मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 2 जुलाई 2013

नेविगेशन में आत्म निर्भरता

                                   इसरो ने सोमवार रात में पीएसएलवी की २३ वीं सफल उड़ान के माध्यम से प्रक्षेपित किये गए भारतीय नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस -१ ए को उसकी कक्षा में स्थापित करने में सफलता पाई है वह देश के लिए के बेहद ही महत्वपूर्ण क़दम है वैसे तो अभी भी देश में जीपीएस सिस्टम का उपयोग किया जा रहा था पर उसके लिए हम दूसरे देशों की तकनीक और उपग्रहों पर ही निर्भर थे पर अब हमारे पास अपनी पूरी नेविगशन प्रणाली विकसित होने में अब कोई देर नहीं है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोज़ ही बदलते समीकरणों के बीच कभी भी ऐसी सेवा देने वाले किसी भी देश से सम्बन्ध खराब होने पर भारत के लिए यह सेवा बंद भी की जा सकती थी तो इस उपग्रह के प्रक्षेपण से हमारी इस क्षेत्र में भी आत्म निर्भरता बढ़ गई है. देश को जिस तरह से विकास के आयामों में आगे बढ़ना सीखना है और उसके लिए जिन भी चुनौतियों का सामान करने का साहस हमारे अन्दर होना चाहिए उसके विकास की दिशा में यह महत्वपूर्ण भी है. इस तरह की वैज्ञानिक उपलब्धियों से देश को और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और नए छात्रों को इस क्षेत्र में आने की उत्सुकता भी जगती है.
                             अभी तक इसरो ने जिस कुशलता के साथ अपने अधिकांश उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में सफलता के आंकड़े को छूना शुरू कर दिया है वह पूरे देश के लिए गर्व का विषय है और अब आने वाले समय में देश को किस तरह की आवश्यकताएं हैं इन पर विचार करने के बाद इसरो को समुचित मात्रा में धन का आवंटन भी किया जाना चाहिए क्योंकि हमारे अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों ने जिस तरह से विपरीत परिस्थितियों में भी अपने काम को पूरी लगन के साथ जारी रखा है उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. सरकार को इसरो के लिए वैज्ञानिकों की एक समिति बनानी चाहिए जो आने वाले समय में भारत की मूलभूत आवश्यकतों के साथ रक्षा और मौसम सम्बन्धी ज़रूरतों को भी पूरा करने के लिए सरकार को दीर्घ कालीन नीतियों के लिए सुझाव दे और इन सुझावों को सरकार अविलम्ब मानकर इसके लिए उचित एवं आवश्यक धन का आवंटन करने की व्यवस्था भी करे. देश के लिए जिस तरह की रक्षा या अन्य प्रणालियों की भविष्य में आवश्यकता पड़ने वाली है यदि उसके लिए हम भी से प्रयासरत रहना शुरू कर देंगें तो आने वाले समय में हम इस मामले में किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहेंगें.
                          इसरो ने देश को गर्व करने लायक बहुत सारे अवसर दिए हैं और आने वाले समय में यह संस्था देश की रक्षा ज़रूरतों और भविष्य में तकनीकी रूप से लड़े जाने वाले वाले युद्धों के लिए तैयार करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है हमारे पास जिस तरह के वैज्ञानिकों की आवश्यकता है आज भी उनकी बहुत कमी महसूस की जा रही है और इसे पूरा करने के लिए अब भौतिक विज्ञान की अन्तरिक्ष शाखा का और भी अधिक विकसित करने की ज़रुरत है क्योंकि आज हमारे पास जो भी वैज्ञानिक हैं वे अच्छा काम कर रहे हैं पर उनके इस काम को अनवरत आगे बढाने के लिए जिस स्तर पर हमें प्रयास रत रहना चाहिए अभी वह भावना हमारे अन्दर नहीं आ पायी है जिससे भी इस प्रतिष्ठित संस्था के पास उतने और कुशल वैज्ञानिक हमेशा उपलब्ध नहीं रहते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है. इसरो राष्ट्र निर्माण में पूरा सहयोग दे रहा है इसलिए इसके लिए भी रक्षा मंत्रालय की तरह भरपूर धन उपलब्ध होना ही चाहिए जिससे यह अपने लिए भविष्य के वैज्ञानिक तैयार करने में भी पीछे न रह जाए और देश की ज़रूरतों को पूरा करने में उसका सहयोग और तेज़ी से मिलता रहे.     
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