मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

कोहरा, सुरक्षा और उत्तर भारत

                                                 हर वर्ष सर्दियाँ शुरू होते ही पूरे उत्तर भारत में जिस तरह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और सामान्य सावधानियों पर भी ध्यान न देने के कारण सड़कों पर दुर्घटनाएं आम हो जाती हैं आज तक उससे निपटने के लिए हम कुछ भी नहीं कर पाये हैं जिससे हर वर्ष मौसम से जुडी हुई इस समस्या के चलते आज भी इसका असर पूरे देश पर पड़ता रहता है. देश के उत्तरी भाग से होकर या यहाँ से ही शुरू होने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनों और हवाई यातायात पर इसका जो कुप्रभाव पड़ता है वह किसी से भी छिपा नहीं है. आज देश ने तकनीकी स्तर पर जहाँ बहुत अधिक प्रगति कर ली है वहीं इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए कुछ कारगर प्रयास अभी तक सफल नहीं हो पाये हैं जिससे आज भी इसका असर सामान्य जनजीवन पर बहुत अधिक पड़ता रहता है ? इस मामले में जिस तरह से रेलवे और विमानपत्तन प्राधिकरण अपनी तैयारियों को पहले से ही करके रखते हैं और इसके असर को यथा सम्भव कम करने की कोशिशें करते रहते हैं उसके बाद भी समय अनुपालन एक बड़ी चुनौती ही बना रहता है फिर भी हवाई यात्रियों की संख्या कम होने से पूरे देश पर उसका असर कम ही दिखता है.
                                                   रेलवे आज भी इस समस्या से निपटने के लिए बहुत सारे प्रयोग करने में लगा हुआ है फिर भी अभी उसके पास सर्दियों में पटाखे दागने वाला विकल्प आज भी सबसे अधिक अपनाया जा रहा है जिसके चलते भी केवल परिचालन को किया जा सकता है पर समय अनुपालन इस पूरी कवायद में बहुत पीछे ही छूट जाया करता है. हर वर्ष इस तरह से रेलवे की व्यवस्था पटरी से उतरने पर उसकी तरफ़ से यही कहा जाता है कि आने वाले समय में रेलवे इस कोहरे का कोई स्थायी हल ढूंढ पाने में सफल हो जायेगा पर आज तक ऐसा नहीं हो पाया है क्योंकि रेलवे के विशाल नेटवर्क में इसे लागू करने के लिए जितने संसाधनों के साथ धन की आवश्यकता पड़ेगी उसके लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है फिर भी रेलवे किसी भी तरह से सेवाओं को पटरी पर रखने के लिए प्रयासरत तो दिखायी ही देती है जिससे भविष्य में कोई कारगर और भारत में चल सकने वाली प्रणाली पर काम किये जाने की सम्भावनाएं सदैव बनी ही रहती हैं.
                                                  देश में कोहरे के कारण सबसे बुरा असर सड़क मार्ग पर ही पड़ता है क्योंकि इसका हर जगह पर असीमित प्रयोग किया जाता है पर यातायात के सामान्य सुरक्षात्मक क़दमों को भी न अपनाये जाने के कारण प्रति वर्ष सड़क दुर्घटनाएं इस मौसम में बहुत बढ़ जाया करती हैं जिससे हर तरफ़ समस्याएं भी बढ़ी हुई लगती हैं. ज़िलों में स्थित परिवहन विभाग किस तरह से काम किया करते हैं उसका सभी को पता है पर इस समस्या से बचने के लिए सर्दियाँ शुरू होने से पहले ही सभी वाहनों के लिए सर्दियों के लिए विशेष फिटनेस अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए और इसके लिए सामाजिक संस्थाओं को भी साथ में लिया जाना चाहिए क्योंकि हर काम पुलिस के दम पर ही करवाने की सरकारी कोशिशों से क्या हो सकता है यह हम सभी देख ही रहे हैं. इसी समय चीनी उद्योग के पूरी क्षमता से काम करने के कारण भी सड़कों पर गन्ने की ढुलाई करने वाले वाहनों की भीड़ बढ़ जाया करती है और इन सभी वाहनों में सुरक्षात्मक उपायों की जिस तरह से धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं वे भी दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण होती हैं इसलिए ज़मीनी हकीकत को समझते हुए सुधार के क़दम निचले स्तर से उठाकर हर जगह सड़क सुरक्षा को भी मज़बूत करने की आवश्यकता है जिससे समय, संसाधन और कीमती जानों की रक्षा की जा सके.        
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