एक समय में देश में कार और विशिष्टता की पहचान रही एम्बेसडर कार ने एक बार फिर से अपनी गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर साबित करते हुए अपनी श्रेष्टता के बारे में पूरी दुनिया को बता दिया है. भारत में कभी आम लोगों की शानो शौकत का पर्याय रही यह कार आज भी सत्ता की धमक को पूरी तरह से दिखाती हुई राजनेताओं को सत्ता के केन्द्रों तक लाती ले जाती देखी जा सकती है. आज भी देश के अधिकांश राज्यों में पूरी नौकरशाही इस कार में ही सफ़र करना पसंद करती है क्योंकि इसमें जिस उच्च स्तर की सुरक्षा और आराम का तालमेल किया गया है वह आज की मंहगी से मंहगी कारों में भी नहीं दिखाई देता है. कभी ब्रिटेन में मोरिस ऑक्सफ़ोर्ड के नाम से बाज़ार में आने वाली यह कार भारत में आरामदेह सफ़र का एक पर्याय ही बन चुकी थी और आज भी देश के राजनेताओं और नौकरशाहों को यह जितना पसंद आती है उससे यही लगता है कि जैसे इससे बेहतर भारत में चलने के लिए कुछ बना ही नहीं है. इसकी मज़बूती ने इसे भारत के हर कोने में चल सकने लायक कार में बदल दिया जो सदैव ही इसके हक़ में जाता रहा है.
एक समय में अपनी मजबूती और टिकाऊ पन के लिए मशहूर यह कार कब आज की खूबसूरत दिखने वाली गाड़ियों की भीड़ में खो सी गयी इसके कारणों पर आज भी शायद कम्पनी विचार ही नहीं करना चाहती है क्योंकि उसका जितना भी उत्पादन है वह संभवतः सरकारी खरीद और विदेशों में निर्यात करने में ही पूरा खप जाता है इसलिए उसके स्तर पर आज भी इस कार के कमज़ोर पहलुओं पर विचार ही नहीं किया जा रहा है. समय के साथ इसमें जिस तरह के बदलाव किये जाने की आवश्यकता थी हिंदुस्तान मोटर्स उसमें पूरी तरह से पिछड़ सी गई और इस कार का सुख उठाने वाली पिछली पीढ़ी जिस तरह से अपनी उम्र के अंतिम दौर में पहुंची हुई है वहां से अब इसके लिए घरेलू खरीद में बढ़ोत्तरी दिखाई भी नहीं देती है ? आज के युग में हर चीज़ को तेज़ी से बदलती हुई देखने की आदी नयी पीढ़ी किस हद तक इस पुरानी एमबी को पसंद कर सकती है यह हम सभी जानते हैं फिर भी यदि कम्पनी की तरफ से इसके कुछ आज के हिसाब से आधुनिकता से युक्त मॉडल बाज़ार में लाये जाएँ तो इसकी बिक्री देश में और भी बढ़ सकती है.
एक बार पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ टैक्सी ढूँढने की बीबीसी की कवायद ने एम्बी को एक बार पुनः दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि पूरी दुनिया के दिग्गज कार निर्माताओं की बनाई गयी गाड़ियों में जब सबसे अच्छी और आरामदायक सफ़र देने वाली टैक्सी को चुनने का समय आया तो सभी ने भारतीय एम्बी को सबसे ज्यादा पसंद किया और यहाँ तक इसके प्रति लोगों की दीवानगी इतनी ज्यादा थी कि दूसरे स्थान पर रहने वाले को इसमें बहुत पीछे छोड़ रखा था. पूरी दुनिया में हुए इस सर्वेक्षण ने जहाँ भारतीय उद्योग और देशी तकनीक कर झंडा एक बार फिर से बुलंद का दिया है वहीं इस बात को भी रेखांकित किया है कि सरकारी स्तर पर भारतीय उद्योगों को जिस तरह से संरक्षण और उचित नीतियों की आवश्यकता है वे आज भी कहीं से नहीं बन पा रही हैं फिर भी हिंदुस्तान मोटर्स इस बात के लिए बधाई की पात्र है कि उसने इतनी गलाकाट प्रतिस्पर्धा में कई वर्षों तक घाटा सहने के बाद भी कार उत्पादन जारी रखा और आज इसके सबसे महत्वपूर्ण उत्पादन के पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ साबित से इसके लिए इसमें कुछ आवश्यक परिवर्तन करने की ज़रूरत पर भी प्रबन्ध को ध्यान देना ही चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
एक समय में अपनी मजबूती और टिकाऊ पन के लिए मशहूर यह कार कब आज की खूबसूरत दिखने वाली गाड़ियों की भीड़ में खो सी गयी इसके कारणों पर आज भी शायद कम्पनी विचार ही नहीं करना चाहती है क्योंकि उसका जितना भी उत्पादन है वह संभवतः सरकारी खरीद और विदेशों में निर्यात करने में ही पूरा खप जाता है इसलिए उसके स्तर पर आज भी इस कार के कमज़ोर पहलुओं पर विचार ही नहीं किया जा रहा है. समय के साथ इसमें जिस तरह के बदलाव किये जाने की आवश्यकता थी हिंदुस्तान मोटर्स उसमें पूरी तरह से पिछड़ सी गई और इस कार का सुख उठाने वाली पिछली पीढ़ी जिस तरह से अपनी उम्र के अंतिम दौर में पहुंची हुई है वहां से अब इसके लिए घरेलू खरीद में बढ़ोत्तरी दिखाई भी नहीं देती है ? आज के युग में हर चीज़ को तेज़ी से बदलती हुई देखने की आदी नयी पीढ़ी किस हद तक इस पुरानी एमबी को पसंद कर सकती है यह हम सभी जानते हैं फिर भी यदि कम्पनी की तरफ से इसके कुछ आज के हिसाब से आधुनिकता से युक्त मॉडल बाज़ार में लाये जाएँ तो इसकी बिक्री देश में और भी बढ़ सकती है.
एक बार पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ टैक्सी ढूँढने की बीबीसी की कवायद ने एम्बी को एक बार पुनः दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि पूरी दुनिया के दिग्गज कार निर्माताओं की बनाई गयी गाड़ियों में जब सबसे अच्छी और आरामदायक सफ़र देने वाली टैक्सी को चुनने का समय आया तो सभी ने भारतीय एम्बी को सबसे ज्यादा पसंद किया और यहाँ तक इसके प्रति लोगों की दीवानगी इतनी ज्यादा थी कि दूसरे स्थान पर रहने वाले को इसमें बहुत पीछे छोड़ रखा था. पूरी दुनिया में हुए इस सर्वेक्षण ने जहाँ भारतीय उद्योग और देशी तकनीक कर झंडा एक बार फिर से बुलंद का दिया है वहीं इस बात को भी रेखांकित किया है कि सरकारी स्तर पर भारतीय उद्योगों को जिस तरह से संरक्षण और उचित नीतियों की आवश्यकता है वे आज भी कहीं से नहीं बन पा रही हैं फिर भी हिंदुस्तान मोटर्स इस बात के लिए बधाई की पात्र है कि उसने इतनी गलाकाट प्रतिस्पर्धा में कई वर्षों तक घाटा सहने के बाद भी कार उत्पादन जारी रखा और आज इसके सबसे महत्वपूर्ण उत्पादन के पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ साबित से इसके लिए इसमें कुछ आवश्यक परिवर्तन करने की ज़रूरत पर भी प्रबन्ध को ध्यान देना ही चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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