मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

पाक से वार्ता ?

                                                      आज़ादी के बाद से ही भारत के लिए समस्या रहा पाकिस्तान जिस तरह से भारत में नयी सरकार बनने के बाद भी अपनी पुरानी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है उस परिस्थिति में दोनों देशों के बीच माहौल सामान्य होना दूर की कौड़ी ही लगता है. पाक कभी से भी किसी भी बात के लिए विश्वसनीय देश नहीं रहा है क्योंकि आज़ादी के बाद जिस तरह से उसने कश्मीर के महाराजा हरी सिंह की अनिर्णय की स्थिति का लाभ उठाकर उस हिस्से को भारत में मिलने से रोकने के हर संभव प्रयास करने शुरू किये थे आज भी वह उनसे बाज़ नहीं आ रहा है. आज़ादी मिलने के बाद जब देश के अधिकांश राजा भारत या पाकिस्तान में विलय की बात कर रहे थे तो हरी सिंह कश्मीर को आज़ाद करवाने की जुगत में थे उनकी इस भावना और कमज़ोर सैन्य स्थिति के कारण पाक ने कबाइलियों के वेश में अपने सैनिकों को कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए भेजना शुरू किया था जिस का बाद मज़बूरी में हरी सिंह नें भारत सरकार से सहायता मांगी थी.
                                                     भारत ने विपरीत परिस्थितियों में श्रीनगर तक पहुंचे कबाइलियों को खदेड़ने में सफलता पायी थी और उस समय की अघोषित सीमा पर जिस तरह से पाक ने आगे बढ़कर कश्मीर का बड़ा हिस्सा अपने कब्ज़े में ले लिया था उसके बाद से ही पाक ने उसे इस्लाम के धार्मिक रंग में रंगने की कोशिशें शुरू कर दीं और तब से आज तक वह अपने स्वार्थ को जिहाद से जोड़कर कश्मीर को विवादित ही बताया करता है. अरुण जेटली के कड़े बयान के बाद पाक की भी ऐसी ही प्रतिक्रिया की आशा थी और उसने एक बार फिर से भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के स्थान पर कश्मीर में अलगाववादियों को समर्थन देने का राग अलापा है. आज भी पाक के कब्ज़े वाले कश्मीर में विकास की गतिविधियाँ कोसों दूर हैं और भारत पर हमला करने के लिए आज भी पाक वहां पर जेहादी कैम्पों में आतंकियों को ट्रेनिंग देने में लगा हुआ है और समय मिलने पर वह भारत के विरुद्ध हर तरह के हमले से परहेज़ भी नहीं किया करता है.
                                                  पंजाब में आतंक की चरम स्थिति को देखते हुए इस तरह की परिस्थिति में अस्सी के दशक में राजीव गांधी की सरकार के समय सीमा पर समयबद्ध तरीके से जो कांटेदार बाड़ लगाने का निर्णय लिया गया था आज उसी के कारण ही पूरी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ नियंत्रण रेखा पर पाक की आतंकी गतिविधियों से जुडी घुसपैठ को रोकने में बड़ी सहायता मिल रही है. आज पाक के सामने भारत में आतंकियों को भेजना एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है और नेपाल सीमा पर भी कड़ी चौकसी के बाद अब बांग्लादेश की तरफ से पाक अपने मन्सूबों को पूरा करने की कोशिशों में लगा हुआ है. इस तरह की परिस्थिति में भारत को खुद ही हर तरह की बातचीत और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाक की अनदेखी शुरू करनी चाहिए जिससे उसे भी इस बात का वास्तविक एहसास हो सके कि भारत को पाक की आतंकियों के समर्थन और देश में गड़बड़ी करने की नीति से बहुत बड़ी दिक्कत है और जब तक इस मुद्दे पर पाक की तरफ से कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तब तक उससे किसी भी परिस्थिति में कोई बातचीत संभव नहीं है. भारत सरकार के इस कठोर रवैये के बाद से पाक ने अब खीझना भी शुरू कर दिया है.      
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