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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

यूपी, १०९० और महिलाएं

                  यूपी में महिलाओं में सुरक्षा का भाव पैदा करने और उन्हें तत्काल उचित सहायता देने के लिए गत नवम्बर माह में शुरू की गई महिला हेल्पलाइन १०९० सरकारी उपेक्षा के कारण अब बंद होने के कगार पर ही है क्योंकि उसे अपने सामान्य काम काज को चलाने के लिए जिस आधारभूत संरचना की आवश्यकता है वह उसे अभी तक मिल ही नहीं पा रही है जिस कारण भी से भी इसके बंद होने का ख़तरा सामने दिखाई देने लगा है. इस पूरे तथ्य में सबसे ख़ास बात यही है कि प्रदेश में गृह मंत्रालय भी अखिलेश के पास है और जब खुद सीएम के द्वारा बड़े स्तर पर शुरू की गई इस हेल्पलाइन का यह हाल हो चुका है तो प्रदेश में तमाम तरह के दावे करने वाली सपा सरकार के अन्य कामों के बारे में केवल अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है. देश एक सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में नेता, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता समेत जब सभी अपने कार्य को कर पाने में सफल नहीं हो पा रहे है तो उस स्थिति में किसी भी सरकार द्वारा किए जाने वाले बड़े बड़े दावे केवल हवा हवाई ही साबित होते रहते हैं.
                 ऐसा नहीं है कि यूपी में काम करने की मंशा नहीं है पर जिस तरह से अधिकारी वर्ग सत्ताधारी दल की कुछ महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम करके अपना उल्लू सीधा कर नेताओं को उल्लू साबित कर प्रदेश की जनता को लगातार पीछे धकेलने का काम कर रहा है उस परिस्थिति में इससे अधिक और किसी बात पर कौन ध्यान देना चाहेगा ? बसपा सरकार में अम्बेडकर ग्राम और आवासीय परियोजना को ही पूरा करने में जिस तरह से अधिकारियों ने अपनी पूरी शक्ति लगाये रखी और प्रदेश के सभी विभाग उसी के पीछे रहे वही काम आज सपा सरकार में कन्या विद्या धन, बेरोज़गारी भत्ता, लैपटॉप और टेबलेट बांटने में किया जा रहा है जिससे अन्य प्रशासनिक कार्य पूरी तरह से पिछड़ रहे हैं. आख़िर ऐसा क्या है कि किसी भी परियोजना को लागू करने के लिए आज कोई भी विभाग सक्षम नहीं दिखाई देते हैं जबकि आज से कुछ वर्षों पहले तक सभी विभाग अपनी कार्य क्षमता के अनुसार काम करके प्रशंसा बटोरने का काम आसानी से किया करते थे ? शायद पहले ७०% विभाग सीएम के पास नहीं होते थे औए विभागीय काम करने के लिए मंत्रियों के पास पूरी छूट हुआ करती था जिससे भी कार्य संस्कृति पर बुरा असर नहीं पड़ता था.
                  महिलाओं की स्थिति और कानून व्यवस्था के मामले में आज यूपी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी हालत में नहीं है और महिलाओं के लिए शुरू की गई इस हेल्पलाइन ने शुरू में काफी अच्छा काम किया भी था पर जब अधिक लोगों को इस सेवा की जानकारी हुई और लोगों ने इसका उपयोग करना शुरू कर दिया तो कम संसाधनों के कारण यह हेल्पलाइन पूरी तरह से अक्षम होती चली गई. प्रदेश की आबादी के अनुसार इसे काम करने के लिए जिस आधारभूत संरचना की आवश्यकता थी वह आज तक मुहैया नहीं कराई गई और इससे काम करा कर प्रदेश में जादू से महिलाओं की सहायता करने में सक्षम मान लिया गया ? इसको सुचारू रूप से चलाये जाने के लिए जितने कमरों की ज़रुरत थी वह भी सामजिक परिवर्तन का दावा करने वाले परिवर्तन स्थल में सरकार नहीं ढूंढ पाई इसे सरकार की काम करने की मंशा कहें या फिर अधिकारियों की चालाकी कि वे अखिलेश, सपा और सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ही जुटे दिखाई देते हैं जिससे पूरे प्रदेश में केवल उन्हीं योजनाओं का हल्ला सुनाई देता है जिनका सरकार शोर मचाकर २०१४ की तैयारियों को पूरा करना चाहती है. १०९० बंद होने के बाद पता नहीं कब १८१ के देश व्यापी स्वरुप को प्रदेश में शुरू किया जा सकेगा जिससे समाज में महिलाओं में सुरक्षा की भावना को और मज़बूत किया जा सके.       
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