मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 18 जून 2013

फ़ोन टैपिंग के कानून

                                     देश में आधुनिक संचार माध्यमों के माध्यम से अवैध कारोबार में लगे हुए लोगों पर नज़र रखने के लिए सरकार द्वारा जल्दी ही पूरी तरह से नए कानून को अमली जामा पहनाने की कोशिशें अब पूरी होती दिख रही हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अनधिकृत रूप से सीडीआर हासिल करके उनके दुरूपयोग के कई मामले सामने आने के बाद इस मसले पर काफी शोर शराबा हुआ था. वैसे तो हर देश में आवश्यकता पड़ने पर सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमति मिलने के बाद इस सुविधा का लाभ उठा सकने में सक्षम एजेंसियों को किसी भी फ़ोन की की डिटेल्स मिल सकती हैं पर भारत में कानून के इस स्वरुप का अभी तक कई मामलों में सरकारों द्वारा अपने राजनैतिक हितों को पूरा करने के लिए भी अधिक दुरूपयोग किया जा रहा था. देश की सुरक्षा और उसे आर्थिक रूप से मज़बूत बनाये रखने के लिए जिस तरह के कानूनों को देश में होना चाहिए वे अभी भी नहीं बनाए जा सके हैं और पहली बार भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम १९५१ में इससे जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए सही दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं.
                                      देश में सीबीआई, आयकर विभाग सहित नौ विभागों को किसी भी व्यक्ति के फ़ोन से सम्बंधित जानकारी हासिल कर सकने का कानूनी अधिकार अभी तक मिला हुआ है पर देश में बाज़ार की आर्थिक गतिविधियों पर नज़र रखने वाले सेबी को भी यह अधिकार दिए जाने के बारे में सरकार विचार कर रही है जिससे बाज़ार पर अनधिकृत रूप से पकड़ बनाकर लाभ उठाने वाले लोगों पर भी नज़र रखी जा सके. देश में जिस तरह से आन्तरिक और बाहरी चुनौतियाँ समय समय पर अपना सर उठाती रहती हैं उनसे बचने के लिए भी सरकार सुरक्षा एजेंसियों को अधिकार पहले ही दे चुकी है पर उसके साथ ही इस तरह से किसी की भी फ़ोन टैपिंग करने के बाद जांच एजेंसी के लिए सम्बंधित सक्षम अधिकारी को यह भी बताया जाना चाहिए कि इस पूरी क़वायद से उसे क्या हासिल हुआ और उससे देश को क्या लाभ हुआ ? अभी तक जिस तरह से मनमानी तरह से सभी काम किया जाता है उस पर भी अंकुश लगाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक पूरे परिदृश्य पर विचार नहीं किया जायेगा इसके लाभ को महसूस नहीं किया जा सकेगा.
                                  फ़ोन टैपिंग पर राष्ट्रीय सुरक्षा से अधिक केंद्र सरकार पर अपने राजनैतिक हितों को साधने के आरोप हमेशा से ही लगा करते है और यह सही भी है कि केंद्र में बैठी हुई किसी भी सरकार के पास यह अधिकार होता है और वह अपने इन अधिकारों के तहत किसी भी व्यक्ति की जांच करवा सकती है. जब भी राजनैतिक घटनाक्रम तेज़ी से बदलते हैं तो सरकारें अपने हित के लिए बड़े नेताओं तक के फ़ोन पर भी नज़र रखना शुरू कर देती हैं जिससे उनको कुछ लाभ हो जाया करता है पर नेताओं की इस व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण देश की सुरक्षा को संकट में नहीं डाला जा सकता है. कई बार देश विरोधी तत्वों की संदिग्ध बात चीत के आधार पर ही बड़ी घटनाओं को रोकने में सफलता भी मिल चुकी है पर आज भी हमारा यह पूरा तंत्र जितना कारगर होना चाहिए नहीं हो पाया है क्योंकि नेताओं को लगता है कि यदि उन्होंने अपने विरोधियों पर निगरानी कर ली तो जैसे पूरा देश ही सुरक्षित हो गया हो ? अब समय है कि इस मामले में नेताओं को ख़ुद ही विचार कर नियमों और अपने लिए एक सुस्पष्ट आचार संहिता के बारे में विचार करना चाहिए क्योंकि व्यक्तिगत लाभ के चक्कर में देश का बहुत बड़ा नुक्सान तो हो ही चुका है.      
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