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मंगलवार, 24 जून 2014

स्विस बैंक और काला धन

                                                 मीडिया में आई ख़बरों के बाद जिस तरह से देश में यह आशा जगी थी कि आने वाले समय में स्विस बैंक उन भारतीयों के नाम सरकार को बताने के लिए तैयार है जिनके द्वारा बैंक में काला धन जमा कराया गया है वह सरकार के बयान के बाद एक बार फिर से धूमिल सी हो गयी लगती है. एक अनुमान के अनुसार स्विस बैंक में काले धन के रूप में भारतीयों के लगभग १४५०० करोड़ रूपये जमा हैं और यह देश के हर चुनाव में एक बड़ा मुद्दा रहा करता है पर कभी सरकार की अनिच्छा और कभी स्विस कानून के चलते इसमें कोई ख़ास सफलता आज तक नहीं मिल पायी है. ऐसा तब है जब टैक्स से जुड़े मामलों में स्विस सरकार के साथ हुए समझौते में भारत भी उन ३६ देशों में शामिल है जिनके मांगे जाने पर जानकारी उपलब्ध कराया जाना एक कानूनी मसला भी है. काले धन का मामला हमेशा से ही देश में राजनैतिक रूप से आगे आता रहा है पर आज तक इस मामले में प्रगति नहीं हो पायी है और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में पहले से ही चल रहा है.
                                                  राजग सरकार ने भी इस मुद्दे पर अपने कार्यकाल के पहले दिन ही जिस तरह से काले धन पर उच्च अधिकार प्राप्त टीम का गठन किया है उससे उसकी यह प्राथमिकता तो सामने आई ही है कि वह इस मामले पर कुछ ठोस करना चाहती है पर जब पूरा केस पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के सामने है तो यह टीम कितना काम कर पाने के लिए स्वतंत्र होगी यह भी देखने का विषय है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक समारोह में बोलते हुए इस खबर की पुष्टि नहीं की जो एक दिन पहले मीडिया में आई थी कि स्विस सरकार भारत के साथ जानकारी साझा करने करने को तैयार है इसका मतलब यह मीडिया के द्वारा ही सामने लायी गयी कोई अपुष्ट खबर ही है क्योंकि भारत सरकार जिस तरह से इस मामले पर गंभीर है तो स्विस सरकार भी महत्वपूर्ण जानकारी इस तरह से मीडिया के साथ साझा नहीं करना चाहेगी जिससे पूरे मसले पर भ्रम की स्थिति बन जाये.
                                                  काले धन के मामले में स्विस कानून की पेचीदगियों के चलते ही आज तक किसी भी देश को महत्वपूर्ण जानकारियां नहीं मिल पायी हैं और अमेरिका आदि देशों तक को वहां मिले धन को स्विस कानून के अनुसार काला धन साबित करने में कोई सफलता नहीं मिल पायी है. भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस और स्विस सरकार से समझौते के कारण अब उन भारतीयों के लिए ये बैंक उतने निरापद तो नहीं यह गए हैं जितने पहले हुआ करते थे जिससे वहां धन जमा करने वालों ने कोई अन्य मार्ग भी अवश्य ही खोज लिया होगा पर अब इस मसले पर सरकार और कोर्ट को किसी नतीजे तक पहुंचना ही होगा जिससे आने वाले समय में देश का काला धन यहाँ पर सुरक्षित तौर पर रखने वालों के लिए कुछ कठिनाई अवश्य ही होने लगे. यह राष्ट्र हित से जुड़ा हुआ मसला है तो इस पर कोर्ट, सरकार नेताओं और मीडिया को अनावश्यक सनसनी फ़ैलाने से हर स्तर पर बचना भी चाहिए जिससे किसी चूक के चलते इन बैंकों का लाभ उठाने वाले अपने यहाँ जमा किये गए काले धन को लेकर कोई और व्यवस्था न कर लें.

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