मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

यूपी में नए डीजीपी

                      एक वर्ष पुरानी अखिलेश सरकार ने जिस तरह से लगातार केवल चेतावनियाँ जारी करने के बाद यूपी के पुलिस महानिदेशक अम्बरीश चन्द्र शर्मा को उनके पद से हटाकर उनकी जगह पीएसी में तैनात देवराज नागर को तैनात किया है उससे आने वाले समय में पुलिस के मनोबल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो समय ही बता पायेगा पर जिस तरह से आजकल सामान्य प्रशासन में सत्ताधारी दल के नेताओं समेत विपक्षी दलों के माननीयों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है उस स्थिति में किसी भी अधिकारी के लिए इस माहौल में निष्पक्षता के साथ काम करने की आशा करना ही बे-ईमानी है क्योंकि ये माननीय किसी भी तरह से पुलिस को कोई काम करने ही नहीं देते हैं. काम काज में निष्पक्षता लाये बिना किसी भी अधिकारी के बस में नहीं है कि वह यूपी में पूरी तरह से बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को सुधार सके आज प्रदेश के किसी भी जिले की स्थिति ऐसी नहीं कही जा सकती है जहाँ पर शासन की दिखावी मंशा भी धरातल पर दिखाई देती हो ?
                     यह बात अखिलेश को समझनी ही होगी कि जब तक सामान्य प्रशासन में नेताओं की भूमिका को सीमित नहीं किया जायेगा तब तक किसी भी तरह से कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है क्योंकि यूपी में धीरे धीरे इतनी कमियां आ चुकी है कि उसे एक दृढ़ संकल्प के साथ ही दूर किया जा सकता है. ऐसा नहीं है कि यदि संकल्प हो तो इस तरह के बदलाव नहीं किये जा सकते हैं पर केवल वोट बैंक के लालच और सामान्य प्रशासनिक क्षमता का अनुभव न होने के कारण ही अखिलेश भी उसी पुरानी परिपाटी के वाहक बने हुए हैं जिसमे सपा की सरकार के आने पर यूपी में अघोषित तौर पर कानून व्यवस्था का नामो निशान ही नहीं रह जाता है. पता नहीं क्यों आज अधिकारी भी नेताओं के सामने इतने नत मस्तक दिखाई देते हैं क्योंकि यदि किसी भी सेवा के ५०% अधिकारी ही यह तय कर लें कि उन्हें प्रदेश को सुधारने के लिए नियमानुसार काम करना है तो किसी भी सरकार में इतना दम नहीं होता है कि वह इतने बड़े पैमाने पर अधिकारियों के इस तरह के रुख़ के ख़िलाफ़ जा सके ?
                     एक समय था जब कानून व्यवस्था में पूरे देश में बिहार ही सबसे कुख्यात रहा करता था पर केवल नितीश कुमार के दृढ़ संकल्प ने आज उसे वह स्थान दिला दिया है कि अब वह सामान्य प्रशासन और पुलिसिंग में देश में सराहा जाने लगा है. वहां पर यह काम किसी और ने नहीं बल्कि नियमानुसार काम करने की छूट मिल जाने पर उन्हीं अधिकारियों ने कर दिखाया है जो एक समय में इस तरह की प्रक्रियाओं को शुरू करने से कतराते रहते थे ? अखिलेश युवा हैं और सपा की अघोषित और जनता को इस तरह से कष्ट देने वाली नीतियों पर जब तक सरकार के स्तर पर वे कड़े कदम नहीं उठायेंगें तब तक चंद मोहरे बदल देने से किसी भी तरह से सुधारों के लक्ष्य को नहीं पाया जा सकता है. मुलायम ने जिस भी तरह से सरकार को चलाया यह उनका मामला था पर जब आज अखिलेश के हाथों में सत्ता है तो उन्हें कहीं से तो ऐसा प्रयास करना ही चाहिए जिससे आम जनता को लगे कि वह अगले चुनावों में सपा की इन कमियों के कारण उससे दूर होने के स्थान पर उसे एक बार फिर से सत्ता चलने लायक समझने लगे क्योंकि इससे ही सपा देश और प्रदेश का भला हो सकता है वरना माया तो अगले चुनावों के बाद कालिदास मार्ग पर फिर से आने के लिए तैयार ही बैठी हैं.  
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