज़रुरत है क्योंकि रोज़ ही बदलते आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक परिदृश्य के कारण अमेरिका जैसे देश भी पाक एक सामने झुके से नज़र आते हैं तो उस स्थिति में भारत को भी अपनी पुरानी स्थिति में कुछ परिवर्तन करने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए. कूटनीतिक स्तर पर बहुत अधिक आक्रामकता काम नहीं आती है फिर भी सामान्य शिष्टचार और विरोध को दर्ज़ कराने के लिए भारत सरकार और विदेश मंत्रालय को तैयार रहना ही चाहिए जिससे चक जैसे कोई भी लोग भारत के ख़िलाफ़ कुछ भी अनर्गल न बोलने लगें ? भारत की विदेश नीति अभी तक विश्व में सबसे स्थिर और सबके लिए समान कही जा सकती है क्योंकि जब तक हम अपने में एक जैसी स्थिति का प्रदर्शन करने का मदद नहीं रख पायेंगें तब तक किसी भी परिस्थिति में सब कुछ सही नहीं हो सकता है. भारत ने इस मसले पर अपना विरोध दर्ज़ करा ही दिया है और अब यह ओबामा प्रशासन और सीनेट पर है कि वह भारत के इस विरोध को कैसे स्वीकार करते हैं क्योंकि भारत किसी व्यक्ति की नियुक्ति पर विरोध ही कर सकता है.          
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