सऊदी अरब में स्थानीय निवासियों और कामगारों को काम देने के उद्देश्य से लागू किए गए निताक़त कानून से अब वहां पर के विकास और जन जीवन पर असर पड़ना शुरू हो गया है. इससे सबसे ज्यादा वहां के निर्माण उद्योग पर कुप्रभाव पड़ा है क्योंकि जिस तरह से भारतीयों ने वहां पर कामगारों के रूप में काम कर वहां पर हर तरह की गतिविधि को तेज़ करने में बहुत बड़ा योगदान किया था अब वे उससे वंचित हुए जा रहे हैं. कानूनी मजबूरी के चलते अब वहां की कम्पनियाँ एक सीमा से अधिक भारतीयों को रोज़गार नहीं दे सकती हैं जिससे उनके सभी काम लगभग ठप होने के कगार पर हैं इसका असर आने वाले कुछ समय में वहां पर दिखाई भी देगा क्योंकि अभी तक इस बारे में कोई विस्तृत रिपोर्ट खुद सरकार द्वारा भी नहीं बनायीं जा सकी है ? निर्माण उद्योग की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून के लागू होने से पहले लगभग ढाई लाख प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा था और अब कामगारों की कमी के चलते इनमें से लगभग नब्बे हज़ार को या तो रद्द कर दिया गया है या वे फिलहाल रुके हुए पड़े हैं.
किसी भी देश को अपने नागरिकों के हितों को संरक्षित करने के लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार है पर जिस तरह से सऊदी अरब से विदेशी कामगारों को इस उद्देश्य से बाहर करने के लिए निताक़त कानून लाया गया कि इसके बाद स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अधिक अवसर उत्पन्न होंगें वह कानून अब सरकार के लिए सरदर्द बनने वाला है क्योंकि वहां के स्थानीय निवासी जिन्हें इस कानून से संरक्षण दिया जा रहा था अब इस मामले में अधिक प्रभावी हो चुके हैं और कामगारों की कमी के कारण अब वे अधिक धन और मजदूरी की बात करने लगे हैं जिससे लागत में भारी बढ़ोत्तरी की शंका भी पैदा होने लगी है. इस तरह के कानून को बनाए जाने से पहले स्थानीय सरकार को जिस तरह से अपने आंकड़ों को देखना चाहिए था कि किस हद तक वे इन विदेशी कामगारों के बिना आगे बढ़ सकते हैं इसमें वह पूरी तरह से विफल रही है. अब आने वाले समय में जब वहां पर विकास की गतिविधियों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ेगा तो उससे उद्योगपतियों द्वारा इस कानून में ढील दिए जाने के लिए सरकार पर और दबाव बनाया जायेगा.
जहाँ तक भारतीय कामगारों का प्रश्न है तो अब भारतीय दृष्टि से भी इसे और मानवीय बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि अभी तक सऊदी अरब की जिन कम्पनियों द्वारा भारतीय कामगारों को किसी अन्य काम का लालच देकर वहां भेज जाता था और बाद में उनकी मजबूरी का लाभ उठाकर उनसे जबरन मजदूरी कराई जाती थी अब उस प्रक्रिया पर भी अंकुश लगाये जाने की ज़रुरत है क्योंकि अब जब एक बार फिर से सऊदी अरब को बेहतर कामगारों की ज़रुरत पड़ने वाली है तो भारतीयों के वहां जाकर काम करने की पूरी प्रक्रिया का ही फिर से अवलोकन किया जाना चाहिए और इसके लिए सरकार को विदेशों में काम के सिलसिले में जाने वाले लोगों की विस्तृत जानकारी भी रखने की व्यवस्था भी करनी चाहिए क्योंकि सऊदी अरब की खुशहाली की रंग बिरंगी तस्वीर लेकर जब भारतीय मुस्लिम कामगार वहां जाते हैं तो उनका सच्चाई से पाला पड़ता है पर वे उस परिस्थिति में चाह कर भी कुछ आगे के क़दम नहीं उठा सकते हैं क्योंकि वे खुद ही गलत तरह से बनाए गए कागजों पर वहां जाते हैं. अब समय आ गया है कि भविष्य में वहां जाने वाले किसी भी कामगार की सूची सार्वजनिक हो और उस पर भारतीय हितों के अनुसार नज़र रखने की भी व्यवस्था की जाए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
किसी भी देश को अपने नागरिकों के हितों को संरक्षित करने के लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार है पर जिस तरह से सऊदी अरब से विदेशी कामगारों को इस उद्देश्य से बाहर करने के लिए निताक़त कानून लाया गया कि इसके बाद स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अधिक अवसर उत्पन्न होंगें वह कानून अब सरकार के लिए सरदर्द बनने वाला है क्योंकि वहां के स्थानीय निवासी जिन्हें इस कानून से संरक्षण दिया जा रहा था अब इस मामले में अधिक प्रभावी हो चुके हैं और कामगारों की कमी के कारण अब वे अधिक धन और मजदूरी की बात करने लगे हैं जिससे लागत में भारी बढ़ोत्तरी की शंका भी पैदा होने लगी है. इस तरह के कानून को बनाए जाने से पहले स्थानीय सरकार को जिस तरह से अपने आंकड़ों को देखना चाहिए था कि किस हद तक वे इन विदेशी कामगारों के बिना आगे बढ़ सकते हैं इसमें वह पूरी तरह से विफल रही है. अब आने वाले समय में जब वहां पर विकास की गतिविधियों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ेगा तो उससे उद्योगपतियों द्वारा इस कानून में ढील दिए जाने के लिए सरकार पर और दबाव बनाया जायेगा.
जहाँ तक भारतीय कामगारों का प्रश्न है तो अब भारतीय दृष्टि से भी इसे और मानवीय बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि अभी तक सऊदी अरब की जिन कम्पनियों द्वारा भारतीय कामगारों को किसी अन्य काम का लालच देकर वहां भेज जाता था और बाद में उनकी मजबूरी का लाभ उठाकर उनसे जबरन मजदूरी कराई जाती थी अब उस प्रक्रिया पर भी अंकुश लगाये जाने की ज़रुरत है क्योंकि अब जब एक बार फिर से सऊदी अरब को बेहतर कामगारों की ज़रुरत पड़ने वाली है तो भारतीयों के वहां जाकर काम करने की पूरी प्रक्रिया का ही फिर से अवलोकन किया जाना चाहिए और इसके लिए सरकार को विदेशों में काम के सिलसिले में जाने वाले लोगों की विस्तृत जानकारी भी रखने की व्यवस्था भी करनी चाहिए क्योंकि सऊदी अरब की खुशहाली की रंग बिरंगी तस्वीर लेकर जब भारतीय मुस्लिम कामगार वहां जाते हैं तो उनका सच्चाई से पाला पड़ता है पर वे उस परिस्थिति में चाह कर भी कुछ आगे के क़दम नहीं उठा सकते हैं क्योंकि वे खुद ही गलत तरह से बनाए गए कागजों पर वहां जाते हैं. अब समय आ गया है कि भविष्य में वहां जाने वाले किसी भी कामगार की सूची सार्वजनिक हो और उस पर भारतीय हितों के अनुसार नज़र रखने की भी व्यवस्था की जाए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (25-07-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 66,सावन के बहारों के साथ" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,सटीक और सार्थक . बधाई
जवाब देंहटाएंसादर मदन .कभी यहाँ पर भी पधारें .
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
आप ने बिलकुल सही लिखा है ।
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