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शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

शीर्ष स्तर पर जासूसी

                                                यह अच्छा ही हुआ कि दिल्ली पुलिस की टीम ने समय रहते एक बड़े जासूसी गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया जो केंद्र सरकार द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों और संभावित नीतियों को लेकर सरकारी कार्यालयों की महत्वपूर्ण जानकारियों को ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय निजी क्षेत्र की कम्पनियों को बेचा करता था. इसमें सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि देश की शीर्ष पेट्रोलियम कम्पनियों के अधिकारियों के इस पूरे प्रकरण में शामिल होने से जहाँ देश और उन कम्पनियों की साख को भी बट्टा लगा है वहीं सरकार के लिए भी मुश्किल घडी आ गयी है क्योंकि जिन कम्पनियों के भरोसे वह देश की अर्थव्यवस्था को तेज़ी से आगे बढ़ाना चाहती है उनके अधिकारियों की इस तरह की हरकतों ने पूरे परिदृश्य को बिगाड़ कर रख दिया है. दिल्ली पुलिस का काम इस मामले में अभी तक सराहनीय ही कहा जा सकता है क्योंकि उसने पूरी गोपनीयता के साथ अपने ऑपरेशन को अन्जाम तक पहुँचाने का काम किया जिससे इस जासूसी की सारी परतें खुलनी शुरू हो गयी हैं और जिस तरह से मामला आगे बढ़ रहा है उस स्थिति में कुछ भी संभव लगने लगा है.
                                          आज देश की बड़ी निजी क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां अच्छा काम करते हुए देश के विकास में अपना पूरा योगदान देने में लगी हुई हैं पर कुछ लोगों की इस तरह की हरकतों से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि दिल्ली के इतने सुरक्षित समझे जाने वाले केंद्रीय सरकार के कार्यालय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है और वहां भी कितनी आसानी से सेंध मारी की जा सकती है. पेट्रोलियम मंत्री द्वारा इस पूरे मामले को जिस तरह से राजनैतिक मोर्चे पर खेलने की कोशिश की गयी वह किसी भी तरह से सही नहीं कही जा सकती है क्योंकि सरकार चाहे किसी भी दल की हो पर सरकारी गोपनीयता को बनाये रखना भी एक सरकारी प्राथमिकता ही होती है और इस मामले में इस गोपनीयता को पूरी तरह से भंग करने की चेष्टा साफ़ तौर पर दिखाई देती है. जासूसी करने वाले अपने प्रयास सदैव ही करते रहते हैं पर सरकार के प्रयास कितने कारगर हैं यह महत्वपूर्ण बात है. वित्त मंत्री के बजट के कुछ अंश भी लीक होने की खबर अब सामने आने लगी है जिससे यही पता चलता है कि हमारी इस सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमी अवश्य ही है.
                                        सरकार पर इस मामले को लेकर विपक्ष की तरफ से हमले भी होने हैं और बजट सत्र में सरकार पर बजट के लीक होने की बात पर भी जवाब देना पड़ सकता है और यह स्पष्ट है कि पहले से ही लोकसभा में कमज़ोर विपक्ष इस मामले में सरकार को किसी भी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं होगा जो कि देश के लिए अच्छा नहीं है. बेहतर हो कि इस मसले को संसदीय कार्य मंत्रालय के स्तर से सुलझाने का सही प्रयास किया जाये पर वेंकैया नायडू जैसे मंत्री के रहते यह संभव नहीं लगता है क्योंकि उनमें उस रणनीतिक कौशल की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है जो संसदीय कार्य मंत्री में होनी चाहिए. देश की आर्थिक गतिविधियों के लिए आगामी बजट सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इसमें सरकार को अपने उन अध्यादेशों पर मोहर लगवानी है जो उसने पिछले कुछ समय में जारी किये हैं. आर्थिक मुद्दों पर जिस तरह की राजनीति एक समय भाजपा द्वारा की जा चुकी है आज उसी तरह का दोहराव करने की मंशा कांग्रेस की भी दिखाई दे रही है तो इस पूरे मामले में बजट सत्र में लंबित कार्यों को निपटाने में सरकार को समस्याएं ही आने वाली हैं. वर्तमान में जासूसी कांड को लेकर सरकार को विपक्ष पर हमलावर होेने के स्थान पर यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस मामले में दोषियों को किसी भी परिस्थिति में बख्शा नहीं जायेगा.      
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