मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 17 जून 2013

चुनावी तैयारियां और राजनीति

                                               देश में जिस तरह से आम चुनावों का समय नज़दीक आता जा रहा है और हम चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं उस परिस्थिति में देश के दोनों बड़े राजनैतिक दलों ने जिस तरह से अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं उससे यही लगता है कि इस बार के ये चुनाव केवल औपचारिकता भर नहीं रहने वाले हैं इसमें हर स्तर पर हर तरह की जंग देखने को मिलेगी और आने वाले समय में लोकतंत्र की नींव देश में और भी मज़बूत हो सकेगी. आज देश की जनता जिस तरह से राष्ट्रीय मुद्दों पर जागृत हो चुकी है उस स्थिति में अब कोई भी दल अपने को कम नहीं दिखाना चाहता है क्योंकि देश में इन्टरनेट से लगातार जुड़े हुए युवाओं का एक बड़ा वर्ग धीरे धीरे तैयार हो रहा है जो किसी भी सरकारी प्रचार के बाद भी अपने अनुसार पूरी परिस्थिति पर नज़र रखा करता है और यही वह वर्ग है जो देश के लिए निर्णायक वोट देकर किसी भी सरकार को बना या बिगाड़ सकने की शक्ति से भी लैस होता जा रहा है. देश के मज़बूत लोकतंत्र के लिए युवाओं का राजनीति के प्रति जागृत होना बहुत आवश्यक है यह देखना सुखद है कि आज यह हो भी रहा है.
                                               एक समय था जब किसी भी दल या गठबंधन के चुनावी घोषणा पत्र को केवल एक औपचारिकता ही माना जाता था पर आज जनता इस बात पर भी नज़र रखने लगी है कि आने वाले समय के लिए किसी दल ने क्या प्रस्तावित किया था और उसमें से उसने कितनी बातों को सफलता पूर्वक लागू करने में भी दिलचस्पी दिखाई है ? अब केवल चुनावी हित लाभ के लिए कुछ भी कहकर मुकर जाने वाले दलों के लिए राह आसान नहीं रहने वाली है क्योंकि जनता की नज़र अब उन पर पहले के मुकाबले अधिक सतर्क तरीके से रहने लगी है और कोई भी दल यदि अनावश्यक रूप से कुछ कहता है तो उसके लिए उस पर कोई जवाबदेही भी आ सकती है. जनता से देशहित से जुड़े मुद्दों पर अभी भी उतनी निगरानी नहीं मिल पा रही है जितनी की अपेक्षा उनसे देश करता है क्योंकि आज तक जिस तरह से कुछ भी करके सरकारें चलायी जाती रहती हैं अब उस परिस्थिति को पूरी तरह से बदलने का अवसर आ चुका है और इस बात को सभी राजनैतिक दल भी महसूस कर रहे हैं.
                                                अपनी चुनावी संभावनाओं को कोई भी दल कमज़ोर नहीं करना चाहता है पर साथ ही उसके पास करने के लिए जो भी अवसर होते हैं वह उनका लाभ भी उठाना चाहता है जिससे जनता में उसकी सभी कमज़ोरियां तो ज़ाहिर हो ही जाती हैं साथ ही उन पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी बन जाया करता है. आज भी देश को जिन चुनाव सुधारों की ज़रुरत है यदि उनको लागू कर दिया जाये तो आने वाले समय में देश के राजनैतिक दल और भी अधिक ज़िम्मेदारी से देश को चलाना सीख जाएंगें. देश का राजनैतिक तंत्र जितना ही अधिक जवाबदेह बनना सीख जायेगा देश के लिए प्रगति के मार्ग पर चलना उतना ही आसान हो जायेगा क्योंकि तब उन अनावश्यक बातों से देश को बचाया जा सकेगा जिनको सुलझाने में देश के संशाधन और समय लगा करता है और आज के समय में उनकी केवल राजनैतिक प्रासंगिकता ही शेष है ? देश के लिए सभी दलों को सही सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहे इससे बढ़कर और कुछ भी नहीं हो सकता है पर आज भी राष्ट्र हित के व्यापक मुद्दों को पीछे छोड़कर हमारे नेता केवल अपने स्वार्थों के लिए अनावश्यक रूप से सनसनी फ़ैलाने का काम करने से नहीं चूकते हैं.     
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