आगरा में केन्द्रीय विद्युत राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह से सीएम अखिलेश के साथ मिलकर भविष्य में पूरे देश में बिजली की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उठाए जा रहे क़दमों में एक साथ आकर अपनी प्राथमिकताओं को सामने लाने का प्रयास किया है उससे आने वाले समय के लिए प्रदेश और उत्तरी क्षेत्र की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में बहुत बड़ी आसानी होने वाली है क्योंकि अभी तक जिस तरह से यूपी के स्थानीय कारणों से देश भर में चलाए जाने वाले ऊर्जा सुधारों से के दूरी बनाई जा रही थी उससे प्रदेश के साथ देश का भी बहुत नुकसान हो रहा था. प्रदेश द्वारा पहले से ही केंद्र द्वारा सुझाये गए ऊर्जा सुधारों को मान लिया गया है जिस कारण से भी अब यूपी के लिए बेहतर संसाधनों की उपलब्धता के लिए केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय भी प्रयासरत दिखाई देने लगा है अभी तक जिस तरह से हर मसले पर केवल राजनैतिक गोटियाँ फिट करने और उनका तात्कालिक लाभ उठाने के बारे में ही राज्य और केंद्र द्वारा क़दम उठाए जाते रहे हैं उनसे आने वाले समय में प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में पूरी तरह से जंग लग जाने की सम्भावना थी.
अपनी जगह पर यह बिलकुल सही है कि प्रदेश में विद्युत उत्पादन से लगाकर पारेषण तक जिस तरह से किसी की भी ज़िम्मेदारी तय नहीं की जा सकी है यह उसका ही परिणाम है कि आज कोर्ट में भी इस बात को माना गया है कि जब पूरे प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं से के जैसा शुल्क लिए जा रहा है तो उनके लिए एक जैसी विद्युत आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए ? आज बिजली विभाग के अधिकारी लखनऊ, नॉएडा और आगरा के अतिरिक्त चंद अति विशिष्ट क्षेत्रों में बिजली पहुंचाकर यह मान लेते हैं कि अब पूरे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई है. जब तक इस तरह की चापलूसी भरी नौकरी करने वाले कर्मचारी और इन पर भरोसा करने वाले नेता बचे रहेंगें तब तक इस क्षेत्र में सुधार संभव नहीं है. पिछली सरकारों के अनुभवों से सबक लेते हुए जिस तरह से अखिलेश ने अपना पूरा ज़ोर बिना किसी शोर शराबे के बिजली सुधार के लिए लगाया हुआ है उसके परिणाम आने वाले समय में दिखाई देंगें पर इस क़दम से यूपी ने राष्ट्रीय विद्युत विकास की गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर ली है जिसका लाभ उसे निश्चित तौर पर मिलने वाला है.
केवल राष्ट्रीय स्तर पर सुधारों के साथ खड़े होने से सारी बात सुधरने वाली नहीं है इसलिए अपने व्यस्त कार्यक्रम के बाद इसकी समीक्षा करने का समय शायद ही अखिलेश के पास बचे तो इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें एक तेज़ तर्रार राज्यमंत्री की नियुक्ति भी करनी चाहिए जो आने वाले समय में बिजली क्षेत्र के सभी सुधारों की गुणवत्ता और आवश्यकतों पर उन्हें समय रहते अपनी राय दे सके क्योंकि जिस तरह से बिना बात के संवेदनशील रहने वाले प्रदेश के वो सीएम हैं वहां पर कई बार ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता है पर उनसे निपटने में काफी राजनैतिक शक्ति और समय की बर्बादी होती है ? अब इस परिस्थिति से निपटने और प्रदेश में सरकार की गति और लय को बनाए रखने के लिए उन्हें व्यापक समन्वय पर ध्यान देना ही होगा. इस तरह से हजारों करोड़ों की परियोजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं बड़े बजट के चलते भ्रष्टाचारी इसमें घुसकर इसकी गुणवत्ता को ही बर्बाद कर डालें अच्छे प्रयासों के साथ जिस दृढ़ मानसिकता की आवश्यकता होती है अब अखिलेश को उसे दिखाने की आवश्यकता आ चुकी है वर्ना मुलायम की तरह वे भी इस भ्रष्ट प्रदेश में एक और सरकार चलाकर भूतपूर्व सीएम तो हो ही जाने वाले हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
अपनी जगह पर यह बिलकुल सही है कि प्रदेश में विद्युत उत्पादन से लगाकर पारेषण तक जिस तरह से किसी की भी ज़िम्मेदारी तय नहीं की जा सकी है यह उसका ही परिणाम है कि आज कोर्ट में भी इस बात को माना गया है कि जब पूरे प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं से के जैसा शुल्क लिए जा रहा है तो उनके लिए एक जैसी विद्युत आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए ? आज बिजली विभाग के अधिकारी लखनऊ, नॉएडा और आगरा के अतिरिक्त चंद अति विशिष्ट क्षेत्रों में बिजली पहुंचाकर यह मान लेते हैं कि अब पूरे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई है. जब तक इस तरह की चापलूसी भरी नौकरी करने वाले कर्मचारी और इन पर भरोसा करने वाले नेता बचे रहेंगें तब तक इस क्षेत्र में सुधार संभव नहीं है. पिछली सरकारों के अनुभवों से सबक लेते हुए जिस तरह से अखिलेश ने अपना पूरा ज़ोर बिना किसी शोर शराबे के बिजली सुधार के लिए लगाया हुआ है उसके परिणाम आने वाले समय में दिखाई देंगें पर इस क़दम से यूपी ने राष्ट्रीय विद्युत विकास की गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर ली है जिसका लाभ उसे निश्चित तौर पर मिलने वाला है.
केवल राष्ट्रीय स्तर पर सुधारों के साथ खड़े होने से सारी बात सुधरने वाली नहीं है इसलिए अपने व्यस्त कार्यक्रम के बाद इसकी समीक्षा करने का समय शायद ही अखिलेश के पास बचे तो इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें एक तेज़ तर्रार राज्यमंत्री की नियुक्ति भी करनी चाहिए जो आने वाले समय में बिजली क्षेत्र के सभी सुधारों की गुणवत्ता और आवश्यकतों पर उन्हें समय रहते अपनी राय दे सके क्योंकि जिस तरह से बिना बात के संवेदनशील रहने वाले प्रदेश के वो सीएम हैं वहां पर कई बार ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता है पर उनसे निपटने में काफी राजनैतिक शक्ति और समय की बर्बादी होती है ? अब इस परिस्थिति से निपटने और प्रदेश में सरकार की गति और लय को बनाए रखने के लिए उन्हें व्यापक समन्वय पर ध्यान देना ही होगा. इस तरह से हजारों करोड़ों की परियोजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं बड़े बजट के चलते भ्रष्टाचारी इसमें घुसकर इसकी गुणवत्ता को ही बर्बाद कर डालें अच्छे प्रयासों के साथ जिस दृढ़ मानसिकता की आवश्यकता होती है अब अखिलेश को उसे दिखाने की आवश्यकता आ चुकी है वर्ना मुलायम की तरह वे भी इस भ्रष्ट प्रदेश में एक और सरकार चलाकर भूतपूर्व सीएम तो हो ही जाने वाले हैं.
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