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शनिवार, 23 नवंबर 2013

यूपी की प्रशासनिक क्षमता ?

                                 बरेली रैली के लिए इतने दिनों से तैयारी कर रहे यूपी के प्रशासनिक अमले को उस समय अपने अजीब तरह से काम करने का एहसास हुआ जब बरेली के त्रिशूल हवाई अड्डे पर सेना ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह को दिल्ली ले जाने वाले हवाई जहाज को उतरने की अनुमति ही नहीं दी. प्रदेश में अधिकारी किस तरह से काम किया करते हैं यह उसका सबसे ताज़ा उदाहरण ही है क्योंकि उन्होंने अपने आप ही यह तय कर लिया था कि त्रिशूल हवाई अड्डे पर उनके दिल्ली जाने वाले विमान को उतार लिया जायेगा और रैली ख़त्म होने के बाद मुलायम उससे ही दिल्ली तक जा सकेंगे. रैली के बाद उन्हें दिल्ली जाना था जिसके लिए यह कवायद की गयी थी पर इस पूरे मामले ने प्रशासनिक दक्षता और कार्य करने की शैली पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं क्योंकि जब राज्य के मुख्यमंत्री और सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आने जाने के कार्यक्रम को इतने हलके में लिया जा रहा है तो आम लोगों के बारे में आसानी से ही सोचा जा सकता है.
                                 इस पूरी घटना से यही लगता है कि बरेली प्रशासन यह मान कर चल रहा था कि सेना की तरफ से इस तरह की कोई अड़चन नहीं आएगी क्योंकि सैनिक हवाई अड्डों का इस्तेमाल सदैव से देश के नेताओं के आने जाने में किया जाता रहा है और जब इस तरह की सुविधा नेताओं को मिल रही है तो लापरवाह अधिकारियों ने एक बार सेना को सूचित करना भी मुनासिब नहीं समझा वर्ना उन्हें पता चल जाता कि वहाँ पर हवाई पट्टी की मरम्मत का काम चल रहा है जिससे कोई भी जहाज़ वहाँ पर आ या जा नहीं सकता है ? क्या सेना के काम को भी ये अधिकारी अपनी तरह से किये जाने वाले काम की तरह ही मानते हैं कि चाहे जो होता रहे अपना मतलब हल होना चाहिए क्योंकि सेना की तरफ से इस बार मिला यह सबक ऐसा है कि अब सम्भवतः आने वाले दिनों में जिला प्रशासन लखनऊ के कहने पर शायद सेना के स्थानीय अधिकारियों को इस बात की सूचना पहले से देना भी एक आवश्यकता के रूप में समझें ?
                                मुलायम पूरी तरह से जमीन से जुड़े हुए नेता हैं इसलिए इस मामले में किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही होने की सम्भावना नहीं है फिर भी जिस लापरवाही का प्रदर्शन इस पूरे प्रकरण में किया गया है उससे प्रशासनिक मशीनरी को बाहर निकलने की बहुत आवश्यकता है वर्ना कभी इस तरह की छोटी लापरवाही बड़ी समस्या को भी जन्म दे सकती है ? एक समय था जब किसी भी बड़े नेता या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति के आने जाने के कार्यक्रम का पूरा रिहर्सल किया जाना आम बात थी जिससे नए अधिकारियों को इस ड्रिल से बहुत कुछ समझने को भी मिलता था पर लगता है समय के साथ प्रशासन की प्राथमिकताएं भी बदल गयी हैं और उसके काम करने के तरीके में भी बड़ा बदलाव आ गया है. यदि ऐसी ही घटना सीएम के साथ अधिकारियों ने की होती तो अवश्य ही उनके खिलाफ कुछ न कुछ कार्यवाही अवश्य ही होती पर मुलायम इन सब बातों को हलके में और सामान्य गलती समझ कर अनदेखा करने वाली पीढ़ी के नेता हैं इसलिए कुछ होना तो सम्भव नहीं है फिर भी अब इस दिशा में सही तरह से काम करने और नियमों का अनुपालन करने की आदत तो प्रशासन को डालनी ही चाहिए.       
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