मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 8 जुलाई 2014

पाकिस्तानी सिम को भारत में अनुमति ?

                                                                                     भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए जो भी प्रयास किये जा रहे हैं उन पर वास्तविक रूप से पूरी नज़र रखे जाने की आवश्यकता भी है क्योंकि पाक का पुराना इतिहास यही है कि आज भी उसे भारत में संदिग्ध नज़रो से ही देखा जाता है. अटल सरकार द्वारा बस यात्रा के माध्यम से शुरू की गयी राजनैतिक और कूटनैतिक पहल पर पाक सेना ने कारगिल में संघर्ष छेड़कर जिस तरह से जवाब दिया था. उसके बाद उससे किसी भी स्तर पर कुछ भी नयी शुरुवात करने से पहले उसके परिणामों पर गंभीर विचार किये जाने की ज़रुरत भी है क्योंकि पाक के पैंतरे हमेशा से ही ऐसे ही रहे हैं और उस पर अधिक विश्वास करने का नतीजा कारगिल के संघर्ष और वीरों के बलिदान के रूप में देखा जा चुका है. इस बारे में जो भी लोग अतिउत्साह में मोदी का समर्थन करते हैं उन्हें भी यह समझना चाहिए कि भारत सरकार और मोदी केवल देश के अंदर की परिस्थितियों को अपने अनुसार संभाल सकते हैं विदेशों में नहीं.
                                      पाक के साथ सभी तरह के सम्बन्ध मज़बूत हों यह तो दोनों देशों के नागरिक भी चाहते हैं पर पाक के रुख के चलते यह उतना आसान भी नहीं है फिर भी इस तरह के प्रयास को प्रायोगिक तौर पर आगे बढ़ाने की कोशिश तो की ही जा सकती है. व्यापारियों के रूप में आये हुए पाक नागरिक आतंकी तो नहीं हो सकते हैं यह बात सभी को पता है और उनको केवल चुनिंदा शहरों का वीसा ही मिला करता है तो उस स्थिति में उन पर भारत की सुरक्षा एजेंसियां आसानी से नज़र भी रख सकती हैं. शर्तों के आधार पर उन्हें भारत में प्रवास के दौरान पाकिस्तानी सिम उपयोग किये जाने की छूट आसानी से दी जा सकती है. यह छूट प्रारम्भ में कुछ कड़ी शर्तों के साथ बड़ा व्यापर करने वाले लोगों के लिए ही शुरू की जा सकती है उसमें कोई आपत्ति नहीं होने वाली है पर जब इसे छोटे स्तर के व्यापारियों तक पहुँचाने की बात होगी तो समस्या खड़ी हो सकती है.
                                      यह बात पूरा देश जानता है कि पाक के साथ सम्बन्ध मज़बूत करने के लिए भाजपा सरकार बड़े निर्णय ले सकती है क्योंकि कांग्रेस और अन्य दल इस तरह की गतिविधियों का उस स्तर पर विरोध नहीं करेंगें जिस तरह से भाजपा किया करती है. बस यात्रा से लगाकर अटल सरकार के पाक से जुड़े हर मसले पर कांग्रेस ने तब तक कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी थी जब तक कारगिल में घुसपैठ की खबर नहीं आ गयी थी ? इस बार सरकार जिस तरह से पड़ोसियों के साथ संबधों को प्राथमिकता से आगे बढ़ाने में लगी हुई है उसमें बेशक पाक का भी स्थान आना है पर यह सबसे बाद में ही आएगा यह पाक भी जानता है क्योंकि जब अन्य देशों एक साथ हर तरह के सम्बन्ध अच्छे करने के प्रयास आगे बढ़ने लगेंगे तो ही पाक भी इस तरह से इन मुद्दों पर सोचना शुरू कर पायेगा. पाक के व्यापारी भारत आएं और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ी दी जा सके यह दोनों देशों के नागरिक चाहते हैं पर अभी भी इस दिशा में मज़बूत पहल की आवश्यकता है पर इस तरह की शुरुवात को अच्छा ही कहा जा सकता है अब यह गृह मंत्रालय के रुख पर है कि आगे क्या होता है.    
  
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