मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

२५ दिसंबर - छुट्टी विवाद

                                                       केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली नवोदय विद्यालय समिति द्वारा जारी किये गए सर्कुलर के माध्यम से एक बार फिर से मंत्रालय के काम काज पर सवालिया निशान लगे हैं जिसमें उसकी तरफ से कहा गया था कि २४ और २५ दिसंबर को विद्यालयों में गुड गवर्नेंस डे मनाया जाये और विभिन्न तरह की प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाएँ. किसी भी प्रेरणादायी व्यक्ति के जन्मदिन पर इस तरह के आयोजन किया जाना सदैव से ही देश की परिपाटी रही है और इसके माध्यम से बच्चों को उन लोगों के जीवन से प्रेरणा लेने की तरफ भी बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है. २५ दिसंबर को मदन मोहन मालवीय की जयंती और पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपाई का जन्मदिन होता है तो इस अवसर पर केंद्र सरकार विद्यालयों में गुड गवर्नेंस के माध्यम से ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रम करवाना चाहती थी पर आदेश में जिस तरह से अस्पष्टता थी उससे भ्रम की स्थिति बनी और विद्यालयों के साथ ही बच्चों को भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि २४/२५ दिसंबर को विद्यालय खोले जाने हैं या नहीं ?
                                  देश भर में इस बात पर चर्चा शुरू होने और सरकार की शीतकालीन छुट्टियों में इस तरह के आयोजन पर सवालिया निशान लगने शुरू होने के बाद जिस तरह से खुद मानव संसाधन मंत्री ने ट्वीट करके मामले को स्पष्ट करने की कोशिश की उससे मंत्रालय की चूक सामने आई है. यहाँ पर सरकार द्वारा आयोजन किये जाने से बड़ा सवाल यह है कि शीर्ष स्तर पर बैठे हुए अधिकारी भी आखिर किस तरह से आदेश जारी किया करते हैं जिनका कोई स्पष्ट मतलब नहीं होता और उसकी कई तरह से व्याख्या की जा सकती है ? यह बच्चों की शिक्षा से जुड़ा मंत्रालयी मामला होने के कारण भी इस मामले में अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता भी होती है पर इस मामले में मंत्रालय ने भी जिस तरह से पूछे जाने के बाद भी चुप्पी साधे रखी उसका क्या मतलब निकलता है और यदि इस मामले पर लोगों को राजनीति करने के अवसर मिलते हैं तो इसमें कहीं न कहीं पूरी तरह से मंत्रालय के अधिकारी या मंत्री के मौखिक आदेश ही ज़िम्मेदार हो सकते हैं. अब पीएम की करीबी मंत्री के खिलाफ बोलने का साहस तो कोई भी अधिकारी नहीं कर सकता है इसलिए संभवतः अब मामला उखड़ने पर कुछ तबादले करके इसको शांत करने की कोशिश शुरू की जाये.
                                 देश में आज की परिस्थिति में जिस तरह से अनावश्यक छुट्टियों की भरमार हो गयी है उससे शिक्षा समेत अन्य सभी क्षेत्र प्रभावित होने शुरू हो चुके हैं इसलिए अब केंद्र और राज्य सरकारों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की पहल तो करनी ही होगी क्योंकि पिछली सरकार ने बैंकिंग सेक्टर की बहुत सारी छुट्टियों को समाप्त करके इस दिशा में कदम तो बढ़ा ही दिया था पर अब उसे और भी कड़ाई से सभी क्षेत्रों में लागू किये जाने की आवश्यकता है. देश या राज्य चला रही सरकारें भी अपने वोट बैंकों के हिसाब से इस तरह की छुट्टियों को लगातार बढाती ही जा रही हैं जिससे काम करने के अवसर घटते जा रहे हैं तो अब इस दिशा में एक स्पष्ट नीति बनाकर छट्टियों को सही करने की ज़रुरत है पर स्थानीय राजनीति संभवतः सरकारों को इस तरह के कदम उठाने से सदैव रोकती ही रहती है. अब देश को हर मामले में आगे जाने के लिए कुछ नए सिरे से सोचने की ज़रुरत है क्योंकि जब तक यह ज़िम्मेदारी समाज के निचले हिस्से तक नहीं डाली जाएगी केवल सरकरों के प्रयास से स्थितियों को सुधारा नहीं जा सकता है.           
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